तरुण वीर देश के मूर्त वीर देश के देशभक्ति गीत लिरिक्स

तरुण वीर देश के मूर्त वीर देश के गीत युवाओं और वीर सैनिकों की साहस और समर्पण को समर्पित है। यह देशभक्ति गीत हमें अपने देश के लिए अपने कर्तव्यों को निभाने और देश की सेवा में अग्रणी रहने की प्रेरणा देता है। आइए, इस गीत के माध्यम से हम देशभक्ति की असली भावना को समझें।

Tarun Veer Desh Ke Murt Veer Desh Ke Deshbhakti Geet Lyrics

तरुण वीर देश के मूर्त वीर देश के।
जाग जाग जाग रे मातृ भू पुकारती,
तरुण विर देश के मूर्त वीर देश के।।

शत्रु अपने शीश पर आज चढ के बोलता,
शक्ति के घमण्ड मे देश मान तोलता।
पार्थ की समाधि को शम्भु के निवास को,
देख आँख खोल तू अर्गला टटोलता,
अस्थि दे कि रक्त तू।
वज्र दे कि शक्ति तू,
कीर्ति है खडी हुई आरती उतारती।
मातृ भू पुकारती,
तरुण विर देश के मूर्त विर देश के।।

आज नेत्र तीसरा रुद्र देव का खुले,
ताण्डव के तान पर काँप व्योम भू डुले।
मानसर पे जो उठी बाहु शीघ्र ध्वस्त हो,
बाहु-बाहु वीर की स्वाभिमान से खिले।
जाग शंख फूंक रे,
शूर यों न चूक रे।
मातृभूमि आज फिर है तुझे निहारती,
मातृ भू पुकारती,
तरुण विर देश के मूर्त विर देश के।।

आज हाथ रिक्त क्यों जन-जन विक्षिप्त क्यों,
शस्त्र हाथ मे लिये करके तिरछी आज भौं।
देश-लाज के लिए रण के साज के लिए,
समय आज आ गया तू खडा है मौन क्यों,
करो सिंह गर्जना।
शत्रु से है निबटना,
जय निनाद बोल रे है अजेय भारती।
मातृ भू पुकारती,
तरुण विर देश के मूर्त विर देश के।।

तरुण विर देश के मूर्त विर देश के,
जाग जाग जाग रे मातृ भू पुकारती।
जाग जाग जाग रे मातृ भू पुकारती,
तरुण विर देश के मूर्त विर देश के।।


वीरता और समर्पण की मिसाल प्रस्तुत करता यह गीत तरुण वीर देश के मूर्त वीर देश के हमें अपने देश के लिए गर्व महसूस कराने का अवसर देता है। इसी भावना के साथ आप जिनके ओजस्वी वचनों से गूंज उठा था विश्व गगन, चंदन है इस देश की माटी देशभक्ति गीत लिरिक्स, होठों पे सच्चाई रहती है जहाँ दिल में सफ़ाई रहती है लिरिक्स को भी पढ़ सकते हैं, जो हमारे देश प्रेम को और प्रगाढ़ करते हैं।

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