जय गणेश जय गणेश आरती एक प्रसिद्ध और पवित्र गणेश आरती है, जो भगवान गणेश की पूजा में गाई जाती है। Jay Ganesh Jay Ganesh Aarti भगवान गणेश के सभी गुणों और शक्तियों का बखान करती है और उनके आशीर्वाद की प्रार्थना करती है। इस आरती में भगवान गणेश के विविध रूपों और उनकी महिमा का विस्तृत वर्णन किया गया है, जैसे कि उनके हाथों में विभिन्न अस्त्र, उनके प्रिय मोदक और उनका रूप जो हर संकट को हरने वाला होता है।
आरती का नियमित पाठ करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, और भगवान गणेश की कृपा से विघ्न-बाधाएं दूर होती हैं। यह आरती एक शक्तिशाली भक्ति गीत है जो भगवान गणेश के प्रति श्रद्धा को गहराता है और उनके आशीर्वाद से जीवन में समृद्धि लाता है। यहां हमने आपके लिए इस आरती को नीचे उपलब्ध कराया है-
॥जय गणेश जय गणेश आरती॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा,
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी,
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी।
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा,
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा,
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा।
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा,
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया,
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया।
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा,
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।
सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा,
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा,
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी,
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी।
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा,
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।
इसके अलावा आप Ganesh Stuti Mantra, Ganesh Visarjan Mantra और Ganesh Ji Ke Nare का पाठ भी कर सकते है, जो आपके लिए लाभदायक होता है।
Jay Ganesh Jay Ganesh Aarti करने की मुख्य विधि
इस आरती को करने की विधियां विभिन्न स्थानों पर अलग अलग है, और आप अपनी इच्छा के अनुसार अपने स्थानीय विधि के अनुसार आरती कर सकते है। नीचे आरती करने की मुख्य विधि दी गई है:
- स्नान और शुद्धि: आरती शुरू करने से पहले, स्वयं का स्नान करें और पवित्र वस्त्र पहनें। इससे आपके मन और शरीर में शुद्धता बनी रहती है और आरती का प्रभाव बढ़ता है।
- स्वच्छ स्थान: सबसे पहले पूजा के लिए एक स्वच्छ और शांत स्थान का चयन करें, जैसे घर का पूजा स्थल या मंदिर। यह सुनिश्चित करें कि आसपास का वातावरण शुद्ध हो।
- मूर्ति स्थापना: गणेश जी की मूर्ति या चित्र को पूजा स्थान पर रखें। गणेश जी की मूर्ति को सुंदर तरीके से सजाएं और उनके सामने दीपक और अगरबत्ती रखें।
- दीपक और अगरबत्ती: आरती के दौरान भगवान गणेश के सामने एक दीपक जलाएं और अगरबत्ती या धूप भी रखें। दीपक और अगरबत्ती भगवान गणेश को समर्पित करके वातावरण को शुद्ध और आध्यात्मिक बनाते हैं।
- आरती: अब आरती के बोल ध्यान से पढ़ें या गाएं। आप इसे जोर से गा सकते हैं या चुपचाप मन ही मन भी कर सकते हैं। यह आरती भगवान गणेश की महिमा और उनके आशीर्वाद की प्रार्थना करने का एक माध्यम है।
- थाली घुमाएं: आरती करते समय, दीपक के लौ को भगवान गणेश के सामने घुमाएं।
- प्रसाद चढ़ाएं: आरती के बाद, भगवान गणेश को मोदक, फल, और अन्य भोग अर्पित करें। इसके साथ ही परिवार के सदस्यों को प्रसाद बांटें।
- नमस्कार: आरती समाप्त होने के बाद, भगवान गणेश के समक्ष श्रद्धा से सिर झुका कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। इससे मानसिक शांति और भगवान का आशीर्वाद मिलता है।
- समापन: आरती के बाद, दीपक और अगरबत्ती बुझा कर पूजा का समापन करें। फिर धन्यवाद दें और अपने दिन की शुरुआत भगवान गणेश के आशीर्वाद से करें।
आरती के लाभ
इस आरती को नियमित रूप से या विशेष अवसरों पर गाने से कई लाभ होते हैं। नीचे इसके कुछ मुख्य लाभ दिए गए हैं:
- विघ्नों का नाश: आरती का नियमित पाठ करने से जीवन की समस्याओं और विघ्नों से मुक्ति मिलती है। यह आरती मानसिक और भौतिक दोनों प्रकार की बाधाओं को दूर करती है।
- समृद्धि: यह आरती विशेष रूप से व्यवसायियों, व्यापारियों और उन लोगों के लिए लाभकारी है जो समृद्धि और आर्थिक सफलता की कामना करते हैं।
- मानसिक संतुलन: आरती का नियमित पाठ मानसिक शांति प्रदान करता है। जब हम भगवान गणेश के प्रति श्रद्धा और भक्ति से यह आरती गाते हैं, तो हमारा मानसिक संतुलन बना रहता है और तनाव कम होता है।
- आध्यात्मिक उन्नति: आरती का पाठ हमारे आत्मिक और आध्यात्मिक विकास में सहायक होता है। यह भगवान गणेश की महिमा का अनुभव कराती है, और भक्त के मन में दिव्यता का संचार करती है।
- सकारात्मक ऊर्जा: इस आरती के माध्यम से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- संकटों से मुक्ति: यह आरती संकटों को दूर करने और जीवन को मंगलमय बनाने का एक प्रभावी उपाय है।
- स्वास्थ्य सुधार: भगवान गणेश की आराधना से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में भी सुधार होता है। यह आरती शारीरिक रोगों के निवारण और मानसिक तनाव को दूर करने में सहायक है।
- धार्मिक कर्तव्य: आरती एक साधक को उसके धार्मिक कर्तव्यों को निभाने में सहायता करती है। इसके नियमित पाठ से भगवान गणेश के प्रति श्रद्धा और भक्ति का विकास होता है, और यह एक भक्त का धार्मिक जीवन संपन्न करता है।
आरती न केवल भक्ति का एक रूप है, बल्कि यह जीवन को सकारात्मक दिशा देने का एक साधन भी है। इसके नियमित पाठ से व्यक्ति को भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है, और उसकी जीवन यात्रा में सुख, समृद्धि, और सफलता का संचार होता है।
FAQ
क्या आरती को किसी विशेष दिन ही गानी चाहिए?
नहीं, आरती को आप किसी भी दिन, किसी भी समय गा सकते हैं, जब भी आप भगवान गणेश की पूजा करें।
आरती को कैसे गाया जाता है?
इस आरती को श्रद्धा और भक्ति से गाना चाहिए और आरती के बोल को सही ढंग से उच्चारण करते हुए भगवान गणेश को समर्पित करते हैं।
क्या आरती को एक व्यक्ति द्वारा गाना पर्याप्त होता है?
हां, आरती एक व्यक्ति भी गा सकता है। हालांकि, यह आरती सामूहिक रूप से भी गाई जा सकती है।
क्या इस आरती का कोई रिकॉर्डिंग या वीडियो उपलब्ध है?
हां, इस आरती के कई रिकॉर्डेड संस्करण और वीडियो ऑनलाइन उपलब्ध हैं।
क्या इस आरती का कोई रिकॉर्डिंग या वीडियो उपलब्ध है?
हां, इस आरती के कई रिकॉर्डेड संस्करण और वीडियो ऑनलाइन उपलब्ध हैं।