जब भक्त का हृदय पूर्ण समर्पण से भर जाता है, तब वह केवल अपने गुरुदेव की कृपा की याचना करता है। “किरपा कर दो अब तो गुरूजी द्वार तिहारे आन पड़ा” भजन इसी गहरे भाव को प्रकट करता है, जहाँ एक भक्त अपने गुरु के द्वार पर आकर उनकी दया और आशीर्वाद की प्रार्थना करता है। इस भजन को पढ़ने या करने से मन में श्रद्धा जाग्रत होती है और गुरु कृपा की अनुभूति होती है।
Kirpa Kar Do Ab To Guruji Dwar Tihare Aan Pada
किरपा कर दो अब तो गुरूजी,
द्वार तिहारे आन पड़ा,
द्वार तिहारे आन पड़ा,
किरपा कर दों अब तो गुरूजी।।
तू साँचा साहिब मेरा,
मैं जन बंदा तेरा,
तू साँचा साहिब मेरा,
मैं जन बंदा तेरा,
तन मन निर्मल कर दो गुरूजी,
किरपा कर दों अब तो गुरूजी।।
गुरु की लीला सबसे न्यारी,
शिव से मिला दो अब तो गुरूजी,
गुरु की लीला सबसे न्यारी,
शिव से मिला दो अब तो गुरूजी,
शिव से मिला दो अब तो गुरूजी,
किरपा कर दों अब तो गुरूजी।।
संकट टाले तुमने सबके,
मोरी भी नैया तार दो अब,
संकट टाले तुमने सबके,
मोरी भी नैया तार दो अब,
हाथ पकड़ लो यही है विनती,
किरपा कर दों अब तो गुरूजी।।
किरपा कर दो अब तो गुरूजी,
द्वार तिहारे आन पड़ा,
द्वार तिहारे आन पड़ा,
किरपा कर दों अब तो गुरूजी।।
गुरुदेव का द्वार ही वह स्थान है, जहाँ हर भक्त को शांति, प्रेम और आशीर्वाद मिलता है। उनकी कृपा से जीवन की हर बाधा दूर होती है और आत्मा को सच्ची राह मिलती है। यदि यह भजन आपको आध्यात्मिक शांति देता है, तो “गुरुदेव दया करके मुझको अपना लेना”, “गुरुदेव की महिमा गाये चरणों में शिश नवाये”, “गुरुवर मेरी ओर अपनी नजरिया रखियो” और “गुरुवर तुम्ही बता दो किसकी शरण में जाएं” जैसे अन्य भजनों को भी पढ़ें और गुरुदेव की महिमा का आनंद लें।

मैं हेमानंद शास्त्री, एक साधारण भक्त और सनातन धर्म का सेवक हूँ। मेरा उद्देश्य धर्म, भक्ति और आध्यात्मिकता के रहस्यों को सरल भाषा में भक्तों तक पहुँचाना है। शनि देव, बालाजी, हनुमान जी, शिव जी, श्री कृष्ण और अन्य देवी-देवताओं की महिमा का वर्णन करना मेरे लिए केवल लेखन नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक साधना है। मैं अपने लेखों के माध्यम से पूजन विधि, मंत्र, स्तोत्र, आरती और धार्मिक ग्रंथों का सार भक्तों तक पहुँचाने का प्रयास करता हूँ। जय सनातन धर्म