फागण आयो रे मस्तियाँ ल्यायो रे यह भजन होली के त्योहार के दौरान गाया जाने वाला एक रंगीन और उल्लासपूर्ण भजन है। इसमें फागण (होली का महीना) की मस्ती और उल्लास का उत्सव मनाने की बात की गई है। होली के दौरान रंग, गुलाल, और मस्ती का वातावरण भक्तों को श्याम बाबा के पास लाने और उनके साथ खुशी मनाने की प्रेरणा देता है।
Fagan Aayo Re Mastiyan Lyayo Re
दोहा-
रे बड़े भाग से ग्यारस आई ‘लख्खा’,
लो आ गया फागण मेला,
इस दुनिया में जब तक हम है,
रे ख़तम ना होगा झमेला,
दम का क्या भरोसा है,
आए के ना आए,
चल फिर खाटू नगरी रे ‘लख्खा’,
बाबा श्याम के दर्शन पाएं।
फागण आयो रे,
मस्तियाँ ल्यायो रे,
आयी रे ग्यारस की रात,
अजी ये मेला है श्याम का,
यो फागन आयो रे,
मस्तियाँ ल्यायो रे,
आयी रे ग्यारस की रात।।
खाटू में बाबा के,
भक्तों की टोलियां आई,
श्याम ध्वजा ले आए,
हाथों में लोग लुगाई,
डंका आज बाज रहा,
बाज रहा,
दुनिया में श्याम का,
यो फागन आयो रे,
मस्तियाँ ल्यायो रे,
आयी रे ग्यारस की रात।।
सोने के सिंघासन,
पे बैठा लखदातारी,
रंग गुलाल उड़ाओ,
भर के मारो पिचकारी,
रंग दो रे प्रेम से,
प्रेम से,
दरबार श्याम का,
यो फागन आयो रे,
मस्तियाँ ल्यायो रे,
आयी रे ग्यारस की रात।।
२०२४ का,
ये फागण मेला आया,
श्याम धणी ने भक्तो को,
लो खाटू में है बुलाया,
मिल जाएगा आज फिर,
आज फिर,
मुझे प्यार श्याम का,
यो फागन आयो रे,
मस्तियाँ ल्यायो रे,
आयी रे ग्यारस की रात।।
खूब धमाल मचेगी,
चालो जी खाटू चालो,
‘हर्ष’ श्याम के दर पे,
जाकर के घूमर घालो,
बोल रे ‘लख्खा’ प्यार से,
प्यार से,
जयकारा श्याम का,
यो फागन आयो रे,
मस्तियाँ ल्यायो रे,
आयी रे ग्यारस की रात।।
फागुण आयो रे,
मस्तियाँ ल्यायो रे,
आयी रे ग्यारस की रात,
अजी ये मेला है श्याम का,
यो फागन आयो रे,
मस्तियाँ ल्यायो रे,
आयी रे ग्यारस की रात।।
“फागण आयो रे मस्तियाँ ल्यायो रे” भजन भक्तों को यह संदेश देता है कि होली का त्योहार सिर्फ रंगों का नहीं, बल्कि आध्यात्मिक आनंद का भी पर्व है। श्याम बाबा के साथ मिलकर भक्त इस दिन को खुशी, प्रेम, और भक्ति से मनाते हैं। यह भजन विशेष रूप से “रंगीला फागण” और “होरी खेले राधा संग” जैसे अन्य भजनों के साथ मिलकर भक्तों को होली के दौरान श्याम बाबा के आशीर्वाद और प्रेम का अनुभव कराता है। जय श्री श्याम!