Ganesh Chaturthi Aarti | गणेश चतुर्थी आरती : भगवान गणेश की महिमा का गायन

गणेश चतुर्थी आरती भगवान गणेश की महिमा और उनके अनगिनत गुणों का गुणगान करने वाला एक महत्वपूर्ण भक्ति गीत है। गणेश चतुर्थी हिंदू धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और उल्लासमयी पर्व है, और Ganesh Chaturthi Aarti गणेश चतुर्थी की इस पूजा का एक अनिवार्य हिस्सा है, जिसे पूजा के अंत में गाया जाता है। गणेश चतुर्थी के इस पवित्र अवसर पर आरती का गायन विशेष महत्व होता है।

इस आरती में भगवान गणेश के रूप, उनकी शक्तियों और उनके द्वारा दिए गए आशीर्वादों का वर्णन किया जाता है। गणेश आरती लिरिक्स के शब्दों का उच्चारण भक्तों के हृदय में भगवान गणेश के प्रति अत्यधिक श्रद्धा और भक्ति का संचार करता है। आरती के दौरान सभी भक्त मिलकर एक सामूहिक भावना से भगवान गणेश की पूजा करते हैं, जिससे घर और वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। यहां हमने आपके लिए सम्पूर्ण आरती को नीचे आपके लिए उपलब्ध कराया है –

गणेश चतुर्थी आरती

जय गणेश जय गणेश

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा,
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।
एकदंत दयावंत चारभुजाधारी,
माथे पर तिलक सोहे मूसे की सवारी।
जय गणेश जय गणेश…

पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा,
लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा,
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।

अंघे को आंख देत, कोढ़िन को काया,
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा,
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।

‘सूर’ श्याम शरण आए सफल कीजै सेवा,
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा,
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।

॥सुखकर्ता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची आरती॥

सुखकर्ता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची,
नुरवी पुरवी प्रेम कृपा जयाची
सर्वांगी सुंदर उटी शेंदुराची,
कंठी झळके माळ मुक्ताफळांची॥
 
जय देव जय देव जय मंगलमूर्ती,
दर्शनमात्रे मन कामनांपुरती।

जय देव…
 
रत्नखचित फरा तूज गौरीकुमरा,
चंदनाची उटी कुंकुमकेशरा
हिरेजड़ित मुकुट शोभतो बरा,
रुणझुणती नूपुरे चरणी घागरीया॥

जय देव…
 
लंबोदर पीतांबर फणीवर बंधना,
सरळ सोंड वक्रतुण्ड त्रिनयना
दास रामाचा वाट पाहे सदना,
संकष्टी पावावें, निर्वाणी रक्षावे,सुरवरवंदना॥

जय देव…।

आरती गान और भक्ति से मन के विचार शांत होते हैं, और मानसिक तनाव कम होता है। गणेश चतुर्थी के पर्व को और भक्तिमय बनाने के लिए Ganesh Chaturthi Song, Ganesh Chaturthi Images और Ganesh Chaturthi Vrat Katha आपके लिए अच्छा उपाय हो सकता है।

Ganesh Chaturthi Aarti करने की विधि

गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की आरती करना एक महत्वपूर्ण धार्मिक कार्य है। यह पूजा विधि पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ की जाती है। आइए जानते हैं आरती करने की सरल और प्रभावी विधि-

  1. स्नान और शुद्धता: पूजा शुरू करने से पहले, स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें। शरीर और मन को शुद्ध करें, ताकि पूजा में पूरी श्रद्धा और ध्यान लगा सके।
  2. पूजा स्थल: एक स्वच्छ स्थान पर भगवान गणेश की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। इसे सुंदर ढंग से सजाएं। अगर संभव हो तो, पूजा स्थल पर दीपक, अगरबत्ती और फूल रखें।
  3. ध्यान और प्रार्थना: पूजा स्थल पर बैठकर भगवान गणेश का ध्यान करें। उनके चरणों में श्रद्धा से प्रार्थना करें और अपनी सभी मनोकामनाओं को उनके सामने रखें।
  4. पद्य और व्रत: गणेश चतुर्थी के दिन व्रत रखना चाहिए। इस दिन फलाहार या उपवास कर सकते हैं। व्रति होने पर, विशेष रूप से भगवान गणेश के आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करें।
  5. पानी और फूल: भगवान गणेश को सबसे पहले पानी से अभिषेक करें। फिर उन्हें फूल, दूर्वा (घास), गुड़, और मोदक अर्पित करें। यह उन वस्तुओं में से हैं, जिन्हें भगवान गणेश प्रिय मानते हैं।
  6. दीपक और अगरबत्ती: भगवान गणेश के सामने घी का दीपक और अगरबत्ती जलाएं। इससे पूजा स्थल पर पवित्रता और शांति का वातावरण बनता है।
  7. आरती: गणेश चतुर्थी पर आरती का गान करें। आमतौर पर यह आरती “जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देव” के साथ शुरू होती है। आरती करते समय घी के दीपक को भगवान गणेश के समक्ष घुमाते हुए उनका ध्यान और वंदना करें।
  8. प्रार्थना: आरती के बाद, गणेश जी से अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की प्रार्थना करें। आप अपनी परेशानियों, दुखों और विघ्नों को दूर करने की प्रार्थना कर सकते हैं।
  9. प्रसाद वितरण: पूजा के बाद गणेश जी के चरणों से प्रसाद लें और उसे परिवार के सभी सदस्यों में वितरित करें। यह प्रसाद भगवान गणेश की कृपा को प्राप्त करने का एक माध्यम होता है।
  10. समापन: अंत में, पूजा स्थल को प्रणाम करें और भगवान गणेश के आशीर्वाद के लिए उनका धन्यवाद करें।

आरती करने की विधि बहुत सरल है, लेकिन इसे श्रद्धा और भक्तिभाव से करना आवश्यक है। इस विधि के माध्यम से आप भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन को सुखमय बना सकते हैं।

आरती करने के लाभ

आरती न केवल धार्मिक कृत्य है, बल्कि यह मानसिक, शारीरिक और आत्मिक लाभों का भी स्रोत है। भगवान गणेश की आरती करने से जीवन में कई सकारात्मक परिवर्तन आ सकते हैं। आइए जानते हैं आरती करने के लाभ:

  1. विघ्नों का नाश: गणेश जी को विघ्नहर्ता के रूप में पूजा जाता है। उनकी आरती करने से जीवन में आने वाले सभी विघ्न, रुकावटें और समस्याएं दूर होती हैं। आरती के माध्यम से उनकी कृपा प्राप्त होती है और हर कार्य में सफलता मिलती है।
  2. मानसिक संतुलन: आरती से मन को शांति और मानसिक संतुलन मिलता है। यह ध्यान के समान प्रभाव डालता है, जिससे मानसिक स्थिति स्थिर रहती है।
  3. समृद्धि का वास: भगवान गणेश को धन और समृद्धि का दाता माना जाता है। उनकी आरती करने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है, और जीवन में आर्थिक समृद्धि आती है। आर्थिक समस्याओं का समाधान हो सकता है और नौकरी या व्यापार में उन्नति हो सकती है।
  4. शक्तियों का संचार: गणेश जी की पूजा से शारीरिक और मानसिक शक्तियों का संचार होता है। आरती करने से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है और नई सोच, सृजनात्मकता और रचनात्मकता का विकास होता है।
  5. शुभ शुरुआत: इनको कार्य की शुरुआत का देवता माना जाता है। उनकी आरती करने से नए कार्यों की शुरुआत में सफलता मिलती है और कोई भी काम विफल नहीं होता।
  6. दुर्योग का नाश: आरती करने से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और घर में सकारात्मकता का माहौल बनता है। यह आपके घर के वातावरण को शुद्ध करता है और संतान सुख, पारिवारिक सुख, और शांति लाता है।
  7. धार्मिक आस्था: गणेश चतुर्थी के दिन आरती करने से भक्तों की धार्मिक आस्था मजबूत होती है। इससे उनकी भक्ति की भावना और भगवान के प्रति श्रद्धा में वृद्धि होती है।
  8. मुक्ति का मार्ग: इनकी आरती गणेश जी का आशीर्वाद प्राप्त करने का एक रास्ता है, जो भक्त को आध्यात्मिक उन्नति और मुक्ति के मार्ग पर अग्रसर करता है। यह आत्मिक शांति की प्राप्ति में सहायक है और जीवन के उच्च उद्देश्य की ओर मार्गदर्शन करता है।

FAQ

गणेश चतुर्थी की आरती किस समय करनी चाहिए?

आरती पूजा के बाद या दिन के अंत में की जाती है। यह आमतौर पर भगवान गणेश की पूजा समाप्त होने के बाद, दीपक और अगरबत्ती के साथ की जाती है।

इस आरती में कौन से मंत्र होते हैं?

क्या गणेश भगवान की आरती का सामूहिक रूप से गाना जरूरी है?

आरती कब तक गानी चाहिए?

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