ज्ञानी हो या वो मूरख गँवार आए गुरु दर जो एक बार

“ज्ञानी हो या वो मूरख गँवार, आए गुरु दर जो एक बार” भजन हमें यह सिखाता है कि गुरुदेव की शरण में आने वाले सभी भक्तों को ज्ञान, शांति और कृपा प्राप्त होती है। गुरु का दरबार सबके लिए खुला होता है, चाहे वह विद्वान हो या साधारण व्यक्ति। जब हम सच्चे हृदय से गुरु की शरण में आते हैं, तो हमें जीवन का सही मार्गदर्शन मिलता है।

Gyani Ho Ya Vo Murakh Gawar Aaye Guru Dar Jo Ek Bar

ज्ञानी हो या वो मूरख गँवार,
आए गुरु दर जो एक बार,
करते मेहरबानी है,
मेरे गुरूदेवा,
करते मेहरबानी है,
मेरे गुरूदेवा।।

मन करेगा सुमिरन,
गुरूवाणी को चित में जो लाए,
करके दया गुरुवर फिर,
नाम जपने की युक्ती बताए,
सँतो की वाणी है,
ऐसे महादानी है,
मेरे गुरूदेवा,
करते मेहरबानी है,
मेरे गुरूदेवा।।

जो ध्यान करे सतगुरु का,
भव बँधन से सतगुरु छुड़ाए,
डूबे न उसकी नइया,
पार जिसको गुरु खुद कराए,
नाव वही पतवार वही,
वो ही भव का पानी है,
मेरे गुरूदेवा,
करते मेहरबानी है,
मेरे गुरूदेवा।।

जो नाम निरँतर ध्यावे,
निश्चय ही चरण रज वो पावे,
गुरूदेव दया से प्राणी,
अपना सोया नसीबा जगाए,
जनम जनम के रोग मिटे,
महा कल्याणी है,
मेरे गुरूदेवा,
करते मेहरबानी है,
मेरे गुरूदेवा।।

ज्ञानी हो या वो मूरख गँवार,
आए गुरु दर जो एक बार,
करते मेहरबानी है,
मेरे गुरूदेवा,
करते मेहरबानी है,
मेरे गुरूदेवा।।

गुरुदेव का दरबार सभी के लिए समान रूप से प्रेम और आशीर्वाद प्रदान करता है। “ज्ञानी हो या वो मूरख गँवार, आए गुरु दर जो एक बार” भजन हमें गुरु की असीम कृपा का स्मरण कराता है और उनके मार्गदर्शन को अपनाने की प्रेरणा देता है। यदि आप और अधिक गुरु भक्ति से जुड़े भजन पढ़ना चाहते हैं, तो “गुरुदेव के चरणों में सौ बार नमन मेरा”, “बस एक सहारा तुम गुरुदेव दया करना”, “गुरुवर तुमसे इतना कहना चरणों में तुम्हरे रहना” और “जनम जनम का साथ हैं गुरुदेव तुम्हारा” भी अवश्य पढ़ें और अपने हृदय को गुरुदेव की भक्ति में लीन करें।









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