दीपावली लक्ष्मी पूजा का हमारे जीवन में बहुत बड़ा महत्व है। ऐसा माना जाता है कि दीपावली के दिन विधि-विधान से की गई पूजा से घर में धन, सुख और समृद्धि आती है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि Deepavali Lakshmi Pooja कैसे करें, कौन-कौन सी चीज़ें ज़रूरी होती हैं, और इससे क्या-क्या लाभ मिलते हैं-

दीपावली और लक्ष्मी पूजन का महत्व
दीपावली, जिसे दिवाली भी कहा जाता है, हिंदू धर्म का सबसे बड़ा और पावन पर्व है। यह अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ने का प्रतीक है। इस दिन विशेष रूप से लक्ष्मी माता की पूजा की जाती है, जो धन, समृद्धि और सौभाग्य की देवी हैं। दीपों की रौशनी, सजावट और पूजा-पाठ से घर-परिवार में सुख-शांति और समृद्धि का आगमन होता है।
दीपावली 2025: लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त
2025 में दीपावली का पर्व सोमवार, 20 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा। इस दिन कार्तिक अमावस्या तिथि रहेगी, जो लक्ष्मी पूजा के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है। लक्ष्मी पूजन का सबसे उत्तम समय प्रदोष काल में होता है, विशेषकर जब वृषभ लग्न हो, क्योंकि इसे स्थिर लग्न माना जाता है। इसमें की गई पूजा से माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
Deepavali Pooja Time
अवसर | समय |
---|---|
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त | शाम 7:36 बजे से रात 8:40 बजे तक |
प्रदोष काल | शाम 6:10 बजे से रात 8:40 बजे तक |
वृषभ लग्न | शाम 7:36 बजे से रात 9:34 बजे तक |
अमावस्या तिथि | 20 अक्टूबर दोपहर 3:44 बजे से 21 अक्टूबर शाम 5:54 बजे तक |
इस मुहूर्त में पूजा करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है।
Deepavali Lakshmi Pooja की आसान विधि
समृद्धि, सुख और शांति पाने के लिए करें दीपावली लक्ष्मी पूजा इस सम्पूर्ण विधि से-
चरण 1: घर की शुद्ध सफाई करें
- दीपावली पर लक्ष्मी माता के स्वागत के लिए घर की सफाई बेहद आवश्यक मानी जाती है।
- घर के हर कोने को झाड़ू-पोंछा करके अच्छे से साफ करें।
- दरवाजों, खिड़कियों और पूजा स्थल की विशेष सफाई करें।
- सफाई के बाद पूरे घर में गंगाजल (गंगा का पवित्र जल) का छिड़काव करें ताकि वातावरण शुद्ध हो जाए और सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो।
मान्यता: लक्ष्मी माता वहीं निवास करती हैं जहां सफाई और पवित्रता हो।
चरण 2: पूजा स्थल की सजावट करें
- अब अपने पूजा स्थल यानि जहां पूजा करनी हो उस स्थान पर व्यवस्था करें।
- इसके लिए एक लकड़ी की चौकी या टेबल पर लाल या पीले रंग का साफ सूती कपड़ा बिछाएं।
- उस कपड़े के बीचों-बीच साबुत अनाज का एक छोटा ढेर लगाएं, जो स्थायित्व और समृद्धि का प्रतीक होता है।
चरण 3: कलश की स्थापना करें
- कलश को देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है।
- अनाज के ढेर के बीच एक चांदी, तांबे या पीतल का कलश रखें।
- इसमें लगभग 3/4 भाग तक पानी भरें।
- इसमें एक सुपारी, एक गेंदे का फूल, चावल के कुछ दाने और एक सिक्का डालें।
- कलश के मुख पर 5 आम के पत्ते गोलाकार तरीके से रखें।
ध्यान दें: कलश के ऊपर एक नारियल भी रखा जा सकता है, जो सौभाग्य और पूर्णता का प्रतीक है।
चरण 4: मूर्ति को स्नान कराएं
- लक्ष्मी माता की मूर्ति को धीरे-धीरे जल से स्नान कराएं।
- फिर पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर) से स्नान कराएं।
- एक बार फिर शुद्ध जल से स्नान कराकर साफ कपड़े से पोंछें और स्थान पर पुनः स्थापित करें।
चरण 5: लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति स्थापित करें
- देवी लक्ष्मी की मूर्ति या फोटो को कलश के सामने बीच में रखें।
- भगवान गणेश की मूर्ति को दाईं ओर (दक्षिण-पश्चिम दिशा में) रखें।
- एक छोटी थाली में चावल का ढेर बनाएं, उस पर हल्दी से कमल का चित्र बनाएं और उस पर कुछ सिक्के रखें। इसे देवी के सामने रखें।
चरण 6: माला और श्रृंगार अर्पित करें
- मूर्ति को हल्दी, कुमकुम और अक्षत अर्पित करें।
- फूलों की सुंदर माला माता को पहनाएं।
- अगरबत्ती, धूप जलाएं और उन्हें समर्पित करें।
चरण 7: खाता-बही एवं व्यापारिक सामग्री रखें
- यदि आप व्यापारी हैं या नौकरी करते हैं, तो अपने खाता-बही, चेकबुक, पेन, धन से जुड़ी वस्तुएं भी पूजा स्थल पर रखें।
- इससे लक्ष्मी माता से धनवृद्धि और व्यवसाय में सफलता का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
चरण 8: तिलक लगाएं और दीप जलाएं
- अब देवी लक्ष्मी, भगवान गणेश और कलश पर रोली या कुमकुम से तिलक लगाएं।
- शुद्ध घी या तिल के तेल का दीपक जलाएं और पूजा की शुरुआत करें।
चरण 9: फूल अर्पित करें
- हमेशा देवी-देवताओं को सुंदर और ताजे फूल चढ़ाएं। गेंदे के फूल और कमल के फूल इस पूजा में चढान बहुत शुभ माना जाता है।
- पूजा के दौरान एक फूल अपनी हथेली में रखें, जिसे मंत्रोच्चार के पश्चात अर्पित करें।
चरण 10: मंत्रोच्चार और प्रार्थना करें
- अब आंखें बंद करें, हाथ जोड़ें और लक्ष्मी पूजन के मंत्रों का जाप करें। जैसे: ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः, ॐ लक्ष्मी देवी नमः .
- पूजा के बाद, हथेली में रखा फूल देवी को अर्पित करें।
चरण 11: नैवेद्य और भोग अर्पित करें
- माता को नारियल, सुपारी, पान का पत्ता अर्पित करें।
- घर की बनी मिठाइयां जैसे खीर, लड्डू, मालपुआ, फल आदि देवी को भोग लगाएं।
- पूजा के अंत में कुछ सिक्के और फूल मूर्ति के आगे रखें।
चरण 12: लक्ष्मी माता की आरती करें
- अब दीपक और घंटी लेकर “जय लक्ष्मी माता” की आरती करें।
- आरती के समय परिवार के सभी सदस्य शामिल हों और भक्तिभाव से गाएं।
चरण 13: समापन
पूजा के बाद देवी लक्ष्मी से आशीर्वाद मांगें कि वे आपके घर में सदैव वास करें, धन, समृद्धि, स्वास्थ्य और शांति बनाए रखें। पूजा समाप्त होने के बाद घर में दीपक जलते रहें और मिठाइयां प्रसाद के रूप में सभी को दें।
अगर आप चाहते हैं कि आपके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहे, तो इस Deepavali Lakshmi Pooja को श्रद्धा और सही विधि से करें। दीपावली केवल रोशनी का त्योहार नहीं, बल्कि आत्मा को भी प्रकाशित करने का अवसर है। अगर आपको यह लेख पसंद आया हो, तो आप हमारे Lakshmi Pooja और Tulsi Pooja Vidhi जैसे उपयोगी लेख भी ज़रूर पढ़ें — जो आपको धार्मिक रूप से और भी अधिक जागरूक बनाएंगे।
लक्ष्मी पूजन के लाभ
दीपावली के शुभ अवसर पर लक्ष्मी पूजन करने से न केवल आर्थिक उन्नति होती है, बल्कि मानसिक शांति, पारिवारिक सुख और जीवन में स्थिरता भी प्राप्त होती है। आइए जानते हैं लक्ष्मी पूजन के प्रमुख लाभ क्या हैं:
- आर्थिक समृद्धि: लक्ष्मी पूजन से धन-धान्य की प्राप्ति होती है। माता लक्ष्मी की कृपा से आय में वृद्धि होती है, व्यापार और नौकरी में सफलता मिलती है, और कर्ज-मुक्ति की दिशा में प्रगति होती है।
- सुख-शांति: लक्ष्मी जी को घर बुलाने का अर्थ केवल धन नहीं, बल्कि मानसिक सुख, पारिवारिक प्रेम और सौभाग्य को भी आमंत्रित करना होता है।
- सकारात्मक ऊर्जा: लक्ष्मी पूजन के दौरान दीप जलाना, मंत्रोच्चारण और स्वच्छता रखने से घर की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और सकारात्मकता का संचार होता है।
- व्यापार में उन्नति: जो व्यापारी और व्यवसायी लक्ष्मी पूजन विधिपूर्वक करते हैं, उन्हें व्यापार में उन्नति, ग्राहक वृद्धि और लाभ में वृद्धि के संकेत प्राप्त होते हैं।
लक्ष्मी पूजन केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक ऐसा आध्यात्मिक अनुभव है जो जीवन को हर स्तर पर समृद्ध करता है, आर्थिक, मानसिक और पारिवारिक।
FAQ
दीपावली पर लक्ष्मी पूजा का सही समय क्या होता है ?
लक्ष्मी पूजन अमावस्या की रात स्थिर लग्न में करना श्रेष्ठ माना गया है। खासकर वृषभ लग्न को शुभ माना जाता है।
लक्ष्मी माता को प्रसाद में सबसे ज्यादा क्या पसंद है ?
माता को मिश्री, खीर, नारियल और सूखे मेवे अत्यंत प्रिय हैं।
क्या दीपावली सिर्फ लक्ष्मी जी की पूजा होती है ?
नहीं, साथ में भगवान गणेश और कभी-कभी माता सरस्वती की भी पूजा की जाती है।

मैं आचार्य सिद्ध लक्ष्मी, सनातन धर्म की साधिका और देवी भक्त हूँ। मेरा उद्देश्य भक्तों को धनवंतरी, माँ चंद्रघंटा और शीतला माता जैसी दिव्य शक्तियों की कृपा से परिचित कराना है।मैं अपने लेखों के माध्यम से मंत्र, स्तोत्र, आरती, पूजन विधि और धार्मिक रहस्यों को सरल भाषा में प्रस्तुत करती हूँ, ताकि हर श्रद्धालु अपने जीवन में देवी-देवताओं की कृपा को अनुभव कर सके। यदि आप भक्ति, आस्था और आत्मशुद्धि के पथ पर आगे बढ़ना चाहते हैं, तो मेरे लेख आपके लिए एक दिव्य प्रकाश बन सकते हैं। जय माँ View Profile