वनवास जा रहे है रघुवंश के दुलारे भजन लिरिक्स

श्रीराम का वनवास केवल एक राजकुमार का वन गमन नहीं था, बल्कि यह त्याग, धर्म और आदर्शों की पराकाष्ठा थी। वनवास जा रहे हैं रघुवंश के दुलारे भजन हमें इस दिव्य यात्रा की याद दिलाता है, जब अयोध्या के प्रिय राजकुमार ने माता कैकेयी के वचनों को निभाने के लिए राजसिंहासन त्यागकर वनगमन किया। यह भजन हमें त्याग, भक्ति और धर्म की महानता का संदेश देता है, जिससे हमें जीवन में सच्चे कर्तव्य का बोध होता है।

Vanvas Ja Rahe Hain Raghuvansh ke Dulare

वनवास जा रहे है
रघुवंश के दुलारे,
हारे है प्राण जिसने
लेकिन वचन ना हारे,
वनवास जा रहे हैं,
रघुवंश के दुलारे।।

जननी ऐ जन्मभूमि
हिम्मत से काम लेना,
चौदह बरस है गम के
इस दिल को थाम लेना,
बिछड़े तो फिर मिलेंगे
हम अंश है तुम्हारे,
वनवास जा रहे हैं,
रघुवंश के दुलारे।।

प्यारे चमन के फूलों,
तुम होंसला ना छोड़ो
इन आंसुओ को रोको,
ममता के तार तोड़ो
लौटेंगे दिन ख़ुशी के,
एक साथ जो गुजारे
वनवास जा रहे हैं,
रघुवंश के दुलारे।।

इसमें है दोष किसका,
उसकी यही रजा है
होकर वही रहेगा,
किस्मत में जो लिखा है
कब ‘पथिक’ यह करि है,
होनी किसी के टारे
वनवास जा रहे हैं,
रघुवंश के दुलारे।।

वनवास जा रहे है,
रघुवंश के दुलारे
हारे है प्राण जिसने,
लेकिन वचन ना हारे
वनवास जा रहे हैं,
रघुवंश के दुलारे।।

श्रीराम का वनवास हमें सिखाता है कि सच्चा धर्म वही है, जो अपने वचनों और कर्तव्यों का पालन करते हुए भी लोककल्याण की भावना रखे। वनवास जा रहे हैं रघुवंश के दुलारे भजन इसी आदर्श को जागृत करता है और हमें प्रभु श्रीराम के चरणों में समर्पित होने की प्रेरणा देता है। श्रीराम की इस महान यात्रा और उनकी भक्ति को और गहराई से समझने के लिए राम से बड़ा राम का नाम, अगर राघव के चरणों में जगह थोड़ी सी मिल जाए, श्रीरामचंद्र कृपालु भज मन, राम नाम जप ले, एक यही संग जाई भजनों को भी पढ़ें और राम भक्ति में मग्न हो जाएं। जय श्रीराम! 🙏🚩

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