सतगुरु की कृपा से ही जीवन में आनंद और शांति का संचार होता है। सतगुरू प्यारे विनती सुनलो आनन्दकँद भजन लिरिक्स भजन भक्त की गहरी श्रद्धा और गुरु के प्रति पूर्ण समर्पण को दर्शाता है। जब हम गुरु के चरणों में अपनी विनती रखते हैं, तो वे हर कठिनाई को सरल बना देते हैं और हमें सच्चे आनंद का अनुभव कराते हैं। यह भजन हमें गुरु की महिमा और उनकी कृपा का स्मरण कराता है।
Satguru Pyare Vinati Sunlo Aanandkand Bhajan Lyrics
सतगुरू प्यारे,
विनती सुनलो आनन्दकँद,
ओ मेरे सच्चिदानन्द,
लेलो मुझको अपनी शरण, हो..
सतगुरू प्यारे।
न चाहूँ मै मोक्ष या मुक्ती,
न कोई पद या प्रतिष्ठा,
हर जीवन मे बनी रहे प्रभू,
तेरे चरणो मे निष्ठा,
विनती सुनलो आनंदकँद,
ओ मेरे सच्चिदानन्द,
ले लो मुझको अपनी शरण, हो…
सतगुरू प्यारे।।
ना चाहूँ मे ध्रुव कहलाना,
न प्रहलाद कहाऊँ,
ये भी न चाहूँ कि बनूँ सुदामा,
सेवक बनना चाहूँ,
विनती सुनलो आनंदकँद,
ओ मेरे सच्चिदानन्द,
ले लो मुझको अपनी शरण, हो…
सतगुरू प्यारे।।
मै मूरख अज्ञानी सतगुरू,
कैसे तुमको पाऊँ,
अन्जान नगर देखी न डगर प्रभू,
कैसे तुम तक आऊँ,
विनती सुनलो आनंदकँद,
ओ मेरे सच्चिदानन्द,
ले लो मुझको अपनी शरण, हो…
सतगुरू प्यारे।।
सतगुरू प्यारे,
विनती सुनलो आनन्दकँद,
ओ मेरे सच्चिदानन्द,
लेलो मुझको अपनी शरण, हो..
सतगुरू प्यारे।।
गुरु ही वह ज्योति हैं जो अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाते हैं। उनकी विनती करने से मन को असीम शांति मिलती है। आगे “गुरुदेव के चरणों की गर धूल जो मिल जाए”, “तेरे चरणों में सतगुरु मेरी प्रीत हो”, “सारे तीरथ धाम आपके चरणों में गुरुदेव” और “जो गए गुरु द्वारे भव से पार हो गए” भजनों को पढ़ें और गुरु भक्ति में मन रमाएँ।

मैं हेमानंद शास्त्री, एक साधारण भक्त और सनातन धर्म का सेवक हूँ। मेरा उद्देश्य धर्म, भक्ति और आध्यात्मिकता के रहस्यों को सरल भाषा में भक्तों तक पहुँचाना है। शनि देव, बालाजी, हनुमान जी, शिव जी, श्री कृष्ण और अन्य देवी-देवताओं की महिमा का वर्णन करना मेरे लिए केवल लेखन नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक साधना है। मैं अपने लेखों के माध्यम से पूजन विधि, मंत्र, स्तोत्र, आरती और धार्मिक ग्रंथों का सार भक्तों तक पहुँचाने का प्रयास करता हूँ। जय सनातन धर्म