Durga Aarti lyrics | दुर्गा आरती लिरिक्स

जब भी माँ दुर्गा की आराधना की बात होती है, दुर्गा आरती लिरिक्स एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन जाती है। आरती के जरिए हम माँ दुर्गा के प्रति अपनी भक्ति और समर्पण प्रकट करते हैं। कहते हैं कि जब हम पूरी श्रद्धा से Durga Aarti lyrics का पाठ करते हैं, तब माँ दुर्गा हमारी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं और हमारे जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।

आरती के शब्दों में माँ की महिमा, उनकी शक्ति और उनकी कृपा का वर्णन किया गया है। ये बोल न केवल हमें माँ के करीब ले जाते हैं, बल्कि हमारे मन और आत्मा को भी शांति देते हैं। चाहे नवरात्रि हो, कोई पर्व या विशेष पूजा, दुर्गा आरती के मधुर शब्द भक्तों को एक अलौकिक अनुभव से सराबोर कर देते हैं। आइए, दुर्गा आरती के इन पवित्र शब्दों के जरिए हम माँ दुर्गा का आह्वान करें और उनकी कृपा पाने का सौभाग्य प्राप्त करें।

Durga Aarti lyrics

ॐ जय अम्बे गौरी,
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी,
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी,
॥ॐ जय अम्बे गौरी॥

मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को,
उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको,
॥ॐ जय अम्बे गौरी॥

कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै,
रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै,
॥ॐ जय अम्बे गौरी॥

केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी,
सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी,
॥ॐ जय अम्बे गौरी॥

कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती,
कोटिक चंद्र दिवाकर, सम राजत ज्योती,
॥ॐ जय अम्बे गौरी॥

शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती,
धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती,
॥ॐ जय अम्बे गौरी॥

चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे,
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे,
॥ॐ जय अम्बे गौरी॥

ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी,
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी,
॥ॐ जय अम्बे गौरी॥

चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरों,
बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू,
॥ॐ जय अम्बे गौरी॥

तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता,
भक्तन की दुख हरता । सुख संपति करता,
॥ॐ जय अम्बे गौरी॥

भुजा चार अति शोभित, खडग खप्पर धारी,
मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी,
॥ॐ जय अम्बे गौरी॥

कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती,
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती॥
॥ॐ जय अम्बे गौरी॥

श्री अंबेजी की आरति, जो कोइ नर गावे,
कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे,
॥ॐ जय अम्बे गौरी॥

॥जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी॥

इसके साथ – साथ आप माँ दुर्गा के अन्य मंत्रों जैसे- Durga Beej Mantra, Durga Hawan Mantra और Durga Saptashati Mantra आदि का जाप भी कर सकते हैं जो आपके लिए लाभदायक हो सकता है।

दुर्गा आरती लिरिक्स की मुख्य पाठ विधि

दुर्गा आरती का सही ढंग से पाठ करना न सिर्फ भक्ति का प्रतीक है बल्कि इससे पूजा में एक गहरी ऊर्जा और सकारात्मकता का संचार होता है। आइए जानते हैं दुर्गा आरती के पाठ की मुख्य विधियाँ:

  1. स्नान और स्वच्छ वस्त्र: दुर्गा आरती शुरू करने से पहले भक्तों को स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनने चाहिए। स्वच्छता का विशेष ध्यान रखने से मन पवित्र और एकाग्र रहता है, जो कि पूजा में बेहद जरूरी है।
  2. दीपक तैयार करें: आरती के लिए शुद्ध घी या तेल का दीपक तैयार करना चाहिए। यह दीपक माँ दुर्गा के चरणों में अर्पित किया जाता है और इसे आरती के दौरान घुमाना शुभ माना जाता है।
  3. पंचोपचार पूजन: आरती से पहले माँ दुर्गा की पंचोपचार (पाँच वस्तुओं से) या षोडशोपचार (सोलह वस्तुओं से) पूजा करें। इसमें जल, फूल, चंदन, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित किए जाते हैं। यह माँ को सम्मान देने और आह्वान करने का प्रतीक है।
  4. शुद्ध उच्चारण: आरती के बोलों का सही उच्चारण करना चाहिए और ध्यान इस बात पर होना चाहिए कि हर शब्द माँ दुर्गा तक पहुँचे। अगर भक्त भाव से आरती करते हैं, तो माँ की कृपा जल्दी मिलती है।
  5. घंटी और शंख का उपयोग: आरती के दौरान घंटी और शंख बजाना अनिवार्य माना गया है। इससे वातावरण में सकारात्मकता फैलती है और पूजा स्थल पर पवित्रता आती है। यह ध्वनि माँ को प्रसन्न करती है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
  6. प्रसाद और फूलों का अर्पण: आरती के बाद माँ दुर्गा को प्रसाद और फूल अर्पित करें। आरती समाप्त होने के बाद इसे सभी भक्तों में बाँटें ताकि माँ की कृपा सब पर समान रूप से बरसे।
  7. समर्पण और शांति: आरती के अंत में हाथ जोड़कर माँ दुर्गा का धन्यवाद करें और उनके प्रति अपनी भक्ति को समर्पित करें। कुछ पल शांति में बैठकर माँ के आशीर्वाद का अनुभव करें।

इन विधियों का पालन करते हुए दुर्गा आरती का पाठ करने से न केवल माँ का आशीर्वाद प्राप्त होता है, बल्कि आत्मा को भी एक अलग ही शांति और संतोष मिलता है। माँ दुर्गा के प्रति यह समर्पण और भक्ति हमारे जीवन को सकारात्मकता और आनंद से भर देती है।

इससे होने वाले मुख्य लाभ

माँ दुर्गा की आरती न केवल हमारी भक्ति का प्रतीक है, बल्कि इसके कई चमत्कारी लाभ भी हैं। जब हम श्रद्धा और प्रेम से माँ की आरती करते हैं, तो यह हमारी आत्मा और जीवन दोनों पर सकारात्मक असर डालती है। आइए जानते हैं दुर्गा आरती करने से मिलने वाले कुछ मुख्य लाभ:

  • मन की शांति: दुर्गा आरती करने से मन शांत और संतुलित रहता है। जीवन की भागदौड़ और तनाव में भी आरती के दौरान एक अद्भुत शांति का अनुभव होता है, जो हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी है।
  • नकारात्मक ऊर्जा: दुर्गा आरती के दौरान दीपक, शंख और घंटी का प्रयोग वातावरण से नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है। यह घर और पूजा स्थल को पवित्र बनाता है, जिससे वहां सकारात्मकता और सुख का वास होता है।
  • आध्यात्मिक उन्नति: आरती में श्रद्धा और प्रेम से किए गए मंत्रों के उच्चारण से आत्मा में आध्यात्मिक उन्नति होती है। इससे भक्त का माँ दुर्गा से गहरा जुड़ाव होता है, जो जीवन के हर पहलू में सुखद अनुभव दिलाता है।
  • रोगों से रक्षा: ऐसा माना जाता है कि दुर्गा आरती से भक्तों की रोगों से रक्षा होती है। माँ दुर्गा की कृपा से शरीर में ऊर्जा का संचार होता है और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
  • संकटों का निवारण: दुर्गा आरती से भक्त के जीवन में आने वाले संकट और समस्याओं का नाश होता है। माँ दुर्गा की आराधना करने से वह हमारे जीवन की सभी बाधाओं को दूर करती हैं और हमें नई राह दिखाती हैं।
  • सुख-समृद्धि: माँ दुर्गा की आरती करने से जीवन में सुख-समृद्धि का संचार होता है। माँ अपने भक्तों को आर्थिक स्थिरता और सुखी जीवन का आशीर्वाद देती हैं।
  • शांति और प्रेम: परिवार में अगर कलह या मतभेद चल रहे हों, तो दुर्गा आरती करने से घर में शांति और प्रेम का माहौल बनता है। माँ का आशीर्वाद परिवार में एकता और खुशहाली लाता है।
  • मनोकामनाएं: दुर्गा आरती के माध्यम से माँ से मांगी गई मनोकामनाएँ पूरी होती हैं। अगर सच्चे मन से माँ से कुछ माँगा जाए, तो माँ दुर्गा उसे अवश्य पूरा करती हैं।

माँ दुर्गा की आरती न सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह हमारी आत्मा को जागृत करती है और जीवन को एक नई दिशा देती है। माँ का आशीर्वाद पाने का यह सरल और प्रभावशाली तरीका है जो हमें सुखी, शांतिपूर्ण और सकारात्मक जीवन की ओर अग्रसर करता है।

FAQ

दुर्गा आरती कब करनी चाहिए?

दुर्गा आरती दिन में दो बार, सुबह और शाम के समय करना शुभ माना जाता है। खासकर नवरात्रि के दौरान सुबह और शाम की आरती से माँ दुर्गा का विशेष आशीर्वाद मिलता है।

दुर्गा आरती में कौन से मंत्रों का उच्चारण करें?

दुर्गा आरती के दौरान शंख और घंटी का क्या महत्व है?

क्या दुर्गा आरती करते समय कोई विशेष वस्त्र पहनना चाहिए?

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