गणेश जी की आरती लिरिक्स | Ganesh Ji Ki Aarti Lyrics : भगवान गणेश की महिमा का संगीतबद्ध रूप

गणेश जी की आरती लिरिक्स बहुत ही सरल, भावपूर्ण और प्रभावशाली होते हैं। यह लिरिक्स गणेश जी के गुणों, उनके रूप और शक्तियों का वर्णन करते हैं। Ganesh Ji Ki Aarti Lyrics की पंक्तियाँ भक्तों के दिलों में श्रद्धा और आस्था को जागृत करती हैं। यह न केवल पूजा के समय गाए जाते हैं, बल्कि समारोहों और घरों में भी श्रद्धा भाव से गाए जाते हैं। इसमें गणेश जी के रूप, उनके विघ्नहर्ता रूप और उनके द्वारा दिये गए आशीर्वादों का सुंदर और प्रभावशाली वर्णन किया जाता है।

लोकप्रिय शब्दों के साथ यह आरती एक सामूहिक भावना को उत्पन्न करती है, जो भगवान गणेश के प्रति श्रद्धा और प्रेम को व्यक्त करती है। इसलिए, गणेश जी की आरती के लिरिक्स का महत्व बहुत अधिक है और यह हर भक्त के दिल में भगवान गणेश के प्रति श्रद्धा और प्रेम को और भी गहरा करता है। यहां हमने आपले लिए आरती के लिरिक्स को नीचे उपलब्ध कराया है –

गणेश जी की आरती लिरिक्स

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा,
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।

एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी,
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी।

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा,
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।

पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा,
लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा।

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा,
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया,
बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया।

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा,
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।

सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा,
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा,
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।

दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी,
कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी।

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा,
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।

अगर इस आरती ने आपको प्रेरित किया है और आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाया है तो आप Ganesh Bhajan Lyrics, Ganesh Bhagwan Ke 108 Naam और Ganesh Ji Ke Nare आदि को भी देख सकते है और इसके लाभ को प्राप्त कर सकते है।

Ganesh Ji Ki Aarti Lyrics के पाठ की विधि

गणेश जी की आरती करने की विधि सरल और सटीक होती है। इसे पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ किया जाता है, ताकि भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त किया जा सके। यहाँ पर गणेश जी की आरती करने की विस्तृत विधि दी गई है:

  1. पूजा स्थान: पूजा के लिए एक स्वच्छ स्थान चुनें। वहाँ भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र रखें। पूजा स्थल को अच्छे से साफ करें और सुंदरता से सजाएं।
  2. स्नान: आरती शुरू करने से पहले, स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें और मानसिक रूप से शुद्ध और एकाग्र रहें।
  3. दीपक और अगरबत्ती: पूजा स्थल पर एक घी का दीपक और अगरबत्ती जलाएं। यह वातावरण को शुद्ध करता है और भगवान गणेश का स्वागत करता है।
  4. पूजा: भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र को पुष्प, दूर्वा (घास), मिठाई (मोदक, गुड़) अर्पित करें। अगर संभव हो तो, उनका अभिषेक भी करें।
  5. मंत्र का उच्चारण: आरती करने से पहले आप ध्यानपूर्वक गणेश जी के मंत्रो का जाप भी कर सकते है।
  6. आरती: अब गणेश आरती गाना शुरू करें। सबसे प्रसिद्ध आरती है “जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देव”। आरती को ध्यान और श्रद्धा के साथ गाएं। आरती गाते समय दीपक को घुमाना भी शुभ माना जाता है।
  7. प्रार्थना: आरती समाप्त होने के बाद भगवान गणेश से आशीर्वाद प्राप्त करें। भगवान से अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करें। यह प्रार्थना व्यक्तिगत हो सकती है, जैसे घर में सुख, समृद्धि और शांति की कामना करना।
  8. प्रसाद वितरण: पूजा के बाद, गणेश जी को चढ़ाए गए प्रसाद (फूल, मिठाई, मोदक आदि) को भक्तों में वितरित करें। प्रसाद को ग्रहण करें, क्योंकि यह भगवान का आशीर्वाद माना जाता है।
  9. धन्यवाद: आरती के बाद, गणेश जी का धन्यवाद करें और उन्हें प्रणाम करें। पूजा स्थल को फिर से शुद्ध करें और शांति के साथ पूजा का समापन करें।
  10. निस्तारण: पूजा सामग्री जैसे फूल, दीपक, अगरबत्ती, आदि को उचित स्थान पर रखकर निस्तारित करें। कोई भी पूजा सामग्री किसी पवित्र स्थान पर छोड़ना चाहिए, ताकि पूजा का प्रभाव बना रहे।

गणेश चतुर्थी आरती करने के लाभ

आरती एक अत्यधिक पवित्र और महत्वपूर्ण धार्मिक कृत्य है, जिसे भगवान गणेश की पूजा के अंतर्गत गाया जाता है। इसके माध्यम से न केवल भक्ति का अनुभव होता है, बल्कि इससे कई मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक लाभ भी मिलते हैं। आइए जानें गणेश चतुर्थी आरती करने के लाभ:

  1. विघ्नों का नाश: गणेश जी को विघ्नहर्ता यानी विघ्नों को दूर करने वाला माना जाता है। आरती करने से जीवन में आने वाली सारी बाधाएं और रुकावटें दूर होती हैं। यह कार्यों में सफलता की ओर मार्गदर्शन करता है और किसी भी विघ्न का सामना करने में मदद करता है।
  2. मानसिक शांति: गणेश आरती गाने से मानसिक शांति और संतुलन प्राप्त होता है। आरती का उच्चारण मन को शांति प्रदान करता है और मानसिक तनाव, चिंता और अशांति को कम करता है। यह ध्यान की तरह काम करता है, जिससे मन में स्थिरता आती है।
  3. आध्यात्मिक उन्नति: आरती करने से भक्ति की भावना और आध्यात्मिक उन्नति होती है। यह न केवल भगवान गणेश के प्रति श्रद्धा को बढ़ाती है, बल्कि व्यक्ति की आत्मा को शुद्ध करने में भी मदद करती है।
  4. सुख और समृद्धि: इनकी आरती करने से व्यक्ति के घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं, और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। साथ ही, कार्यों में सफलता और उन्नति की प्राप्ति होती है।
  5. पारिवारिक सुख: आरती घर में परिवार के सभी सदस्यों को एकजुट करती है और पारिवारिक रिश्तों में सौहार्द बढ़ाती है। इससे परिवार में प्रेम, एकता और शांति बनी रहती है।
  6. आध्यात्मिक शक्ति: गणेश आरती गाने से व्यक्ति की आंतरिक शक्ति जाग्रत होती है। इससे मानसिक और शारीरिक रूप से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  7. कष्टों का निवारण: गणेश जी की पूजा और आरती से सभी प्रकार के दुख, कष्ट और समस्याओं का निवारण होता है। चाहे वह शारीरिक रोग हो, मानसिक तनाव हो या पारिवारिक समस्याएं हों, भगवान गणेश की आरती से इन सबका समाधान होता है।
  8. पुण्य की प्राप्ति: आरती करने से व्यक्ति के पुण्य में वृद्धि होती है। इससे आत्मिक शांति और संतुष्टि प्राप्त होती है। यह व्यक्ति को एक अच्छे इंसान बनने की प्रेरणा देता है और उसकी कर्मों को शुद्ध करता है।

यह आरती न केवल भगवान गणेश के प्रति भक्ति को बढ़ाती है, बल्कि यह जीवन में कई सकारात्मक बदलाव लाने का एक प्रभावी तरीका है। इससे व्यक्ति को मानसिक शांति, सुख-समृद्धि, और समस्याओं का समाधान मिलता है। साथ ही, यह आत्मिक उन्नति, पारिवारिक खुशी, और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का एक शक्तिशाली साधन है।

FAQ

आरती कब और कैसे गानी चाहिए?

आरती पूजा के अंत में गानी चाहिए, जब भगवान गणेश की पूजा समाप्त हो रही होती है। आरती को दीपक और अगरबत्ती जलाकर श्रद्धा भाव से गाना चाहिए।

आरती किसे गानी चाहिए?

गणेश आरती का समय कितना होना चाहिए?

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