उज्जैन के राजा है राजा महाराजा है भजन लिरिक्स

उज्जैन के राजा है राजा महाराजा है भजन में महाकाल की महिमा का गुणगान किया गया है। यह भजन उज्जैन के महाकाल के दरबार में भक्तों की श्रद्धा और भक्ति को व्यक्त करता है। महाकाल के भक्तों के लिए यह भजन उनके जीवन में आशीर्वाद और शांति की कामना करता है। इस भजन को पढ़ने से एक भक्त अपने जीवन में महाकाल की उपस्थिति और उनकी कृपा को महसूस करता है। इस भजन में महाकाल के दरबार और उनके सामर्थ्य का बखान किया गया है, और यह उज्जैन की पवित्र भूमि की विशेषता को उजागर करता है।

Ujjain Ke Raja Hai Maharaja Hai

उज्जैन के राजा है,
राजा महाराजा है।
पार्वती के प्यारे,
मेरे भोले बाबा।
माँ गौरा के प्यारे,
मेरे भोले बाबा।।

हर जनम में माँ गौरा के,
शिव शंकर श्रृंगार बने,
अपने नंदीगण के लिए भी।
शिव उनका परिवार बने,
मस्तक पे चंदा है।
जटा में गंगा है,
फिर कहलाते जोगी,
कैसा अचंभा है।
रूप कैसा रचा रे,
मेरे भोले बाबा,
माँ गौरा के प्यारे,
मेरे भोले बाबा।।

मौत को मेरे शंकर ने,
अपने गले में पहना है।
काल भी इनका सेवक है,
भोले का क्या कहना है,
कैलाश वासी है।
हरते उदासी है,
किस्मत कहते है जिसको,
वह शिव की दासी है,
मुझको सबसे प्यारे।
मेरे महाकाल राजा,
माँ गौरा के प्यारे,
मेरे भोले बाबा।।

कहने वाले शिव जी को,
औघड़दानी कहते है।
पर भोले शमशान छोड़ के,
दिल में हमारे रहते है,
मैं भी भिखारी हूँ,
शिव मेरे दाता है।
छोटा सा जीवन मेरा,
शिव से चल पाता है,
‘किशन भगत’ तेरा लाल।
मेरे भोले बाबा,
माँ गौरा के प्यारे,
मेरे भोले बाबा।।

उज्जैन के राजा है,
राजा महाराजा है।
पार्वती के प्यारे,
मेरे भोले बाबा।
माँ गौरा के प्यारे,
मेरे भोले बाबा।।

इस भजन में महाकाल की महिमा और उनके दरबार की शक्ति का बखान किया गया है। महाकाल के भक्तों के लिए, उज्जैन की धरती पर महाकाल का वास है, जो उनके जीवन में सुख और शांति लाता है। इसी तरह के अन्य भजनों, जैसे शिव रात्रि की महिमा और महाकाल की गुलामी, में भी महाकाल की पूजा और उनके प्रति आस्था को महत्व दिया गया है। इन भजनों को पढ़ने से भक्तों की श्रद्धा और भक्ति और भी गहरी होती है।

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