सात समंदर कूद फांद के लंका नगरी आ गए भजन लिरिक्स

सात समंदर कूद फांद के लंका नगरी आ गए भजन हनुमान जी की अद्भुत शक्ति, अटूट भक्ति और अद्वितीय पराक्रम को दर्शाता है। यह भजन उस ऐतिहासिक क्षण की याद दिलाता है जब पवनपुत्र हनुमान जी ने श्रीराम के दूत बनकर विशाल समुद्र को पार किया और लंका पहुंचकर माता सीता का पता लगाया। यह कथा न केवल उनकी अपार शक्ति को दर्शाती है बल्कि उनकी बुद्धिमत्ता और भक्ति का भी प्रमाण देती है।

Saat Samundar Kood Fandh Ke Lanka Nagari aa Gaye

सात समंदर कूद फांद के,
लंका नगरी आ गए
देखो लंका नगरी आ गए,
ऐसा किया बवाल
ऐसा किया बवाल,
देख लंकावासी घबरा गए
सात समुन्दर कूद फांद के,
लंका नगरी आ गए।।

लंकापुर पहुंचे हनुमत जी,
किया प्रभु का ध्यान
मात सिया को खोजे पवनसुत,
लंका में अनजान
असुरों संग बैठी,
असुरों संग बैठी मेरी माँ
ये देख क्रोध में आ गए,
सात समुन्दर कूद फांद के,
लंका नगरी आ गए।।

राम निशानी लिए पवनसुत,
पहुंचे माँ के पास
देख निशानी जनकनन्दिनी,
व्याकुल भई उदास
हनुमत मेरे प्राण,
हनुमत मेरे प्राणनाथ को
छोड़ कहाँ तुम आ गए,
सात समुन्दर कूद फांद के,
लंका नगरी आ गए।।

भूख लगी ले आज्ञा पवनसुत,
चले बगिया की ओर
तोड़ तोड़ फल खाने लगे और,
फेंके चारों ओर
देख तबाही,
देख तबाही बगिया की
रावण के सैनिक आ गए,
सात समुन्दर कूद फांद के,
लंका नगरी आ गए।।

बनाके बंदी रावण सन्मुख,
खूब किया अपमान
सहन हुआ नही रावण से,
लगवा दी पूंछ में आग
क्रोधित बजरंगी,
क्रोधित बजरंगी लंका में,
आग लगाके आ गए
सात समुन्दर कूद फांद के,
लंका नगरी आ गए।।

सात समंदर कूद फांद के,
लंका नगरी आ गए
देखो लंका नगरी आ गए,
ऐसा किया बवाल
ऐसा किया बवाल,
देख लंकावासी घबरा गए
सात समुन्दर कूद फांद के,
लंका नगरी आ गए।।

हनुमान जी का लंका जाना केवल एक यात्रा नहीं, बल्कि भक्त के परम कर्तव्य और धर्म की सर्वोच्च परीक्षा थी। सात समंदर कूद फांद के लंका नगरी आ गए भजन हमें यह सिखाता है कि जब सच्ची श्रद्धा और ईश्वर में अटूट विश्वास हो, तो दुनिया की कोई भी बाधा भक्त को रोक नहीं सकती। इस भजन को सुनकर भक्तों के मन में साहस और भक्ति की भावना जागृत होती है। हम भी अपने जीवन के संघर्षों का सामना करने के लिए हनुमान जी से शक्ति और आशीर्वाद मांगते हैं। जय बजरंग बली!

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