भगवान अयप्पा दक्षिण भारत के प्रमुख देवताओं में से एक हैं, जिन्हें शनि और विष्णु के पुत्र रूप में पूजा जाता है। विशेष रूप से सबरीमाला यात्रा में उनका नाम श्रद्धा से लिया जाता है। अयप्पा गायत्री मंत्र विशेष रूप से उन साधकों के लिए है जो कठिन जीवन परिस्थितियों में भी आत्मबल बनाए रखना चाहते हैं। Ayyappa Gayatri Mantra का जाप मन की शुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति के लिए अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है।
Ayyappa Gayatri Mantra Lyrics
ॐ भूतानाथाय विद्महे महा देवाय धीमहि तन्नो शास्ता प्रचोदयात्॥
ॐ भूतानाथाय विद्महे भवा-पुत्राय धीमहि तन्नो शास्ता प्रचोदयात्॥
ॐ भूतानाथाय विद्महे भवा-नंदनाय धीमहि तन्नो शास्ता प्रचोदयात्॥
Ayyappa Gayatri Mantra Meaning: हम हरि (विष्णु) और हर (शिव) के आत्मज, धर्म के संरक्षक भगवान अयप्पा को जानें, उनका ध्यान करें और वे हमें सद्बुद्धि व शक्ति प्रदान करें।

यदि अयप्पा गायत्री मंत्र ने आपके मन को शांति दी है, तो आप हमारे अन्य शक्तिशाली मंत्र जैसे राघवेंद्र गायत्री मंत्र, मुरुगन गायत्री मंत्र, और दत्त गायत्री मंत्र भी अवश्य पढ़ें। प्रत्येक मंत्र एक विशेष दिव्यता लिए हुए है, जो आपकी साधना को गहराई और शक्ति प्रदान करता है। सभी मंत्रों को जानने के लिए हमारी गायत्री मंत्र श्रेणी पर एक बार ज़रूर जाएं।
इस मंत्र के जाप करने की मुख्य विधि
- शुभ दिन का चयन करें: अयप्पा भगवान गायत्री मंत्र का जाप किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन शनिवार, रविवार या मकर संक्रांति जैसे पर्वों पर शुरू करना विशेष फलदायक माना जाता है।
- ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें: प्रातः ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) में स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। सफेद या केसरिया वस्त्र विशेष रूप से शुभ माने जाते हैं।
- पूजा स्थान तैयार करें: घर के किसी शांत और स्वच्छ स्थान पर भगवान अयप्पा की फोटो या मूर्ति स्थापित करें। दीपक, अगरबत्ती, फूल और नैवेद्य (फल/मीठा) साथ रखें।
- ध्यान साधना करें: जाप शुरू करने से पहले कुछ क्षण आंखें बंद कर भगवान अयप्पा का ध्यान करें। अपने मन को एकाग्र करें और उनके चरणों में समर्पण भाव रखें।
- मंत्र का उच्चारण करें: अब भगवान का ध्यान करते हुए पूरी श्रद्धा के साथ इस मंत्र का जाप करें।
- जाप की संख्या: रोज़ाना कम से कम 108 बार इस मंत्र का जाप करें। रुद्राक्ष या तुलसी की माला का उपयोग जाप में करें ताकि गिनती और ध्यान दोनों में एकाग्रता बनी रहे।
- अर्पण सामग्री चढ़ाएं: भगवान अयप्पा को काले चने, गुड़, नारियल और तुलसी के पत्ते विशेष रूप से प्रिय होते हैं। इन्हें प्रेमपूर्वक अर्पित करें।
- जाप के बाद आरती: जाप समाप्त होने पर “स्वामीये शरणम अय्यप्पा” का उच्चारण करें और अयप्पा स्वामी की आरती गाएं। इससे पूजा पूर्ण मानी जाती है।
- नियम पालन करें: यदि आप इस मंत्र का 41 दिन का व्रत-जाप कर रहे हैं, तो संयमित आहार, ब्रह्मचर्य पालन और सादा जीवनशैली अपनाएं। ये अयप्पा साधना की मूल आत्मा हैं।
अयप्पा देव गायत्री मंत्र का विधिपूर्वक और श्रद्धा से जाप करने से मन की एकाग्रता बढ़ती है, आत्मबल मिलता है, और भगवान अयप्पा स्वामी की कृपा से जीवन में हर संकट का समाधान मिलता है।
FAQ
यह मंत्र किस देवता को समर्पित है?
यह मंत्र भगवान अयप्पा को समर्पित है जो शिव और विष्णु के स्वरूप माने जाते हैं।
मंत्र का नियमित जाप किन लाभों को देता है?
आत्मबल, शत्रु बाधा से मुक्ति, मानसिक शांति और भक्तिपथ में स्थिरता।
क्या स्त्रियाँ भी इस मंत्र का जाप कर सकती हैं?
जी हाँ, सामान्य भक्ति भावना से कोई भी साधक इसका जाप कर सकता है।

मैं श्रुति शास्त्री , एक समर्पित पुजारिन और लेखिका हूँ, मैं अपने हिन्दू देवी पर आध्यात्मिकता पर लेखन भी करती हूँ। हमारे द्वारा लिखें गए आर्टिकल भक्तों के लिए अत्यंत उपयोगी होते हैं, क्योंकि मैं देवी महिमा, पूजन विधि, स्तोत्र, मंत्र और भक्ति से जुड़ी कठिन जानकारी सरल भाषा में प्रदान करती हूँ। मेरी उद्देश्य भक्तों को देवी शक्ति के प्रति जागरूक करना और उन्हें आध्यात्मिक ऊर्जा से ओतप्रोत करना है।View Profile