सूर्य स्तोत्र: सूर्य देव की कृपा पाने का दिव्य स्तुति मार्ग

सूर्य स्तोत्र एक अत्यंत प्रभावशाली वैदिक स्तुति है जो सूर्य देव की महिमा का वर्णन करती है। इसका नियमित पाठ साधक को आरोग्यता, आत्मबल और जीवन में सफलता प्रदान करता है। Surya Stotra सूर्य देव को प्रसन्न करने का श्रेष्ठ माध्यम है जो उन्हें हृदय से पुकारता है। आपके पाठ को सरल और प्रभवि बनाने के लिए हमने यहां सम्पूर्ण पाठ और पाठ की विधि को यह उपलब्ध कराया है-

Surya Stotra

विकर्तनो विवस्वांश्च मार्तण्डो भास्करो रविः।
लोक प्रकाशकः श्री मांल्लोक चक्षुर्मुहेश्वरः॥
लोकसाक्षी त्रिलोकेशः कर्ता हर्ता तमिस्रहा॥१॥

तपनस्तापनश्चैव शुचिः सप्ताश्ववाहनः।
गभस्तिहस्तो ब्रह्मा च सर्वदेवनमस्कृतः॥
एकविंशतिरित्येष स्तव इष्टः सदा रवेः॥२॥

Surya Stotraविकर्तनो विवस्वांश्च मार्तण्डो भास्करो रविः।
लोक प्रकाशकः श्री मांल्लोक चक्षुर्मुहेश्वरः॥
लोकसाक्षी त्रिलोकेशः कर्ता हर्ता तमिस्रहा॥१॥तपनस्तापनश्चैव शुचिः सप्ताश्ववाहनः।
गभस्तिहस्तो ब्रह्मा च सर्वदेवनमस्कृतः॥
एकविंशतिरित्येष स्तव इष्टः सदा रवेः॥२॥

यदि आप सूर्य देव की भक्ति में और गहराई से उतरना चाहते हैं, तो हमारा लेख सूर्य बीज मंत्र ज़रूर पढ़ें। इसके अतिरिक्त, सूर्य देव के 12 नाम भी आपकी साधना को और प्रभावी बना सकते हैं। सूर्य आराधना में सूर्य देव की आरती का पाठ भी अत्यंत फलदायी माना गया है। इन सभी साधनों को साथ लेकर आप Surya Stotra का पाठ और भी श्रद्धा एवं शक्ति से कर सकते हैं।

इसका पाठ करने की सही विधि

स्तोत्र का पाठ करने की विधि सभी स्थानो पर एक समान नहीं होती है इसलिए आप अपनी सुविधा के अनुसार किसी भी विधि से इसका पाठ कर सकते है, लेकिन यह एक सरल और प्रभावी विधि को दिया गया है जो आपके लिए उपयोगी हो सकती है-

  1. स्नान कर पवित्र वस्त्र: शुभ फल के लिए Surya Stotra In Hindi का पाठ प्रातः कालीन समय में स्नान के पश्चात स्वच्छ लाल वस्त्र पहनकर करें।
  2. दिशा और आसन: सूर्य की ऊर्जा को आकर्षित करने के लिए पूर्व दिशा की ओर मुख करके आसन पर बैठना चाहिए। आप सुखासन या पद्मासन में बैठकर जाप कर सकते है।
  3. ध्यान करें: सूर्य देव का चित्र या प्रतिमा सामने रखें और मन को शांत करके उनका ध्यान करें। गंध, पुष्प और दीपक अर्पित करें।
  4. पाठ करें: संपूर्ण स्तोत्र को स्पष्ट उच्चारण के साथ श्रद्धापूर्वक पढ़ें। हो सके तो इसका अर्थ भी समझें ताकि भक्ति और भी गहराई से उतरे।
  5. अर्घ्य अर्पित करें: एक तांबे के लोटे में जल भरकर उसमें लाल फूल, अक्षत व रोली डालें और सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें। यह क्रिया पूरे पाठ को पूर्णता प्रदान करती है।

श्रद्धा और नियमपूर्वक किया गया सूर्य स्तोत्र पाठ मन, वाणी और शरीर को दिव्यता से भर देता है। आशा है यह विधि आपकी साधना को सार्थक बनाएगी।

FAQ

इस स्तोत्र को कब पढ़ा जाता है?

क्या इस स्तोत्र से आरोग्य लाभ होता है?

क्या इसे रोज़ पढ़ सकते हैं?

बिलकुल, इसे प्रतिदिन पढ़ना अत्यंत शुभ माना गया है। विशेष रूप से रविवार को इसका महत्व और अधिक होता है।

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