कर भले ही तू जगत में प्राणी सब करम छूटे ना भजन

कर भले ही तू जगत में प्राणी सब करम छूटे ना भजन भजन हमें यह याद दिलाता है कि हमारे द्वारा किए गए कर्म ही हमारे साथ चलते हैं। इस संसार में हम चाहे जितने भी प्रयास करें, लेकिन हमारे कर्मों का फल अवश्य मिलेगा। सतगुरु की शरण में जाकर हम सही राह पर चल सकते हैं और अपने जीवन को सद्कर्मों से भर सकते हैं। यह भजन हमें गुरु भक्ति और सच्चे मार्ग की ओर प्रेरित करता है।

Kar Bhale Hi Tu Jagat Me Prani Sab Karam Chhute Na Bhajan

कर भले ही तू जगत में,
प्राणी सब करम,
छूटे ना भजन,
कभी छूट ना भजन।।

आएँगी अड़चन बहुत ही,
राह मे बँन्दे तेरी,
चलते ही रहना तू प्राणी,
दूर है मँजिल तेरी,
तू सँभल कर रखना प्राणी,
जग मे अपना हर कदम,
तू कही जाना नही,
जाए तो जाए मन,
छूटे ना भजन,
कभी छूट ना भजन।।

काम तो सब ही तू करना,
ध्यान साँसो का रहै,
सबकी सुनना पर वो करना,
जो मेरे सतगुरू कहे,
देख तू बिसरा न देना,
प्राणी सँतो के बचन,
एक न एक दिन करेगे,
सतगुरू करम,
छूटे ना भजन,
कभी छूट ना भजन।।

नाम भजने से तेरे,
सँकट सभी कट जाएगे,
नाम की महिमा से भव,
बँधन भी सभी कट जाएँगे,
जग भले रूठे तो रूठे,
छूटे न सतगुरू शरण,
आजा सतगुरु की शरण,
मिट जाए सब भरम,
छूटे ना भजन,
कभी छूट ना भजन।।

कर भले ही तू जगत में,
प्राणी सब करम,
छूटे ना भजन,
कभी छूट ना भजन।।

गुरुदेव के आशीर्वाद से ही हम अपने जीवन को सार्थक बना सकते हैं और कर्मों के बंधनों से मुक्त हो सकते हैं। “कर भले ही तू जगत में प्राणी, सब करम छूटे ना” भजन हमें इसी सत्य की ओर ले जाता है। ऐसे ही और भी प्रेरणादायक भजनों को पढ़ें या करें, जैसे “भजले नाम गुरु का रे मनवा, बीत रही है स्वाँसा”, “तेरी नौका में जो बैठा वो पार हो गया गुरुदेव”, “धीरे-धीरे बीती जाए उमर, भव तरने का जतन तू कर” और “अगर तू चाहे जो भव तरना आ गुरु दर पे”।









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