गुरु नाम का मैं नशा चाहती हूँ गुरु भजन लिरिक्स

सच्ची भक्ति वह है, जिसमें मन और आत्मा पूरी तरह से गुरु प्रेम में लीन हो जाए। जब भक्त का हृदय गुरु नाम के अमृत से भर जाता है, तो उसे संसार की किसी और चीज़ की आवश्यकता नहीं रहती। “गुरु नाम का मैं नशा चाहती हूँ” भजन इसी गहरे समर्पण और प्रेम को व्यक्त करता है। यह भजन हमें सिखाता है कि यदि जीवन में कोई नशा होना चाहिए, तो वह केवल और केवल गुरु भक्ति का होना चाहिए। आइए, इस भजन के माध्यम से हम भी इस अलौकिक प्रेम का अनुभव करें।

Guru Naam Ka Mai Nasha Chahti Hu Guru Bhajan Lyrics

गुरु नाम का मैं,
सुन लो गुरु जी मेरे,
जीवन को सरल कर दो,
मजधार में जीवन है,
थोड़ा तो सरल कर दो,
सुन लों गुरु जी मेरे,
जीवन को सरल कर दो।।

ना उम्र की सिमा हो,
काटो जन्मो का बंधन,
तेरे चरणों में बीते,
मेरा हर एक पल गुरुवर,
चरणों से लगाकर के,
भक्ति का लहर कर दो,
सुन लों गुरु जी मेरे,
जीवन को सरल कर दो।।

तेरे बिन सुना सा,
संसार हमारा है,
जीवन की नैया का,
एक तू ही सहारा है,
हारे के सहारे तुम,
रहमत की नज़र कर दो,
सुन लों गुरु जी मेरे,
जीवन को सरल कर दो।।

सुन लो गुरु जी मेरे,
जीवन को सरल कर दो,
मजधार में जीवन है,
थोड़ा तो सरल कर दो,
सुन लों गुरु जी मेरे,
जीवन को सरल कर दो।।

नशा चाहती हूँ,
विनय कर रही हूँ,
दया चाहती हूँ,
गुरु नाम का मै।।

प्रभू नाम का जाम,
मुझे भी पिला दो,
जो देखा न कभी भी वो,
जलवा दिखावों,
लगी है तलब जो,
उसे तुम बुझा दो,
शरण में तुम्हारी,
जगह चाहती हूँ,
विनय कर रही हूँ,
दया चाहती हूँ,
गुरु नाम का मै।।

मिट जाए हस्ति,
छा जाए मस्ती,
बन्दों को अपने,
जो तुमने बख़्शी,
रहमत पे तेरी,
टिकी मेरी कश्ती,
वही तो निगाहें,
करम चाहती हूँ,
विनय कर रही हूँ,
दया चाहती हूँ,
गुरु नाम का मै।।

चरणों का ‘शिव’ को,
दीवाना बनावो,
अपनी शमां का,
परवाना बनालो,
मै अपने आप को,
भूलना चाहती हूँ,
विनय कर रही हूँ,
दया चाहती हूँ,
गुरु नाम का मै।।

गुरु नाम का मैं,
नशा चाहती हूँ,
विनय कर रही हूँ,
दया चाहती हूँ,
गुरु नाम का मै।।

गुरु भक्ति का नशा ही सच्चा आनंद देता है, जो आत्मा को शुद्ध और परम आनंद से भर देता है। “गुरु नाम का मैं नशा चाहती हूँ” भजन हमें यह प्रेरणा देता है कि संसार के मोह से दूर होकर, हमें अपने जीवन को गुरु प्रेम और उनकी शिक्षाओं में डुबो देना चाहिए। ऐसे ही अन्य भजनों जैसे “गुरु कृपा से जीवन सफल”, “गुरु चरणों की महिमा अपार”, “गुरु बिना जीवन अधूरा”, और “गुरु ही सच्चे मार्गदर्शक” को पढ़ें और अपनी भक्ति को और गहरा करें।









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