दिल में ना जाने सतगुरु क्या रंग भर दिया है भजन लिरिक्स

जब सतगुरु की कृपा होती है, तो हृदय एक अनोखे रंग से भर जाता है, जिसे शब्दों में बयान करना कठिन होता है। “दिल में ना जाने सतगुरु क्या रंग भर दिया है” भजन इसी दिव्य अनुभूति को दर्शाता है। जब भक्त सच्चे मन से गुरु की भक्ति में लीन होता है, तो उसकी आत्मा प्रेम, शांति और आनंद के रंगों से सराबोर हो जाती है। यह भजन उस आध्यात्मिक अनुभव की झलक देता है, जिसमें भक्ति का रस छलकता है।

Dil Me Na Jane Satguru kya Rang Bhar Diya hai Bhajan Lyrics

दिल में ना जाने सतगुरु,
क्या रंग भर दिया है,
छोड़ेंगे अब ना दर तेरा,
इकरार कर लिया है।।

जिस दिन से पी लिया है,
तेरे नाम का यह प्याला,
मुझको खबर नहीं है,
मेरा दिल किधर गया है,
छोड़ेंगे अब ना दर तेरा,
इकरार कर लिया है।।

तूने हाथ जिसका थामा,
बंदा बना प्रभु का,
हुई नज़र जिस पे तेरी,
समझो के तर गया है,
छोड़ेंगे अब ना दर तेरा,
इकरार कर लिया है।।

तेरी चरण धूलि जब से,
मस्तक को छू गयी है,
मेरी तकदीर बदल गयी है,
जीवन सवार गया है,
छोड़ेंगे अब ना दर तेरा,
इकरार कर लिया है।।

दिल में ना जाने सतगुरु,
क्या रंग भर दिया है,
छोड़ेंगे अब ना दर तेरा,
इकरार कर लिया है।।

गुरुदेव का आशीर्वाद जीवन को अनमोल बना देता है, और उनकी कृपा से भक्त हर परिस्थिति में संतोष और आनंद का अनुभव करता है। यदि आप इस दिव्य भाव को और गहराई से समझना चाहते हैं, तो “गुरु चरण कमल बलिहारी रे”, “सतगुरु से डोर अपनी क्यूँ ना बावरे लगाए”, “ले गुरु का नाम बंदे यही तो सहारा है”, और “बरसा दाता सुख बरसा आँगन आँगन सुख बरसा” जैसे भजनों को भी पढ़ें और अपने मन को भक्तिरस में डुबो दें।









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