अगर आप आदित्य हृदय स्तोत्र इन संस्कृत के मूल श्लोकों को पढ़ना चाहते हैं, तो आप सही जगह आये है। संस्कृत में इसका पाठ करने से मंत्रों की ऊर्जा और प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है। Aditya Hridaya Stotra in Sanskrit न सिर्फ आध्यात्मिक बल देता है, बल्कि मानसिक स्थिरता भी लाता है। यहां हनमने आपके लिए इस पाठ को उपलब्ध कराया है-
Aditya Hridaya Stotra in Sanskrit
ततो युद्धपरिश्रान्तं समरे चिन्तया स्थितम् ।
रावणं चाग्रतो दृष्टवा युद्धाय समुपस्थितम् ॥1॥
दैवतैश्च समागम्य द्रष्टुमभ्यागतो रणम् ।
उपगम्याब्रवीद् राममगरत्यो भगवांस्तदा ॥2॥
राम राम महाबाहो श्रृणु गुह्यं सनातनम् ।
येन सर्वानरीन् वत्स समरे विजयिष्यसे ॥3॥
आदित्यहृदयं पुण्यं सर्वशत्रुविनाशनम् ।
जयावहं जपं नित्यमक्षयं परमं शिवम् ॥4॥
सर्वमंगलमांगल्यं सर्वपापप्रणाशनम् ।
चिन्ताशोकप्रशमनमायुर्वधैनमुत्तमम् ॥5॥
रश्मिमन्तं समुद्यन्तं देवासुरनमस्कृतम् ।
पूजयस्व विवस्वन्तं भास्करं भुवनेश्वरम् ॥6॥
सर्वदेवतामको ह्येष तेजस्वी रश्मिभावनः ।
एष देवासुरगणाँल्लोकान् पाति गभस्तिभिः ॥7॥
एष ब्रह्मा च विष्णुश्च शिवः स्कन्दः प्रजापतिः ।
महेन्द्रो धनदः कालो यमः सोमो ह्यपां पतिः ॥8॥
पितरो वसवः साध्या अश्विनौ मरुतो मनुः ।
वायुर्वन्हिः प्रजाः प्राण ऋतुकर्ता प्रभाकरः ॥9॥
आदित्यः सविता सूर्यः खगः पूषा गर्भास्तिमान् ।
सुवर्णसदृशो भानुहिरण्यरेता दिवाकरः ॥10॥
हरिदश्वः सहस्रार्चिः सप्तसप्तिर्मरीचिमान् ।
तिमिरोन्मथनः शम्भूस्त्ष्टा मार्तण्डकोंऽशुमान् ॥11॥
हिरण्यगर्भः शिशिरस्तपनोऽहरकरो रविः ।
अग्निगर्भोऽदितेः पुत्रः शंखः शिशिरनाशनः ॥12॥
व्योमनाथस्तमोभेदी ऋग्यजुःसामपारगः ।
घनवृष्टिरपां मित्रो विन्ध्यवीथीप्लवंगमः ॥13॥
आतपी मण्डली मृत्युः पिंगलः सर्वतापनः ।
कविर्विश्वो महातेजा रक्तः सर्वभवोदभवः ॥14॥
नक्षत्रग्रहताराणामधिपो विश्वभावनः ।
तेजसामपि तेजस्वी द्वादशात्मन् नमोऽस्तु ते ॥15॥
नमः पूर्वाय गिरये पश्चिमायाद्रये नमः ।
ज्योतिर्गणानां पतये दिनाधिपतये नमः ॥16॥
जयाय जयभद्राय हर्यश्वाय नमो नमः ।
नमो नमः सहस्रांशो आदित्याय नमो नमः ॥17॥
नम उग्राय वीराय सारंगाय नमो नमः ।
नमः पद्मप्रबोधाय प्रचण्डाय नमोऽस्तु ते ॥18॥
ब्रह्मेशानाच्युतेशाय सूरायदित्यवर्चसे ।
भास्वते सर्वभक्षाय रौद्राय वपुषे नमः ॥19॥
तमोघ्नाय हिमघ्नाय शत्रुघ्नायामितात्मने ।
कृतघ्नघ्नाय देवाय ज्योतिषां पतये नमः ॥20॥
तप्तचामीकराभाय हस्ये विश्वकर्मणे ।
नमस्तमोऽभिनिघ्नाय रुचये लोकसाक्षिणे ॥21॥
नाशयत्येष वै भूतं तमेव सृजति प्रभुः ।
पायत्येष तपत्येष वर्षत्येष गभस्तिभिः ॥22॥
एष सुप्तेषु जागर्ति भूतेषु परिनिष्ठितः ।
एष चैवाग्निहोत्रं च फलं चैवाग्निहोत्रिणाम् ॥23॥
देवाश्च क्रतवश्चैव क्रतूनां फलमेव च ।
यानि कृत्यानि लोकेषु सर्वेषु परमप्रभुः ॥24॥
एनमापत्सु कृच्छ्रेषु कान्तारेषु भयेषु च ।
कीर्तयन् पुरुषः कश्चिन्नावसीदति राघव ॥25॥
पूजयस्वैनमेकाग्रो देवदेवं जगत्पतिम् ।
एतत् त्रिगुणितं जप्तवा युद्धेषु विजयिष्यसि ॥26॥
अस्मिन् क्षणे महाबाहो रावणं त्वं जहिष्यसि ।
एवमुक्त्वा ततोऽगस्त्यो जगाम स यथागतम् ॥27॥
एतच्छ्रुत्वा महातेजा, नष्टशोकोऽभवत् तदा ।
धारयामास सुप्रीतो राघवः प्रयतात्मवान् ॥28॥
आदित्यं प्रेक्ष्य जप्त्वेदं परं हर्षमवाप्तवान् ।
त्रिराचम्य शुचिर्भूत्वा धनुरादाय वीर्यवान् ॥29॥
रावणं प्रेक्ष्य हृष्टात्मा जयार्थे समुपागमत् ।
सर्वयत्नेन महता वृतस्तस्य वधेऽभवत् ॥30॥
अथ रविरवदन्निरीक्ष्य रामं मुदितनाः परमं प्रहृष्यमाणः ।
निशिचरपतिसंक्षयं विदित्वा सुरगणमध्यगतो वचस्त्वरेति ॥31॥

अगर आप Aditya Hridaya Stotra in Sanskrit पढ़ते हैं, तो इसके हर श्लोक में छुपे अर्थ और ऊर्जा को गहराई से महसूस कर सकते हैं। यदि आप इसे अन्य भाषाओं में पढ़ना चाहते हैं, तो Aditya Hridaya Stotra PDF या Aditya Hrudayam Telugu जैसे हमारे अन्य लेख भी अवश्य देखें।
आदित्य ह्रदय स्तोत्र जप विधि
अगर आप चाहते हैं कि सूर्य देव की कृपा आपके जीवन में स्थायी रूप से बनी रहे, तो आज ही आदित्य ह्रदय स्तोत्र का जाप शुरू करें। चलिए, आदित्य हृदय स्तोत्र इन संस्कृत की सरल और प्रभावशाली विधि बताते हैं-
- शुद्धता: प्रातःकाल स्नान कर के शुद्ध वस्त्र पहनें। घर में शांत वातावरण बनाएं और पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें।
- संकल्प: अब मन में सूर्य देव का ध्यान करें और यह संकल्प लें कि आप पूरी श्रद्धा से आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करेंगे।
- वंदना: शुरुआत में “ॐ सूर्याय नमः” का उच्चारण करके सूर्य देव को जल अर्पित करें। इसके बाद हाथ जोड़कर नमन करते हुए स्तोत्र का पाठ प्रारंभ करें।
- सम्पूर्ण पाठ: अब पूरे ध्यान और भावना के साथ Aditya Hridaya Stotra Lyrics In Sanskrit का पाठ करें। हर श्लोक का सही उच्चारण और अर्थ को समझते हुए पढ़ना अत्यंत लाभकारी होता है।
- धन्यवाद: पाठ के बाद कुछ समय आँखें बंद करके सूर्य देव की कृपा का अनुभव करें। अंत में सूर्य देव का धन्यवाद करें और उनसे ऊर्जा, स्वास्थ्य व सफलता की कामना करें।
जब सही विधि से यह स्तोत्र जपा जाता है, तो सिर्फ शब्द नहीं, ऊर्जा का संचार होता है। यह स्तोत्र हमें हर दिन नई ऊर्जा और आत्मबल देता है।
FAQ
संस्कृत में आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ क्यों विशेष होता है?
संस्कृत दिव्य और वैदिक भाषा है। इस भाषा में स्तोत्र का पाठ करने से श्लोकों की ऊर्जा पूर्ण रूप से जाग्रत होती है।
क्या इसे प्रतिदिन पढ़ सकते हैं?
हाँ, प्रतिदिन प्रातःकाल इसका पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है। यह मानसिक शांति, स्वास्थ्य और सफलता प्रदान करता है।
इसमें कुल कितने श्लोक होते हैं?
इस स्तोत्र में कुल 31 श्लोक होते हैं, जो भगवान सूर्य की महिमा का गुणगान करते हैं।
क्या यह स्तोत्र विशेष अवसरों पर भी पढ़ा जा सकता है?
जी हाँ, किसी भी परीक्षा, युद्ध, या कठिन समय में इसका पाठ विशेष फलदायी माना गया है। स्वयं श्रीराम ने लंका युद्ध में इसका पाठ किया था।
इसको कब पढ़ना सबसे शुभ माना जाता है?
सुबह के समय, खासकर सूर्योदय के समय, इसका पाठ सबसे शुभ और प्रभावी माना जाता है।

मैं पंडित सत्य प्रकाश, सनातन धर्म का एक समर्पित साधक और श्री राम, लक्ष्मण जी, माता सीता और माँ सरस्वती की भक्ति में लीन एक सेवक हूँ। मेरा उद्देश्य इन दिव्य शक्तियों की महिमा को जन-जन तक पहुँचाना और भक्तों को उनके आशीर्वाद से जोड़ना है। मैं अपने लेखों के माध्यम से इन महान विभूतियों की कथाएँ, आरती, मंत्र, स्तोत्र और पूजन विधि को सरल भाषा में प्रस्तुत करता हूँ, ताकि हर भक्त अपने जीवन में इनकी कृपा का अनुभव कर सके।जय श्री राम View Profile