गुरुवर के चरणों में मेरा है प्रणाम लिरिक्स

गुरुवर के चरणों में समर्पण ही सच्ची भक्ति का प्रतीक है। “गुरुवर के चरणों में मेरा है प्रणाम” भजन में भक्त अपनी निष्ठा और श्रद्धा प्रकट करता है, जो उसे आध्यात्मिक मार्ग पर आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। जब हम गुरु के चरणों में शीश नवाते हैं, तब उनका आशीर्वाद हमारे जीवन को उज्ज्वल करता है। इस भजन को पढ़ने या करने से मन में शांति और गुरु भक्ति की भावना प्रबल होती है।

Guruvar Ke Charno Me Mera Hai Pranam

गुरुवर के चरणों में,
मेरा है प्रणाम,
आठों याम जपूँ मैं,
गुरूजी को नाम,
गुरुवर के चरणो में,
मेरा है प्रणाम।।

मैं हूँ दीन तो सतगुरु दयालु,
किरपा है करते बनके कृपालु,
गुरुवर की सेवा ही,
सबसे है ऊँचा काम,
गुरुवर के चरणो में,
मेरा है प्रणाम।।

सतगुरु में देखूं मथुरा और काशी,
आत्मा मेरी है सतगुरु की दासी,
गुरु में ही देखे है,
मैंने शिव और राम,
गुरुवर के चरणो में,
मेरा है प्रणाम।।

नैनो में बसे गुरु जय हो जय हो,
दिल कहूं गुरु जय हो जय हो,
गुरु के बिना नहीं,
जग में कही आराम,
गुरुवर के चरणो में,
मेरा है प्रणाम।।

कमल कपिल पूरी संत सयाने,
भक्तों के रहते है बनके मुहाने,
गुरुवर के चरणो में,
मेरा है प्रणाम,
गुरुवर के चरणो में,
मेरा है प्रणाम।।

गुरुवर के चरणों में,
मेरा है प्रणाम,
आठों याम जपूँ मैं,
गुरूजी को नाम,
गुरुवर के चरणो में,
मेरा है प्रणाम।।

गुरुवर के चरणों में प्रणाम करना हमें अहंकार से मुक्त करता है और हमें सच्चे मार्ग की ओर अग्रसर करता है। उनकी कृपा से जीवन सरल और आनंदमय हो जाता है। यदि यह भजन आपके मन को छूता है, तो “गुरु ज्ञान की ज्योति हमारी वो ही ज्योत जलाता हूँ”, “सतगुरु शरण में सभी फल मिलेंगे”, “गुरुदेव के चरणों में सौ बार नमन मेरा” और “गुरुवर मेरी ओर अपनी नजरिया रखियो” जैसे अन्य भजनों को भी पढ़ें और गुरु भक्ति के रंग में रंगें।









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