तुलसी जी के 108 नाम: जानें सही उच्चारण और महत्व

तुलसी जी के 108 नाम का जाप करना न केवल आध्यात्मिक लाभ देता है, बल्कि मन को भी शांति प्रदान करता है। तुलसी माता को हिन्दू धर्म में अत्यंत पवित्र और पूजनीय माना गया है, और Tulsi Ji Ke 108 Naam का स्मरण भक्तिभाव से किया जाता है। यह लेख आपको 108 names of tulsi के साथ-साथ उनके महत्व को भी सहज और सरल शब्दों में समझाने का प्रयास है-

Tulsi Ji Ke 108 Naam

  1. ॐ समायै नमः – ‘समा’ का अर्थ है शांत और संतुलित। यह नाम मानसिक शांति और स्थिरता प्रदान करता है।
  2. ॐ द्विरदायै नमः – ‘द्विरद’ यानी हाथी, जो बल और धैर्य का प्रतीक है। यह नाम शक्ति और धैर्य को दर्शाता है।
  3. ॐ आराद्यै नमः – जिसका अर्थ है पूजनीय। तुलसी माता को आराधना के योग्य माना गया है।
  4. ॐ यज्ञविद्यायै नमः – यज्ञ की विद्या की अधिष्ठात्री। तुलसी को यज्ञों में आवश्यक माना गया है।
  5. ॐ महाविद्यायै नमः – श्रेष्ठ ज्ञान की देवी, जो आध्यात्मिक मार्गदर्शन देती हैं।
  6. ॐ गुह्यविद्यायै नमः – रहस्यमयी और गुप्त ज्ञान की देवी, ध्यान और साधना में सहायक।
  7. ॐ कामाक्ष्यै नमः – कामना को पूर्ण करने वाली। भक्त की शुभ इच्छाओं की पूर्ति करने वाली शक्ति।
  8. ॐ कुलायै नमः – परिवार वंश की रक्षक और पालनकर्ता।
  9. ॐ श्रीयै नमः – श्री यानी लक्ष्मी स्वरूपा, जो धन, सौभाग्य और वैभव प्रदान करती हैं।
  10. ॐ भूम्यै नमः – धरती माता के रूप में, जो स्थिरता और सहनशीलता की प्रतीक हैं।
  11. ॐ भवित्र्यै नमः – पवित्रता का प्रतीक, जो जीवन को शुद्ध बनाती है।
  12. ॐ सावित्र्यै नमः – सूर्य की ऊर्जा से जुड़ी देवी, जो चेतना और जागरूकता देती हैं।
  13. ॐ सर्वेदविदाम्वरायै नमः – सभी विद्याओं में श्रेष्ठ, जो सम्पूर्ण ज्ञान का स्रोत हैं।
  14. ॐ शंखिन्यै नमः – शंख धारण करने वाली, जो शक्ति और विजय का प्रतीक है।
  15. ॐ चक्रिण्यै नमः – चक्र धारण करने वाली, जो रक्षा और संहार दोनों की क्षमता रखती हैं।
  16. ॐ चारिण्यै नमः – जो सदा चलायमान हैं, भक्तों के जीवन में गतिशीलता लाती हैं।
  17. ॐ श्री तुलस्यै नमः – स्वयं तुलसी माता, जो श्रद्धा और भक्ति का साकार रूप हैं।
  18. ॐ नन्दिन्यै नमः – आनंद देने वाली देवी, जो जीवन में प्रसन्नता भरती हैं।
  19. ॐ देव्यै नमः – देवी स्वरूप, जो संपूर्ण सृष्टि की जननी हैं।
  20. ॐ शिखिन्यै नमः – तेजस्विता और दीप्ति की प्रतीक।
  21. ॐ धारिण्यै नमः – जो संपूर्ण सृष्टि को धारण करती हैं। धरती और जीवन की संरक्षक
  22. ॐ धात्र्यै नमः – पालन करने वाली देवी। सभी जीवों की रक्षा और पोषण करने वाली।
  23. ॐ सावित्र्यै नमः – दिव्यता और ऊर्जा का प्रतीक। सूर्य देवता की शक्ति से जुड़ी।
  24. ॐ सत्यसन्धायै नमः – जो सत्य के प्रति दृढ़ संकल्पित हैं।
  25. ॐ कालहारिण्यै नमः – समय और मृत्यु के भय को दूर करने वाली शक्ति।
  26. ॐ गौर्यै नमः – उज्ज्वलता, पवित्रता और सौंदर्य की देवी।
  27. ॐ देवगीतायै नमः – जिन्हें देवताओं ने स्तुति में गाया है।
  28. ॐ द्रवीयस्यै नमः – जो कोमल, भावुक और दयालु हैं।
  29. ॐ पद्मिन्यै नमः – कमल की तरह सुंदर और शांत।
  30. ॐ सीतायै नमः – माता सीता के समान त्याग और पवित्रता की प्रतीक।
  31. ॐ रुक्मिण्यै नमः – रुक्मिणी जी के समान भक्ति और प्रेम की देवी।
  32. ॐ प्रियभूषणायै नमः – जिनका आभूषण भक्ति और प्रेम है।
  33. ॐ श्रेयस्यै नमः – जो श्रेष्ठतम फल प्रदान करती हैं।
  34. ॐ श्रीमत्यै नमः – वैभव और सौंदर्य की मूर्ति।
  35. ॐ मान्यायै नमः – पूजनीय और आदरणीय।
  36. ॐ गौर्यै नमः – फिर से उल्लेख – उज्ज्वलता, दिव्यता का प्रतीक
  37. ॐ गौतमार्चितायै नमः – जिन्हें गौतम ऋषि ने पूजित किया है।
  38. ॐ त्रेतायै नमः – त्रेता युग में पूजित देवी।
  39. ॐ त्रिपथगायै नमः – तीन पवित्र नदियों (गंगा, यमुना, सरस्वती) जैसी पवित्र और प्रवाहमयी।
  40. ॐ त्रिपादायै नमः – तीन पगों में समाई हुई – ब्रह्मा, विष्णु और महेश की शक्ति।
  41. ॐ त्रैमूर्त्यै नमः – तीनों देवों (त्रिदेव) की एकाकार शक्ति।
  42. ॐ जगत्रयायै नमः – तीनों लोकों (भू, भुवः, स्वः) की अधिपति।
  43. ॐ त्रासिन्यै नमः – जो संकटों को दूर करती हैं, भय मिटाती हैं।
  44. ॐ गात्रायै नमः – जिनका शरीर पवित्र और दिव्य है।
  45. ॐ गात्रियायै नमः – जो शरीर को स्वस्थ, ऊर्जावान बनाती हैं।
  46. ॐ गर्भवारिण्यै नमः – गर्भ की रक्षा करने वाली देवी।
  47. ॐ शोभनायै नमः – सुंदरता और तेज से भरपूर।
  48. ॐ चपलेक्षणायै नमः – जिनकी आंखें आकर्षक और चंचल हैं।
  49. ॐ पीताम्बरायै नमः – पीले वस्त्र धारण करने वाली, श्रीहरि विष्णु से जुड़ी।
  50. ॐ प्रोत सोमायै नमः – सोमरस जैसी शीतलता और आनंद देने वाली।
  51. ॐ सौरसायै नमः – सौराष्ट्र भूमि से संबंधित या उससे पूजित।
  52. ॐ सुगन्धिन्यै नमः – सकारात्मक ऊर्जा फैलाने वाली।
  53. ॐ सुवासनायै नमः – सुंदर और शुभ वासना (कामना) वाली।
  54. ॐ वरदायै नमः – वर देने वाली, इच्छाएं पूरी करने वाली।
  55. ॐ सुश्रोण्यै नमः – जिनके जंघा (जांघ) सुंदर और सुडौल हैं, स्त्री सौंदर्य की प्रतीक।
  56. ॐ चन्द्रभागायै नमः – चंद्रभागा नदी जैसी शुद्ध और जीवनदायिनी।
  57. ॐ यमुनाप्रियायै नमः – यमुना नदी से प्रेम करने वाली, या उससे जुड़ी हुई।
  58. ॐ कावेर्यै नमः – पवित्र कावेरी नदी के समान पावन।
  59. ॐ मणिकर्णिकायै नमः – मणिकर्णिका तीर्थ की ऊर्जा से युक्त।
  60. ॐ अर्चिन्यै नमः – पूजन योग्य, जिनकी पूजा से पुण्य प्राप्त होता है।
  61. ॐ स्थायिन्यै नमः – जो स्थायी हैं, जीवन में स्थिरता लाती हैं।
  62. ॐ दानप्रदायै नमः – दान देने वाली, उदारता की देवी।
  63. ॐ धनवत्यै नमः – जो धन, समृद्धि और वैभव प्रदान करती हैं।
  64. ॐ सोच्यमानसायै नमः – जिनके मन में शुद्ध विचार होते हैं।
  65. ॐ शुचिन्यै नमः – जो शुद्ध हैं, पवित्रता की प्रतिमूर्ति।
  66. ॐ श्रेयस्यै नमः – कल्याणकारी, उत्तम फल देने वाली।
  67. ॐ प्रीतिचिन्तेक्षण्यै नमः – जिनका चिंतन प्रेमपूर्वक किया जाता है।
  68. ॐ विभूत्यै नमः – जो अलौकिक शक्तियों से युक्त हैं।
  69. ॐ आकृत्यै नमः – सुंदर आकृति वाली, दृष्टि को मोहित करने वाली।
  70. ॐ आविर्भूत्यै नमः – जो प्रकट हुईं, अवतरित देवी के रूप में जानी जाती हैं।
  71. ॐ प्रभाविन्यै नमः – जिनका प्रभाव बहुत गहरा है, शक्तिशाली हैं।
  72. ॐ गन्धिन्यै नमः – जो दिव्य और सुगंधित हैं, वातावरण को शुद्ध करती हैं।
  73. ॐ स्वर्गिन्यै नमः – स्वर्ग को प्राप्त करने वाली या स्वर्गीय गुणों वाली।
  74. ॐ गदायै नमः – शक्ति देने वाली, रक्षक स्वरूपा।
  75. ॐ वेद्यायै नमः – जिन्हें वेदों द्वारा जाना और पूजा जाता है।
  76. ॐ प्रभायै नमः – जो तेजस्वी और प्रकाश से युक्त हैं।
  77. ॐ सारस्यै नमः – जिनका स्वरूप सरस (भावमय और मधुर) है।
  78. ॐ सरसिवासायै नमः – जो कमल में निवास करती हैं, श्रीहरि से जुड़ी।
  79. ॐ सरस्वत्यै नमः – ज्ञान और वाणी की अधिष्ठात्री देवी, सरस्वती स्वरूपा।
  80. ॐ शरावत्यै नमः – जो दिव्य धारा की तरह बहती हैं।
  81. ॐ रसिन्यै नमः – जिनमें भक्ति रस भरा है।
  82. ॐ काळिन्यै नमः – काल को भी नियंत्रित करने वाली शक्तिशाली देवी।
  83. ॐ श्रेयोवत्यै नमः – कल्याण करने वाली, जो शुभता लाती हैं।
  84. ॐ यामायै नमः – यमराज से रक्षा करने वाली।
  85. ॐ ब्रह्मप्रियायै नमः – जिन्हें ब्रह्मा जी प्रिय मानते हैं।
  86. ॐ श्यामसुन्दरायै नमः – श्रीकृष्ण की प्रिय, श्याम सुंदर के साथ अटूट संबंध।
  87. ॐ रत्नरूपिण्यै नमः – जो रत्न के समान अनमोल हैं।
  88. ॐ शमनिधिन्यै नमः – जो दुःखों का शमन (निवारण) करती हैं।
  89. ॐ शतानन्दायै नमः – सैकड़ों आनंद देने वाली, सुखदायिनी।
  90. ॐ शतद्युतये नमः – जो सैकड़ों सूर्य जैसे तेज वाली हैं।
  91. ॐ शितिकण्ठायै नमः – शिव प्रिय, शिव से जुड़ी देवी।
  92. ॐ प्रयायै नमः – प्रयाग तीर्थ के समान पुण्यदायिनी।
  93. ॐ धात्र्यै नमः – पालन करने वाली, सृष्टि की धारिणी।
  94. ॐ श्री वृन्दावन्यै नमः – वृंदावन की अधिष्ठात्री देवी।
  95. ॐ कृष्णायै नमः – श्रीकृष्ण स्वरूपा या उनके अंश रूप।
  96. ॐ भक्तवत्सलायै नमः – जो भक्तों को अत्यंत प्रिय हैं।
  97. ॐ गोपिकाक्रीडायै नमः – गोपियों के संग श्रीकृष्ण की लीला में सहभागी।
  98. ॐ हरायै नमः – श्रीहरि की प्रिय एवं उनसे अभिन्न।
  99. ॐ अमृतरूपिण्यै नमः – जिनका स्वरूप अमृत तुल्य है।
  100. ॐ भूम्यै नमः – पृथ्वी की प्रतीक, स्थिरता और जीवनदायिनी।
  101. ॐ श्री कृष्णकान्तायै नमः – श्रीकृष्ण की पत्नी या प्रिय स्वरूप।
  102. ॐ श्री तुलस्यै नमः – स्वयं श्री तुलसी माता को नमन।
  103. ॐ अक्षिण्यै नमः – जो अविनाशी हैं, शाश्वत हैं।
  104. ॐ अम्बायै नमः – माता स्वरूपा, मातृत्व भाव से पूर्ण।
  105. ॐ सरस्वत्यै नमः – पुनः ज्ञान स्वरूपा, वाणी की देवी।
  106. ॐ सम्श्रयायै नमः – जो शरण देने वाली हैं, सुरक्षा प्रदान करती हैं।
  107. ॐ सर्व देवत्यै नमः – सभी देवताओं की प्रिय या स्वरूप हैं।
  108. ॐ विश्वाश्रयायै नमः – संपूर्ण जगत की शरणस्थली, जिन पर संसार आश्रित है।
Tulsi Ji Ke 108 Naam

ॐ समायै नमः – 'समा' का अर्थ है शांत और संतुलित। यह नाम मानसिक शांति और स्थिरता प्रदान करता है।

ॐ द्विरदायै नमः – 'द्विरद' यानी हाथी, जो बल और धैर्य का प्रतीक है। यह नाम शक्ति और धैर्य को दर्शाता है।

ॐ आराद्यै नमः – जिसका अर्थ है पूजनीय। तुलसी माता को आराधना के योग्य माना गया है।

ॐ यज्ञविद्यायै नमः – यज्ञ की विद्या की अधिष्ठात्री। तुलसी को यज्ञों में आवश्यक माना गया है।

ॐ महाविद्यायै नमः – श्रेष्ठ ज्ञान की देवी, जो आध्यात्मिक मार्गदर्शन देती हैं।

ॐ गुह्यविद्यायै नमः – रहस्यमयी और गुप्त ज्ञान की देवी, ध्यान और साधना में सहायक।

ॐ कामाक्ष्यै नमः – कामना को पूर्ण करने वाली। भक्त की शुभ इच्छाओं की पूर्ति करने वाली शक्ति।

ॐ कुलायै नमः – परिवार वंश की रक्षक और पालनकर्ता।

ॐ श्रीयै नमः – श्री यानी लक्ष्मी स्वरूपा, जो धन, सौभाग्य और वैभव प्रदान करती हैं।

ॐ भूम्यै नमः – धरती माता के रूप में, जो स्थिरता और सहनशीलता की प्रतीक हैं।

ॐ भवित्र्यै नमः – पवित्रता का प्रतीक, जो जीवन को शुद्ध बनाती है।

ॐ सावित्र्यै नमः – सूर्य की ऊर्जा से जुड़ी देवी, जो चेतना और जागरूकता देती हैं।

ॐ सर्वेदविदाम्वरायै नमः – सभी विद्याओं में श्रेष्ठ, जो सम्पूर्ण ज्ञान का स्रोत हैं।

ॐ शंखिन्यै नमः – शंख धारण करने वाली, जो शक्ति और विजय का प्रतीक है।

ॐ चक्रिण्यै नमः – चक्र धारण करने वाली, जो रक्षा और संहार दोनों की क्षमता रखती हैं।

ॐ चारिण्यै नमः – जो सदा चलायमान हैं, भक्तों के जीवन में गतिशीलता लाती हैं।

ॐ श्री तुलस्यै नमः – स्वयं तुलसी माता, जो श्रद्धा और भक्ति का साकार रूप हैं।

ॐ नन्दिन्यै नमः – आनंद देने वाली देवी, जो जीवन में प्रसन्नता भरती हैं।

ॐ देव्यै नमः – देवी स्वरूप, जो संपूर्ण सृष्टि की जननी हैं।

ॐ शिखिन्यै नमः – तेजस्विता और दीप्ति की प्रतीक।

ॐ धारिण्यै नमः – जो संपूर्ण सृष्टि को धारण करती हैं। धरती और जीवन की संरक्षक

ॐ धात्र्यै नमः – पालन करने वाली देवी। सभी जीवों की रक्षा और पोषण करने वाली।

ॐ सावित्र्यै नमः – दिव्यता और ऊर्जा का प्रतीक। सूर्य देवता की शक्ति से जुड़ी।

ॐ सत्यसन्धायै नमः – जो सत्य के प्रति दृढ़ संकल्पित हैं। 

ॐ कालहारिण्यै नमः – समय और मृत्यु के भय को दूर करने वाली शक्ति।

ॐ गौर्यै नमः – उज्ज्वलता, पवित्रता और सौंदर्य की देवी।

ॐ देवगीतायै नमः – जिन्हें देवताओं ने स्तुति में गाया है। 

ॐ द्रवीयस्यै नमः – जो कोमल, भावुक और दयालु हैं। 

ॐ पद्मिन्यै नमः – कमल की तरह सुंदर और शांत। 

ॐ सीतायै नमः – माता सीता के समान त्याग और पवित्रता की प्रतीक।

ॐ रुक्मिण्यै नमः – रुक्मिणी जी के समान भक्ति और प्रेम की देवी।

ॐ प्रियभूषणायै नमः – जिनका आभूषण भक्ति और प्रेम है। 

ॐ श्रेयस्यै नमः – जो श्रेष्ठतम फल प्रदान करती हैं। 

ॐ श्रीमत्यै नमः – वैभव और सौंदर्य की मूर्ति।

ॐ मान्यायै नमः – पूजनीय और आदरणीय। 

ॐ गौर्यै नमः – फिर से उल्लेख – उज्ज्वलता, दिव्यता का प्रतीक 

ॐ गौतमार्चितायै नमः – जिन्हें गौतम ऋषि ने पूजित किया है। 

ॐ त्रेतायै नमः – त्रेता युग में पूजित देवी। 

ॐ त्रिपथगायै नमः – तीन पवित्र नदियों (गंगा, यमुना, सरस्वती) जैसी पवित्र और प्रवाहमयी।

ॐ त्रिपादायै नमः – तीन पगों में समाई हुई – ब्रह्मा, विष्णु और महेश की शक्ति।

ॐ त्रैमूर्त्यै नमः – तीनों देवों (त्रिदेव) की एकाकार शक्ति। 

ॐ जगत्रयायै नमः – तीनों लोकों (भू, भुवः, स्वः) की अधिपति। 

ॐ त्रासिन्यै नमः – जो संकटों को दूर करती हैं, भय मिटाती हैं। 

ॐ गात्रायै नमः – जिनका शरीर पवित्र और दिव्य है।

ॐ गात्रियायै नमः – जो शरीर को स्वस्थ, ऊर्जावान बनाती हैं।

ॐ गर्भवारिण्यै नमः – गर्भ की रक्षा करने वाली देवी। 

ॐ शोभनायै नमः – सुंदरता और तेज से भरपूर।

ॐ चपलेक्षणायै नमः – जिनकी आंखें आकर्षक और चंचल हैं।

ॐ पीताम्बरायै नमः – पीले वस्त्र धारण करने वाली, श्रीहरि विष्णु से जुड़ी।

ॐ प्रोत सोमायै नमः – सोमरस जैसी शीतलता और आनंद देने वाली।

ॐ सौरसायै नमः – सौराष्ट्र भूमि से संबंधित या उससे पूजित।

ॐ सुगन्धिन्यै नमः – सकारात्मक ऊर्जा फैलाने वाली।

ॐ सुवासनायै नमः – सुंदर और शुभ वासना (कामना) वाली।

ॐ वरदायै नमः – वर देने वाली, इच्छाएं पूरी करने वाली।

ॐ सुश्रोण्यै नमः – जिनके जंघा (जांघ) सुंदर और सुडौल हैं, स्त्री सौंदर्य की प्रतीक।

ॐ चन्द्रभागायै नमः – चंद्रभागा नदी जैसी शुद्ध और जीवनदायिनी।

ॐ यमुनाप्रियायै नमः – यमुना नदी से प्रेम करने वाली, या उससे जुड़ी हुई।

ॐ कावेर्यै नमः – पवित्र कावेरी नदी के समान पावन।

ॐ मणिकर्णिकायै नमः – मणिकर्णिका तीर्थ की ऊर्जा से युक्त।

ॐ अर्चिन्यै नमः – पूजन योग्य, जिनकी पूजा से पुण्य प्राप्त होता है।

ॐ स्थायिन्यै नमः – जो स्थायी हैं, जीवन में स्थिरता लाती हैं।

ॐ दानप्रदायै नमः – दान देने वाली, उदारता की देवी।

ॐ धनवत्यै नमः – जो धन, समृद्धि और वैभव प्रदान करती हैं।

ॐ सोच्यमानसायै नमः – जिनके मन में शुद्ध विचार होते हैं।

ॐ शुचिन्यै नमः – जो शुद्ध हैं, पवित्रता की प्रतिमूर्ति।

ॐ श्रेयस्यै नमः – कल्याणकारी, उत्तम फल देने वाली।

ॐ प्रीतिचिन्तेक्षण्यै नमः – जिनका चिंतन प्रेमपूर्वक किया जाता है।

ॐ विभूत्यै नमः – जो अलौकिक शक्तियों से युक्त हैं।

ॐ आकृत्यै नमः – सुंदर आकृति वाली, दृष्टि को मोहित करने वाली।

ॐ आविर्भूत्यै नमः – जो प्रकट हुईं, अवतरित देवी के रूप में जानी जाती हैं।

ॐ प्रभाविन्यै नमः – जिनका प्रभाव बहुत गहरा है, शक्तिशाली हैं।

ॐ गन्धिन्यै नमः – जो दिव्य और सुगंधित हैं, वातावरण को शुद्ध करती हैं।

ॐ स्वर्गिन्यै नमः – स्वर्ग को प्राप्त करने वाली या स्वर्गीय गुणों वाली।

ॐ गदायै नमः – शक्ति देने वाली, रक्षक स्वरूपा।

ॐ वेद्यायै नमः – जिन्हें वेदों द्वारा जाना और पूजा जाता है।

ॐ प्रभायै नमः – जो तेजस्वी और प्रकाश से युक्त हैं।

ॐ सारस्यै नमः – जिनका स्वरूप सरस (भावमय और मधुर) है।

ॐ सरसिवासायै नमः – जो कमल में निवास करती हैं, श्रीहरि से जुड़ी।

ॐ सरस्वत्यै नमः – ज्ञान और वाणी की अधिष्ठात्री देवी, सरस्वती स्वरूपा।

ॐ शरावत्यै नमः – जो दिव्य धारा की तरह बहती हैं।

ॐ रसिन्यै नमः – जिनमें भक्ति रस भरा है।

ॐ काळिन्यै नमः – काल को भी नियंत्रित करने वाली शक्तिशाली देवी।

ॐ श्रेयोवत्यै नमः – कल्याण करने वाली, जो शुभता लाती हैं।

ॐ यामायै नमः – यमराज से रक्षा करने वाली।

ॐ ब्रह्मप्रियायै नमः – जिन्हें ब्रह्मा जी प्रिय मानते हैं।

ॐ श्यामसुन्दरायै नमः – श्रीकृष्ण की प्रिय, श्याम सुंदर के साथ अटूट संबंध।

ॐ रत्नरूपिण्यै नमः – जो रत्न के समान अनमोल हैं।

ॐ शमनिधिन्यै नमः – जो दुःखों का शमन (निवारण) करती हैं।

ॐ शतानन्दायै नमः – सैकड़ों आनंद देने वाली, सुखदायिनी।

ॐ शतद्युतये नमः – जो सैकड़ों सूर्य जैसे तेज वाली हैं।

ॐ शितिकण्ठायै नमः – शिव प्रिय, शिव से जुड़ी देवी।

ॐ प्रयायै नमः – प्रयाग तीर्थ के समान पुण्यदायिनी।

ॐ धात्र्यै नमः – पालन करने वाली, सृष्टि की धारिणी।

ॐ श्री वृन्दावन्यै नमः – वृंदावन की अधिष्ठात्री देवी।

ॐ कृष्णायै नमः – श्रीकृष्ण स्वरूपा या उनके अंश रूप।

ॐ भक्तवत्सलायै नमः – जो भक्तों को अत्यंत प्रिय हैं।

ॐ गोपिकाक्रीडायै नमः – गोपियों के संग श्रीकृष्ण की लीला में सहभागी।

ॐ हरायै नमः – श्रीहरि की प्रिय एवं उनसे अभिन्न।

ॐ अमृतरूपिण्यै नमः – जिनका स्वरूप अमृत तुल्य है।

ॐ भूम्यै नमः – पृथ्वी की प्रतीक, स्थिरता और जीवनदायिनी।

ॐ श्री कृष्णकान्तायै नमः – श्रीकृष्ण की पत्नी या प्रिय स्वरूप।

ॐ श्री तुलस्यै नमः – स्वयं श्री तुलसी माता को नमन।

ॐ अक्षिण्यै नमः – जो अविनाशी हैं, शाश्वत हैं।

ॐ अम्बायै नमः – माता स्वरूपा, मातृत्व भाव से पूर्ण।

ॐ सरस्वत्यै नमः – पुनः ज्ञान स्वरूपा, वाणी की देवी।

ॐ सम्श्रयायै नमः – जो शरण देने वाली हैं, सुरक्षा प्रदान करती हैं।

ॐ सर्व देवत्यै नमः – सभी देवताओं की प्रिय या स्वरूप हैं।

ॐ विश्वाश्रयायै नमः – संपूर्ण जगत की शरणस्थली, जिन पर संसार आश्रित है।

तुलसी जी के 108 नाम का नियमित जाप करने से जीवन में शुद्धता, सकारात्मक ऊर्जा और भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है। यदि आप तुलसी जी की महिमा को और गहराई से जानना चाहते हैं, तो आप Tulsi Chalisa, Tulsi Ashtak, और Tulsi Vivah Vidhi जैसे विषयों को भी जरूर पढ़ें। अपने जीवन में तुलसी भक्ति को स्थान देकर, आप आध्यात्मिक शांति और सुखद अनुभवों की ओर कदम बढ़ा सकते हैं।

FAQ

108 नामों का पाठ कैसे करें?

माला लेकर एक-एक नाम बोलते हुए जाप करें या एकाग्र होकर नामों को पढ़ें।

Tulsi Ji Ke 108 Naam किस ग्रंथ से लिए गए हैं?

क्या तुलसी जी के नामों का जाप किसी विशेष दिन करें?

क्या तुलसी माता के 108 नाम मंत्र की तरह कार्य करते हैं?

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