ब्रह्मा गायत्री मंत्र: जानें सृष्टिकर्ता ब्रह्मा जी का मंत्र,अर्थ और उसकी जाप विधि

भगवान ब्रह्मा सृष्टि के रचयिता हैं और उनकी आराधना से विद्या, सृजनात्मकता और मानसिक स्पष्टता की प्राप्ति होती है। ब्रह्मा गायत्री मंत्र एक दिव्य वैदिक मंत्र है, जो ब्रह्मा जी की कृपा पाने और सृजनात्मक शक्ति को जागृत करने का अद्भुत माध्यम है। यदि आप Brahma Gayatri Mantra खोज रहे हैं, तो यहां आपको Brahma Gayatri Mantra In Hindi, और उसकी जाप विधि एक साथ मिलेंगे।

Brahma Gayatri Mantra

ॐ वेदात्मने विद्महे हिरण्यगर्भाय धीमहि तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात्॥
ॐ चतुर्मुखाय विद्महे कमण्डलु धाराय धीमहि तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात्॥
ॐ परमेश्वर्याय विद्महे परतत्वाय धीमहि तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात्॥

Brahma Gayatri Mantra

ॐ वेदात्मने विद्महे हिरण्यगर्भाय धीमहि तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात्॥
ॐ चतुर्मुखाय विद्महे कमण्डलु धाराय धीमहि तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात्॥
ॐ परमेश्वर्याय विद्महे परतत्वाय धीमहि तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात्॥

मंत्र का अर्थ- हम ब्रह्मा जी को जानते हैं, जो सम्पूर्ण वेदों के आत्मस्वरूप हैं। हम हिरण्यगर्भ ब्रह्मा जी का ध्यान करते हैं, वे हमें सृजन की दिशा में प्रेरित करें।

ब्रह्मा गायत्री मंत्र लिरिक्स को पढ़ना विद्यार्थियों, कलाकारों और सृजनशील लोगों के लिए विशेष रूप से फलदायी होता है। यदि आप ज्ञान और बुद्धि से जुड़े अन्य वैदिक स्तोत्रों की तलाश में हैं, तो सरस्वती वंदना, गायत्री मंत्र, और विद्या प्राप्ति मंत्र भी अवश्य पढ़ें। यह सभी मंत्र मानसिक विकास, स्मरण शक्ति और सृजनात्मक ऊर्जा को बढ़ाने में सहायक हैं।

ब्रह्मा देव गायत्री मंत्र की मुख्य जाप विधि

  1. प्रातः स्नान: प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें। साफ वस्त्र पहनें और शांत, पवित्र स्थान पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
  2. आसन और ध्यान: कुशासन, कम्बल या ऊन के आसन पर बैठें। आंखें बंद करके कुछ क्षण ब्रह्मा जी का ध्यान करें – उनके चार मुख, वेद, कमंडल, और हंस वाहन का स्मरण करें।
  3. दीपक और धूप: सामने तांबे या पीतल के पात्र में जल, पुष्प और दीपक रखें। हल्की धूप या अगरबत्ती जलाकर वातावरण को सात्विक बनाएं।
  4. संकल्प करें: “मैं ब्रह्मा जी की कृपा प्राप्ति हेतु श्रद्धा से ब्रह्मा गायत्री मंत्र का जाप कर रहा/रही हूं” – ऐसा मन में संकल्प लें।
  5. मंत्र का जाप: अब मंत्र का जाप करें- जप माला (रुद्राक्ष, तुलसी या चंदन) से 108 बार या अपनी क्षमता अनुसार 11, 21 या 51 बार जाप करें।
  6. अंत में प्रार्थना करें:जाप के पश्चात ब्रह्मा जी से ज्ञान, विवेक, और सृजनात्मक शक्ति की प्रार्थना करें। उन्हें पुष्प अर्पण करें और शांति मंत्र का उच्चारण करें – ॐ शांति: शांति: शांति:।

FAQ

इस मंत्र का जाप कब करें?

प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त या सूर्योदय से पूर्व जाप करना सर्वश्रेष्ठ होता है। इसे शांत वातावरण में श्रद्धा से जपना चाहिए।

क्या इसे बिना पंडित के जप सकते हैं?

इस मंत्र का जाप किस उद्देश्य से किया जाता है?

क्या यह मंत्र विद्यार्थियों के लिए उपयोगी है?

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