तेरे दरश को आए भोले तेरी शरणों में शिव भजन लिरिक्स

तेरे दर्शन को आए भोले, तेरी शरणों में यह भजन उन सभी भक्तों का आह्वान करता है जो भोलेनाथ की पवित्र शरण में अपना सर्वस्व समर्पित कर देना चाहते हैं। शिव जी की महानता, उनकी उपस्थिति, और उनके प्रति भक्तों की निष्ठा को इस भजन के माध्यम से जीवंत किया गया है। मैं, पंडित सत्य प्रकाश, इस भजन के साथ आपको शिव जी के दरबार में आने और उनकी कृपा पाने की प्रेरणा देने के लिए आमंत्रित करता हूँ।

Tere Darash Ko Aay Bhole Teri Sharano Me

तेरे दरश को आए भोले…
तेरी शरणों में,
कर उपकार सदा हम रहते,
तेरे चरणों में,
भोले तू ही मै तू माया है…
नीलकंठ विषकाया है,
हे गिरिजापति शंभू महादेवा,
भोलेनाथ जी सृष्टि के रखवारे…
भोलेनाथ जी सबके पालनहारे,
हे कैलाशी अविनाशी डमरूवाले,
भोलेनाथ तेरे भक्त बड़े मतवाले…
हर हर शंभू, हर हर शंभू,
हर हर शंभू, हर हर शंभू।।

हे भक्तों के दुखहर्ता,
गौरावर शिव भंडारी…
तू जग पालनहार प्रभु,
तूने ही दुनिया तारी…
तुम दीनबंधु कहलाते,
तेरे भक्त सदा मिल गाते…
हर हर शंभू, हर हर शंभू,
हर हर शंभू, हर हर शंभू।।

तेरे मस्तक से निकली है,
ये गंगा की धारा,
सारे जग को रोशन करता…
चंदा का उजियारा,
मन मस्त मगन हो गाए,
शिव तेरा ध्यान लगाए…
हर हर शंभू, हर हर शंभू,
हर हर शंभू, हर हर शंभू।।

हे बाघंबर जटाधारी शिव,
तुम जग के आधार…
विषधारी त्रिलोकी शंभू,
तू ही सबका सार…
देवों के हो महादेव तुम,
अंग भभूत रमाए,
अगड़ बम कहलाए शंकर,
सब जन तुमको ध्याये।।

तेरे दरश को आए भोले…
तेरी शरणों में,
कर उपकार सदा हम रहते,
तेरे चरणों में,
भोले तू ही मै तू माया है…
नीलकंठ विषकाया है,
हे गिरिजापति शंभू महादेवा,
भोलेनाथ जी सृष्टि के रखवारे…
भोलेनाथ जी सबके पालनहारे,
हे कैलाशी अविनाशी डमरूवाले,
भोलेनाथ तेरे भक्त बड़े मतवाले…
हर हर शंभू, हर हर शंभू,
हर हर शंभू, हर हर शंभू।।

तेरे दर्शन को आए भोले, तेरी शरणों में भजन में भगवान शिव की वह शरण ली जाती है, जहाँ उनके भक्तों को संपूर्ण शांति और सुख की प्राप्ति होती है। शिव जी की भक्ति में जो व्यक्ति पूर्ण रूप से समर्पित हो जाता है, वह हर संकट से उबर जाता है। इस भजन के बाद, आप तेरे डमरू की धुन सुनके मैं काशी नगरी आई हूँ, शिव ने श्रृंगार किया है गौरा क्या बाकी, देवों के देव हैं ये महादेव, और शिव ही सत्य है शिव ही सुंदर जैसे भजनों को भी अवश्य पढ़ें, ताकि आपकी शिव भक्ति और भी प्रगाढ़ हो। जय महाकाल!

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