ना कर इतना सितम मोहन हम इस जग के सताए है

ना कर इतना सितम मोहन हम इस जग के सताए हैं भजन में भक्त अपनी पीड़ा और दुखों को श्याम जी के समक्ष व्यक्त करता है। यह भजन मोहन से अनुरोध करता है कि वह अपने भक्तों पर कृपा करें और उनकी सभी तकलीफों को दूर करें। भक्ति का यह रूप न केवल शरणागत वत्सलता को दर्शाता है, बल्कि यह हमें यह भी याद दिलाता है कि श्याम जी हर भक्त के कष्ट को अपनी कृपा से समाप्त कर देते हैं।

Na Kar Itna Sitam Mohan Ham Is Jag Ke Sataye Hai

ना कर इतना सितम मोहन,
हम इस जग के सताए है,
हारे है खुद से ही बाबा,
तभी तेरे दर पे आये है।।

तेरी रेहमत के किस्से सुन,
जगा विश्वास ये मन में,
बदल देगा तू किस्मत को,
यही उम्मीद लाये है।।

क्यों पत्थर बन के बैठे हो,
ज़रा नज़रें मिलाओ तो,
ना जाने कितने अश्क़ों को,
इन आँखों ने बहाएं है।।

सहने की ना बची हिम्मत,
वरना आगे भी सह लेते,
बेगाना क्यों समझ बैठे,
नहीं तेरे पराये है।।

कहे ‘रूबी रिधम’ तुमसे,
तोड़ो ना आस मनमोहन,
पसारे हाथ बैठे है,
चरणों में सर झुकाये है।।

ना कर इतना सितम मोहन,
हम इस जग के सताए है,
हारे है खुद से ही बाबा,
तभी तेरे दर पे आये है।।

जब कोई भक्त सच्चे दिल से श्याम जी के दरबार में अपनी व्यथा प्रकट करता है, तो श्याम जी अपनी अनंत कृपा से उसे हर दुख से मुक्त कर देते हैं। अगर यह भजन आपके हृदय को छू गया हो, तो “बाबा को ढूंढता हूँ खाटू की हर गली में”, “खाटू बुलाए खाटू का श्याम”, “चलो खाटू जी दरबार श्याम की बोल के जय जयकार”, और “मेरे श्याम का उत्सव है भक्तो तुम्हें आना है” जैसे भजन भी अवश्य पढ़ें। जय श्री श्याम!

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