मै बालक तू सतगुरू मेरा मुझपे दया कर देना

जब शिष्य अपने गुरु के चरणों में पूर्ण समर्पण कर देता है, तब गुरु की कृपा से उसका जीवन धन्य हो जाता है। मै बालक तू सतगुरू मेरा मुझपे दया कर देना भजन इसी भावना को प्रकट करता है, जहाँ भक्त अपने सतगुरु से प्रेम और करुणा की याचना करता है, जैसे एक बालक अपने पिता से स्नेह की आस रखता है।

Main Balak Tu Satguru Mera Mujhpe Daya Kar Dena

मै बालक तू सतगुरू मेरा,
मुझपे दया कर देना,
मुझपे दया कर देना।।

नाम जपूँ हरदम,
मै सतगुरू तेरा,
तुम बिन और न क़ोई जग में,
एक सहारा तेरा,
तू है गुरुवर मेरा हो,
मन मे तेरी लगन लगी है,
और मगन कर देना,
मुझपे दया कर देना,
मुझपे दया कर देना।।

हे प्रभू घर मे मेरे,
छाया है अँधियारा,
चरण कमल मेरे घर मे रखदो,
मिट जाए अँधियारा,
हो जाए उजियारा,
भला या बुरा जैसा भी हूँ मै,
एक नजर कर देना,
मुझपे दया कर देना,
मुझपे दया कर देना।।

इस जन्म में तुमसे,
ग़र मै न मिल पाऊँ,
अगले जनम में जो,
नर तन पाऊँ तो,
तेरा दास कहाऊँ,
तेरी ही भक्ती पाऊँ,
इस जीवन का क्या है भरोसा,
कब हो जाए रैना,
मुझपे दया कर देना,
मुझपे दया कर देना।।

मै बालक तू सतगुरू मेरा,
मुझपे दया कर देना,
मुझपे दया कर देना।।

गुरु की कृपा से असंभव भी संभव हो जाता है, क्योंकि उनके चरणों में ही मोक्ष और शांति का मार्ग है। आगे “गुरुदेव तुम्हारे चरणों में बैकुंठ का वास लगे मुझको”, “तेरे चरणों में सतगुरु मेरी प्रीत हो”, “गुरुदेव मेरे दाता मुझको ऐसा वर दो” और “सारे तीरथ धाम आपके चरणों में गुरुदेव” भजनों को पढ़ें और सतगुरु की महिमा का आनंद लें।









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