तरस रही है तेरे दरस को कबसे मेरी नजरिया भजन लिरिक्स

भक्त का हृदय तब व्याकुल हो उठता है जब वह अपनी आराध्य देवी के दर्शन के लिए तरसता है। तरस रही है तेरे दरस को कबसे मेरी नजरिया भजन में उसी प्रेम, भक्ति और तड़प को शब्दों में पिरोया गया है। माँ के बिना भक्त अधूरा महसूस करता है, और उनके दर्शन मात्र से जीवन की सारी पीड़ाएँ मिट जाती हैं। यह भजन हमें माँ दुर्गा के प्रति अपनी गहरी आस्था को व्यक्त करने का अवसर देता है।

Taras Rahi Hai Tere Daras Ko Kabse Meri Najariya Bhajan Lyrics

तरस रही है तेरे दरस को,
कबसे मेरी नजरिया माँ,
कबसे मेरी नजरिया,
ओ शेरावाली ओ जोतावाली,
अब तो ले ले खबरिया,
तरस रही हैं तेरे दरस को,
कबसे मेरी नजरिया।।

तेरे दर जो आए सवाली,
भर दी झोली जाए ना खाली,
आओ माँ मेरे सर से उतारो,
आओ माँ मेरे सर से उतारो,
पापों की भारी गठरिया,
तरस रही हैं तेरे दरस को,
कबसे मेरी नजरिया।।

तू ही है ज्वाला तू ही है काली,
भक्तो की मैया सदा रखवाली,
दर दर भटके तेरे दरश को,
दर दर भटके तेरे दरश को,
भूली राह डगरिया,
तरस रही हैं तेरे दरस को,
कबसे मेरी नजरिया।।

‘भक्तो जी मंडल’ तेरा पुजारी,
घर घर में ज्योत जगाए तुम्हारी,
तेरा ही गुणगान करे माँ,
तेरा ही गुणगान करे माँ,
‘लख्खा’ हर एक नगरीया,
तरस रही हैं तेरे दरस को,
कबसे मेरी नजरिया।।

तरस रही है तेरे दरस को,
कबसे मेरी नजरिया माँ,
कबसे मेरी नजरिया,
ओ शेरावाली ओ जोतावाली,
अब तो ले ले खबरिया,
तरस रही हैं तेरे दरस को,
कबसे मेरी नजरिया।।

Singer – Lakhbir Singh Lakkha Ji

जब माँ का दरस मिलने लगता है, तो भक्त के मन में असीम आनंद की लहर दौड़ जाती है। यही सच्ची भक्ति है—जो हृदय से माँ को पुकारे, माँ उसकी पुकार अवश्य सुनती हैं। अगर आप भी माँ के प्रेम और आशीर्वाद की अनुभूति को और गहराई से महसूस करना चाहते हैं, तो [“मेरी कुलदेवी माँ का दरबार सुहाना है”](भजन का लिंक) भजन को अवश्य सुनें और माँ के चरणों में अपना मन अर्पित करें। जय माता दी! 🙏🚩

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