गुरु का स्मरण हमारे जीवन का आधार बनता है। जब हम राम का भजन करते हैं, तो हमें यह याद रखना चाहिए कि गुरु का आशीर्वाद हमारे हर कार्य में पवित्रता और सफलता लाता है। “मैं राम भजु गुरु को ना बिसारुं” भजन में यह संदेश छिपा है कि हमें कभी भी अपने गुरु को न भूलकर हमेशा उनके मार्गदर्शन में चलना चाहिए।
Mai Ram Bhaju Guru Ko Na Bisaru Bhajan Lyrics
मैं राम भजु गुरु को ना बिसारुं,
गुरु के संग हरी को ना निहारूं,
मैं राम भजुँ गुरु को ना बिसारुं।।
हरी ने जनम दियो जग माहि,
गुरु ने आवागमन छुड़ाई,
मैं राम भजुँ गुरु को ना बिसारुं।।
हरी ने मोह जाल में घेरी,
गुरु ने काटी ममता बेड़ि,
मैं राम भजुँ गुरु को ना बिसारुं।।
हरी ने मोसो आप छिपायो,
गुरु दीपक दे ताहि दिखायो,
मैं राम भजुँ गुरु को ना बिसारुं।।
मैं गुरु चरणन पे तन मन वारूँ,
गुरु ना तजू हरी को तज डारु,
मैं राम भजुँ गुरु को ना बिसारुं।।
मैं राम भजु गुरु को ना बिसारुं,
गुरु के संग हरी को ना निहारूं,
मैं राम भजुँ गुरु को ना बिसारुं।।
गुरु की महिमा और राम का भजन दोनों हमारे जीवन को उच्चता और सद्गति की ओर मार्गदर्शित करते हैं। “मैं राम भजु गुरु को ना बिसारुं” जैसे भजन हमें यह सिखाते हैं कि गुरुदेव और राम का सुमिरन ही जीवन का सबसे सही रास्ता है। यदि आपको यह भजन प्रिय लगा, तो “गुरु की महिमा अपरंपार”, “तेरी हर मुश्किल आसान मिले जब गुरु से ज्ञान”, “गुरुवर के चरणों में मेरा है प्रणाम”, और “सतगुरु तुम सागर मैं मीना” भजनों को भी अवश्य पढ़ें और गुरु भक्ति में लीन हों।

मैं हेमानंद शास्त्री, एक साधारण भक्त और सनातन धर्म का सेवक हूँ। मेरा उद्देश्य धर्म, भक्ति और आध्यात्मिकता के रहस्यों को सरल भाषा में भक्तों तक पहुँचाना है। शनि देव, बालाजी, हनुमान जी, शिव जी, श्री कृष्ण और अन्य देवी-देवताओं की महिमा का वर्णन करना मेरे लिए केवल लेखन नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक साधना है। मैं अपने लेखों के माध्यम से पूजन विधि, मंत्र, स्तोत्र, आरती और धार्मिक ग्रंथों का सार भक्तों तक पहुँचाने का प्रयास करता हूँ। जय सनातन धर्म