Ganesh Sthapana Mantra | गणेश स्थापना मंत्र: शुभारंभ और सिद्धि का मार्ग

गणेश स्थापना मंत्र एक पवित्र मंत्र है जिसका उपयोग गणेश जी की उपस्थिति का स्वागत करने और उन्हें किसी स्थान या समारोह में स्थापित करने के लिए किया जाता है। माना जाता है कि Ganesh Sthapana Mantra का जाप करने से सकारात्मक ऊर्जा, मन की शुद्धि और ध्यान व एकाग्रता में सुधार आता है। हिंदू धर्म में गणेश जी को ज्ञान, समृद्धि और नई शुरुआत के देवता के रूप में पूजा जाता है, और किसी भी शुभ कार्य या पूजा की शुरुआत में उनका आह्वान विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है।

गणेश मंत्र में अक्सर गणेश जी के विभिन्न नामों जैसे वक्रतुंड, एकदंत, और लंबोदर का उल्लेख होता है, जो उनके विभिन्न गुणों और शक्तियों का प्रतीक हैं। इस मंत्र का उच्चारण करते हुए भक्त भगवान गणेश से आशीर्वाद की कामना करते हैं ताकि वे उनके मार्ग में आने वाली सभी बाधाओं को दूर करें। हमने आपकी सुविधा के लिए इस मंत्र को नीचे उपलब्ध कराया है जो इस प्रकार से है –

गणेश स्थापना मंत्र

॥आह्वाहन मंत्र ॥

गजाननं भूतगणादिसेवितम कपित्थजम्बू फल चारू भक्षणं,
उमासुतम शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वर पादपंकजम।

आगच्छ भगवन्देव स्थाने चात्र स्थिरो भव,
यावत्पूजा करिष्यामि तावत्वं सन्निधौ भव।

॥प्राण प्रतिस्ठा मंत्र ॥

अस्यैप्राणाः प्रतिष्ठन्तु अस्यै प्राणा क्षरन्तु च,
अस्यै देवत्वमर्चार्यम मामेहती च कश्चन।

॥आसान मंत्र ॥

रम्यं सुशोभनं दिव्यं सर्व सौख्यंकर शुभम,
आसनं च मया दत्तं गृहाण परमेश्वरः।

॥स्नान का मंत्र॥

गंगा सरस्वती रेवा पयोष्णी नर्मदाजलै:,
स्नापितोSसी मया देव तथा शांति कुरुश्वमे॥

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ,
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।

एकदन्तं महाकायं लम्बोदरगजाननम्ं,
विघ्नशकरं देवं हेरम्बं प्रणमाम्यहम्।

ॐ ग्लौम गौरी पुत्र,वक्रतुंड,गणपति गुरु गणेश,
ग्लौम गणपति,ऋदि्ध पति। मेरे दूर करो क्लेश।

एकदन्तं महाकायं लम्बोदरगजाननम्ं,
विघ्नशकरं देवं हेरम्बं प्रणमाम्यहम्।

इसके अलावा गणेश जी के अन्य मंत्रों जैसे Ganesh Gayatri Mantra, Ganesh Visarjan Mantra, Ganesh Vandana Mantra और Ganesh Stuti Mantra का जाप भी कर सकते है।

Ganesh Sthapana Mantra जाप विधि

मंत्र का जाप और गणपति स्थापना की विधि विशेष रूप से गणेश चतुर्थी या किसी भी शुभ अवसर की शुरुआत में की जाती है। यहाँ इसकी विधि के कुछ महत्वपूर्ण चरण दिए गए हैं:

  1. स्थान: गणेश जी की स्थापना के लिए एक पवित्र और स्वच्छ स्थान का चयन करें। घर का पूजा स्थल या पूर्व दिशा की ओर मुख करके स्थान आदर्श माना जाता है। स्थान को शुद्ध करने के लिए गंगाजल या साफ पानी का छिड़काव करें।
  2. मूर्ति स्थापना: मूर्ति स्थापित करने से पहले नहाकर स्वयं को शुद्ध कर लें। इसके बाद भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र को नए कपड़े, पीले वस्त्र या आसन पर रखें। मूर्ति की स्थापना करते समय गणेश स्थापना मंत्र का जाप करें।
  3. आचमन: पूजा की शुरुआत में अपने हाथों में जल लेकर संकल्प लें कि आप भगवान गणेश की विधिवत पूजा कर रहे हैं।संकल्प में पूजा का उद्देश्य, स्थान, समय, तिथि आदि का उल्लेख करें। आचमन करें यानी अपने हाथों में जल लेकर तीन बार पीएं ताकि तन और मन शुद्ध हो।
  4. पूजन सामग्री: पूजा के लिए धूप, दीप, फूल, दूर्वा (गणेश जी को अत्यंत प्रिय मानी जाती है), सिंदूर, चंदन, मोदक या मिठाई रखें। भगवान गणेश को पीले या लाल फूल अर्पित करें। दूर्वा अर्पित करते समय 21 दूर्वा अर्पण करना शुभ माना जाता है।
  5. मंत्र जाप: गणेश स्थापना मंत्र का जाप करते हुए पूजा करें। मंत्र जाप के बाद भगवान गणेश की आरती करें।
  6. प्रसाद वितरण: पूजा समाप्ति पर भगवान गणेश को मोदक या लड्डू का भोग अर्पित करें। पूजा में मौजूद सभी लोगों को प्रसाद वितरित करें।
  7. स्थापना: अंत में गणेश जी से प्रार्थना करें कि वे आपकी सभी बाधाओं को दूर करें और आपके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाएं।

इस विधि के अनुसार गणेश स्थापना मंत्र का जाप और पूजा करने से भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है और सभी कार्य शुभ होते हैं।

मंत्र जाप के लाभ

स्थापना मंत्र और पूजा करने के लाभ अनगिनत हैं। भगवान गणेश, जिन्हें विघ्नहर्ता (बाधाओं को दूर करने वाला) के रूप में भी जाना जाता है, उनकी पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता, समृद्धि, और सफलता आती है। यहां कुछ प्रमुख लाभ दिए गए हैं, जो इस प्रकार है-

  • बाधाओं निवारण: भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है, यानी वह सभी प्रकार की बाधाओं और कठिनाइयों को दूर करते हैं। गणेश स्थापना और उनके मंत्र का जाप करने से व्यक्ति के जीवन में आने वाली हर प्रकार की अड़चन और रुकावट दूर हो सकती है।
  • सफलता: गणेश जी की आशीर्वाद से व्यक्ति को नए प्रयासों में सफलता और तरक्की मिलती है। चाहे वह व्यापार हो, शिक्षा हो, या नौकरी में कोई नई शुरुआत गणेश जी की कृपा से हर कार्य में सफलता मिलती है।
  • खुशहाली: गणेश जी को रिद्धि-सिद्धि के दाता माना जाता है, अर्थात वे अपने भक्तों को समृद्धि, धन, और ऐश्वर्य का आशीर्वाद देते हैं। उनकी पूजा से परिवार में सुख-शांति और खुशहाली बनी रहती है।
  • एकाग्रता: स्थापना मंत्र का जाप करने से मन शांत होता है और एकाग्रता बढ़ती है। गणेश जी की पूजा से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और व्यक्ति को मानसिक शांति प्राप्त होती है।
  • ज्ञान में उन्नति: विद्यार्थी और ज्ञान के साधक गणेश जी का मंत्र जाप करते हैं तो उन्हें बुद्धि और ज्ञान में उन्नति मिलती है, जिससे वे अपने अध्ययन और कार्य में बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं।
  • सामंजस्य: गणेश जी की कृपा से परिवार और रिश्तों में सामंजस्य और प्रेम बना रहता है। वे पारिवारिक कलह और मतभेद को दूर कर, परिवार में एकता और सौहार्द बनाए रखते हैं।
  • स्वास्थ्य सुधार: गणेश जी की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में भी सुधार आता है।

गणेश स्थापना और स्थापना मंत्र का जाप करने से व्यक्ति के जीवन में हर प्रकार की सुख-समृद्धि, सफलता, और शांति का आगमन होता है।

FAQ

गणेश स्थापना मंत्र कब और कैसे जपना चाहिए?

यह मंत्र किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत में, जैसे शादी, नया व्यवसाय, या गृह प्रवेश पर जपा जा सकता है और इसे सुबह के समय करना सबसे शुभ माना जाता है।

क्या गणेश स्थापना केवल गणेश चतुर्थी पर की जा सकती है?

स्थापना में दूर्वा का महत्व क्या है?

गणेश स्थापना के बाद कितने दिन तक पूजा करनी चाहिए?

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