ज्योत जले रे दिन रात माई की मडुलिया में लिरिक्स

माँ की भक्ति का प्रकाश जब जल उठता है, तो अंधकार स्वयं ही दूर हो जाता है। “ज्योत जले रे दिन रात माई की मड़ुलिया में” भजन माँ दुर्गा के पवित्र मंदिर में अखंड जलती हुई ज्योत की महिमा का वर्णन करता है। यह भजन दर्शाता है कि सच्चे मन से माँ की भक्ति करने वाले भक्तों के जीवन में माँ की कृपा सदा बनी रहती है। जिस स्थान पर माँ की ज्योत प्रज्ज्वलित होती है, वहाँ हर संकट टल जाता है, और सुख-शांति का वास होता है।

Jyoti Jale Re Din Rat Mai Ki Mduliya Me

ज्योत जले रे दिन रात,
माई की मडुलिया में।।

जग जननी दुःख हरनी माता,
सब की सुने फरियाद,
माई की मडुलिया में।।

जूही चम्पा मोगरा फुले,
चमेली खिले आधी रात,
माई की मडुलिया में।।

धूप कपूर की आरती होवे,
हलुवा को चढ़े प्रसाद,
माई की मडुलिया में।।

हनुमत नाचे भैरों नाचे,
मैया नाचे साथ,
माई की मडुलिया में।।

माई के ‘पदम्’ गुणगान करो जी,
पूरी होगी मुराद,
माई की मडुलिया में।।

ज्योत जले रे दिन रात,
माई की मडुलिया में।।

लेखक / प्रेषक – डालचन्द कुशवाह”पदम्”

माँ की मड़ुलिया में जलती ज्योत भक्तों के अटूट विश्वास और श्रद्धा का प्रतीक है। यह ज्योत अंधकार को मिटाकर भक्तों के जीवन में प्रकाश और सकारात्मकता लाती है। यदि यह भजन आपकी आस्था को और मजबूत कर दे, तो मैया मैं तेरी पतंग हवा विच उड़दी जावांगी जैसे अन्य भक्तिमय गीत भी आपकी भक्ति को और गहरा कर सकते हैं। माँ दुर्गा की कृपा सभी भक्तों पर बनी रहे! जय माता दी! 🙏

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