लक्ष्मी स्तोत्र: मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने वाला दिव्य पाठ

लक्ष्मी स्तोत्र एक अत्यंत प्रभावशाली स्तुति है जिसे माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए श्रद्धा से पढ़ा जाता है। यह पाठ न केवल धन-संपत्ति की प्राप्ति में सहायक होता है, बल्कि जीवन में सुख-शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करता है। यदि आप Lakshmi Stotra पाठ खोज रहे हैं, तो यह लेख आपके लिए उपयोगी रहेगा-

Lakshmi Stotra

नमस्तेऽस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते॥
शंखचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते ॥1॥

नमस्ते गरुडारूढे कोलासुरभयंकरि॥
सर्वपापहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते॥2॥

सर्वज्ञे सर्ववरदे देवी सर्वदुष्टभयंकरि ॥
सर्वदु:खहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते ॥3॥

सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनि ॥
मन्त्रपूते सदा देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते॥4॥

आद्यन्तरहिते देवि आद्यशक्तिमहेश्वरि॥
योगजे योगसम्भूते महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते॥5॥

स्थूलसूक्ष्ममहारौद्रे महाशक्तिमहोदरे ॥
महापापहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते॥6॥

पद्मासनस्थिते देवि परब्रह्मस्वरूपिणी॥
परमेशि जगन्मातर्महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते॥7॥

श्वेताम्बरधरे देवि नानालंकारभूषिते ॥
जगत्स्थिते जगन्मातर्महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते॥8॥

महालक्ष्म्यष्टकं स्तोत्रं य: पठेद्भक्तिमान्नर: ॥
सर्वसिद्धिमवाप्नोति राज्यं प्राप्नोति सर्वदा॥9॥

एककाले पठेन्नित्यं महापापविनाशनम्॥
द्विकालं य: पठेन्नित्यं धन्यधान्यसमन्वित:॥10॥

त्रिकालं य: पठेन्नित्यं महाशत्रुविनाशनम्॥
महालक्ष्मीर्भवेन्नित्यं प्रसन्ना वरदा शुभा॥11॥

इति श्री लक्ष्मी स्तोत्र सम्पूर्णम्

Lakshmi Stotraनमस्तेऽस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते॥
शंखचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते ॥1॥नमस्ते गरुडारूढे कोलासुरभयंकरि॥
सर्वपापहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते॥2॥सर्वज्ञे सर्ववरदे देवी सर्वदुष्टभयंकरि ॥
सर्वदु:खहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते ॥3॥सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनि ॥
मन्त्रपूते सदा देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते॥4॥आद्यन्तरहिते देवि आद्यशक्तिमहेश्वरि॥
योगजे योगसम्भूते महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते॥5॥स्थूलसूक्ष्ममहारौद्रे महाशक्तिमहोदरे ॥
महापापहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते॥6॥पद्मासनस्थिते देवि परब्रह्मस्वरूपिणी॥
परमेशि जगन्मातर्महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते॥7॥श्वेताम्बरधरे देवि नानालंकारभूषिते ॥
जगत्स्थिते जगन्मातर्महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते॥8॥महालक्ष्म्यष्टकं स्तोत्रं य: पठेद्भक्तिमान्नर: ॥
सर्वसिद्धिमवाप्नोति राज्यं प्राप्नोति सर्वदा॥9॥एककाले पठेन्नित्यं महापापविनाशनम्॥
द्विकालं य: पठेन्नित्यं धन्यधान्यसमन्वित:॥10॥त्रिकालं य: पठेन्नित्यं महाशत्रुविनाशनम्॥
महालक्ष्मीर्भवेन्नित्यं प्रसन्ना वरदा शुभा॥11॥इति श्री लक्ष्मी स्तोत्र सम्पूर्णम्

Lakshmi Stotra न केवल वैदिक शक्ति का प्रतीक है, बल्कि यह भक्त और देवी के बीच का एक सुंदर सेतु भी है। अगर आप लक्ष्मी बीज मंत्र, लक्ष्मी सूक्तम् या लक्ष्मी गायत्री मंत्र जैसे अन्य पाठों में भी रुचि रखते हैं, तो इन्हें अपने दैनिक जीवन में शामिल कर एक दिव्य ऊर्जा का अनुभव कर सकते हैं।

स्तोत्र का जाप करने की विधि

Shri Lakshmi Stotram का पाठ विधिपूर्वक करने से मां लक्ष्मी शीघ्र प्रसन्न होती हैं। चलिए जानते हैं इसकी सरल और प्रभावी विधि-

  1. स्थान: पाठ के लिए शांत, स्वच्छ और सकारात्मक वातावरण का चयन करे और हो सके तो उसे अच्छे से गंगाजल से साफ कर ले। आप चाहे तो साफ पानी से भी सफाई कर सकते है।
  2. स्नान : स्थ के साथ-साथ शरीर और मन की शुद्धता भी आवश्यक है, इसलिए स्नान करे और उसके बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें, विशेषकर सफेद या पीले रंग के वस्त्र शुभ माने जाते हैं।
  3. ध्यान करें: लक्ष्मी माता की मूर्ति या फोटो के सामने दीपक, धूप, फूल और नैवेद्य अर्पित करें। फिर आंखें बंद कर उनका ध्यान करें।
  4. उच्चारण: अब पूरे श्रद्धा और विश्वास के साथ Laxmi Stotram Lyrics का पाठ करें। यदि संभव हो तो कम से कम 11 बार या 108 बार इसका पाठ करें।
  5. प्रार्थना करें: पाठ के बाद माता की आरती करें और उनसे सुख, समृद्धि और शांति की प्रार्थना करें।

नियमित रूप से श्रद्धा और सच्चे मन से लक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करने से जीवन में सुख-शांति और ऐश्वर्य बना रहता है।

FAQ

लक्ष्मी जी का स्तोत्र किसने लिखा था?

यह स्तोत्र अनेक पुराणों में वर्णित है, लेकिन अधिकांश लोग इसे वेदों या लक्ष्मी उपासना पद्धति से जोड़ते हैं।

क्या इस स्तोत्र का पाठ शुक्रवार को विशेष फल देता है?

क्या महिलाएं मासिक धर्म में इसका पाठ कर सकती हैं?

इससे क्या लाभ मिलते हैं?

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