सच्चे श्रद्धा भाव से गुरु की आराधना करने से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आता है और भाग्य जागृत हो जाता है। जब भक्त अपने सतगुरु को प्रेम, समर्पण और भक्ति से सजाता है, तो उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है। “कोई भाव से मेरे सतगुरु को सजा दे, भाग्य जग जाएगा” भजन इसी गहरे भाव को प्रकट करता है कि गुरु की कृपा से भक्त का जीवन धन्य हो जाता है। आइए, इस भजन के माध्यम से अपने सतगुरु के प्रति अपनी भक्ति व्यक्त करें।
Koi Bhav Se Mere Satguru Ko Saja De Bhagy Jag Jayega
कोई भाव से मेरे,
सतगुरु को सजा दे,
भाग्य जग जाएगा,
भाग्य जग जाएगा।।
गुरुवर को गंगाजल से,
पहले नहला दो,
रोली चन्दन से,
तिलक लगा दो,
फिर भाव से,
पुष्पों का हार चढ़ा दो,
भाग्य जग जाएगा,
भाग्य जग जाएगा।।
सतगुरु को छप्पन,
भोग ना भाए,
भूखा है भाव का,
जो भी दिखाए,
फिर भाव से,
गुरुवर को भोग लगा दे,
भाग्य जग जाएगा,
भाग्य जग जाएगा।।
गुरुवर के चरणों में,
स्वर्ग है लगता,
श्रष्टि झुके आसमान,
भी झुकता,
फिर भाव से,
तू अपना शीश झुका दे,
भाग्य जग जाएगा,
भाग्य जग जाएगा।।
कोई भाव से मेरे,
सतगुरु को सजा दे,
भाग्य जग जाएगा,
भाग्य जग जाएगा।।
सतगुरु की कृपा से ही भाग्य का द्वार खुलता है और जीवन आनंदमय बनता है। “कोई भाव से मेरे सतगुरु को सजा दे, भाग्य जग जाएगा” भजन हमें सिखाता है कि गुरु की सेवा और भक्ति से बढ़कर कोई साधना नहीं। ऐसे ही अन्य भक्तिपूर्ण भजनों जैसे “गुरु चरणों की महिमा अपार”, “गुरु बिना जीवन अधूरा”, “गुरु वाणी का प्रकाश”, और “गुरु कृपा से जीवन सफल” को पढ़ें और गुरु भक्ति में और अधिक लीन हों।

मैं हेमानंद शास्त्री, एक साधारण भक्त और सनातन धर्म का सेवक हूँ। मेरा उद्देश्य धर्म, भक्ति और आध्यात्मिकता के रहस्यों को सरल भाषा में भक्तों तक पहुँचाना है। शनि देव, बालाजी, हनुमान जी, शिव जी, श्री कृष्ण और अन्य देवी-देवताओं की महिमा का वर्णन करना मेरे लिए केवल लेखन नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक साधना है। मैं अपने लेखों के माध्यम से पूजन विधि, मंत्र, स्तोत्र, आरती और धार्मिक ग्रंथों का सार भक्तों तक पहुँचाने का प्रयास करता हूँ। 🚩 जय सनातन धर्म 🚩