शिव स्तुति इन संस्कृत: संस्कृत में पढ़ें भगवान शिव की अत्यंत प्रभावशाली स्तुति

शिव स्तुति इन संस्कृत बहुत ही पवित्र और शक्तिशाली पाठ है, जो देवभाषा संस्कृत में लिखा गया है। यह उन भक्तों के लिए विशेष महत्व रखती है जो शुद्धता, लय और आध्यात्मिक ऊर्जा से युक्त स्तुति का पाठ करना चाहते हैं। Shiv Stuti In Sanskrit न केवल मंत्रों का सामर्थ्य देती है, बल्कि पाठ करने वाले को एक अद्भुत मानसिक शांति और शिव के प्रति गहरी भक्ति का अनुभव कराती है। यह पाठ इस प्रकार से है-

Shiv Stuti In Sanskrit

आशुतोष शशांक शेखर,
चन्द्र मौली चिदंबरा॥
कोटि कोटि प्रणाम शम्भू,
कोटि नमन दिगम्बरा॥१॥

निर्विकार ओमकार अविनाशी,
तुम्ही देवाधि देव॥
जगत सर्जक प्रलय करता,
शिवम सत्यम सुंदरा॥२॥

निरंकार स्वरूप कालेश्वर,
महा योगीश्वरा॥
दयानिधि दानिश्वर जय,
जटाधार अभयंकरा॥३॥

शूल पानी त्रिशूल धारी,
औगड़ी बाघम्बरी।
जय महेश त्रिलोचनाय,
विश्वनाथ विशम्भरा॥४॥

नाथ नागेश्वर हरो हर,
पाप साप अभिशाप तम॥
महादेव महान भोले,
सदा शिव शिव संकरा॥५॥

जगत पति अनुरकती भक्ति,
सदैव तेरे चरण हो॥
क्षमा हो अपराध सब,
जय जयति जगदीश्वरा॥६॥

जनम जीवन जगत का,
संताप ताप मिटे सभी॥
ओम नमः शिवाय मन,
जपता रहे पञ्चाक्षरा॥७॥

आशुतोष शशांक शेखर,
चन्द्र मौली चिदंबरा॥
कोटि कोटि प्रणाम शम्भू,
कोटि नमन दिगम्बरा॥८॥

कोटि नमन दिगम्बरा..
कोटि नमन दिगम्बरा..
कोटि नमन दिगम्बरा॥

Shiv Stuti In Sanskrit

आशुतोष शशांक शेखर, 
चन्द्र मौली चिदंबरा॥
कोटि कोटि प्रणाम शम्भू, 
कोटि नमन दिगम्बरा॥१॥

निर्विकार ओमकार अविनाशी, 
तुम्ही देवाधि देव॥
जगत सर्जक प्रलय करता, 
शिवम सत्यम सुंदरा॥२॥

निरंकार स्वरूप कालेश्वर, 
महा योगीश्वरा॥
दयानिधि दानिश्वर जय, 
जटाधार अभयंकरा॥३॥

शूल पानी त्रिशूल धारी, 
औगड़ी बाघम्बरी।
जय महेश त्रिलोचनाय, 
विश्वनाथ विशम्भरा॥४॥

नाथ नागेश्वर हरो हर, 
पाप साप अभिशाप तम॥
महादेव महान भोले, 
सदा शिव शिव संकरा॥५॥

जगत पति अनुरकती भक्ति, 
सदैव तेरे चरण हो॥
क्षमा हो अपराध सब, 
जय जयति जगदीश्वरा॥६॥

जनम जीवन जगत का, 
संताप ताप मिटे सभी॥
ओम नमः शिवाय मन, 
जपता रहे पञ्चाक्षरा॥७॥

आशुतोष शशांक शेखर, 
चन्द्र मौली चिदंबरा॥
कोटि कोटि प्रणाम शम्भू, 
कोटि नमन दिगम्बरा॥८॥

कोटि नमन दिगम्बरा..
 कोटि नमन दिगम्बरा..
कोटि नमन दिगम्बरा॥

इसका नियमित पाठ करने से आपके जीवन में मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यदि आप भगवान शिव की भक्ति को गहराई से अनुभव करना चाहते हैं, तो शिव स्तुति इन संस्कृत आपके लिए एक अद्भुत साधन हो सकता है। इसके साथ आप अन्य उपयोगी स्तुति और मंत्र भी पढ़ सकते हैं जैसे – Shiv Mantra , Shiv Tandav Stotram और Shiv Chalisa Lyrics।

इसका पाठ करने का सरल और प्रभावी विधि

अगर आप चाहते हैं कि पाठ का असर मन और जीवन दोनों पर पड़े, तो इसे सही तरीके से करना ज़रूरी है। यहां आपकोShiv Stuti Lyrics in Sanskrit का पाठ करने की आसान और असरदार विधि मिल रही है-

  1. शुद्धता: सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें, स्थान को साफ़ रखें और मन को भी शांत करें ताकि शिव स्तुति में पूरी तरह मन लगाया जा सके।
  2. शिव प्रतिमा: घर में शिवलिंग, शिव जी की मूर्ति या फोटो के सामने आसन बिछाकर बैठें। दीपक और अगरबत्ती जलाकर वातावरण को पवित्र करें।
  3. जल अर्पण: शिव जी को बिल्वपत्र, सफेद पुष्प और शुद्ध जल अर्पित करें, यह क्रिया भक्ति और श्रद्धा को प्रकट करती है।
  4. पाठ करें: अब Shiv Stuti in Sanskrit का पाठ शुद्ध उच्चारण के साथ करें और हर श्लोक को ध्यानपूर्वक पढ़ें और उसके भाव को समझने का प्रयास करें।
  5. स्मरण करें: पाठ करते समय शिव जी के दिव्य स्वरूप का ध्यान करें। यह मन को एकाग्र करता है और पाठ को अधिक प्रभावशाली बनाता है।
  6. समापन: स्तुति के समापन पर शिव जी से आशीर्वाद की प्रार्थना करें कि वे जीवन में शांति, ज्ञान और शक्ति प्रदान करें।
  7. नियमित अभ्यास: इस विधि का पालन करके प्रतिदिन पाठ करना अत्यंत शुभ होता है। धीरे-धीरे इसका प्रभाव जीवन में सकारात्मक बदलाव लाता है।

जब पाठ श्रद्धा और सही विधि से किया जाए, तो उसका प्रभाव गहराई तक जाता है। अब आप भी इसे अपनाएं और रोज़ाना के अनुभव में बदलाव महसूस करें।

FAQ

क्या इसे संस्कृत में पढ़ना जरूरी है?

जरूरी नहीं, लेकिन संस्कृत में पढ़ने से विशेष आध्यात्मिक लाभ मिलते हैं।

क्या इसका उच्चारण कठिन होता है?

इसका पाठ कब पढ़ना चाहिए?

शिव स्तुति और शिव तांडव में क्या अंतर है?

Share

Leave a comment