भक्तामर स्तोत्र महिमा का वर्णन शब्दों में करना आसान नहीं है। यह केवल एक स्तोत्र नहीं, बल्कि आस्था, शक्ति और आत्मशुद्धि का जीवंत स्रोत है। अनगिनत श्रद्धालुओं ने इसके पाठ से जीवन में चमत्कारी अनुभव किए हैं। Bhaktamar Stotra Mahima को जिसने समझ लिया, उसने स्वयं प्रभु की कृपा को अनुभव कर लिया। तो आप भी नीचे दिए गए महिमा को पढ़िए और प्रभु की कृपा प्राप्त करें-
Bhaktamar Stotra Mahima
श्री भक्तामर का पाठ, करो नित प्रातः।
भक्ति मन लाई, सब संकट जाये नशाई॥
जो ज्ञान-मान-मतवारे थे
मुनि मानतुंग से हारे थे,
उन चतुराई से नृपति लिया, बहकाई
सब संकट जाये नशाई॥
मुनि जी को नृपति बुलाया था
सैनिक जा हुक्म सुनाया था।
मुनि वीतराग को आज्ञा नहीं सुहाई
सब संकट जाये नशाई॥
उपसर्ग घेर तब आया था
बलपूर्वक पकड़ मंगवाया था।
हथकड़ी बेड़ियों से तन दिया बंधाई
सब संकट जाये नशाई॥
मुनि काराग्रह भिजवाए थे
अड़तालीस ताले लगाये थे।
क्रोधित नृप बहार पहरा दिया बिठाई
सब संकट जाये नशाई॥
मुनि शान्तभाव अपनाया था
श्री आदिनाथ को ध्याया था।
हो ध्यान मग्न भक्तामर दिया बनाई
सब संकट जाये नशाई॥
सब बंधन टूट गए मुनि के
ताले सब स्वयं खुले उनके।
काराग्रह से आ बाहर दिए दिखाई
सब संकट जाये नशाई॥
राजा नत होकर आया था
अपराध क्षमा करवाया था।
मुनि के चरणों में अनुपम भक्ति दिखाई
सब संकट जाये नशाई॥
जो पाठ भक्ति से करता हैं
नित ऋषभ-चरण चित धरता हैं।
जो ऋद्धि-मंत्र का, विधिवत जाप कराई
सब संकट जाये नशाई॥
भय विघ्न उपद्रव टलते हैं
विपदा के दिवस बदलते हैं।
सब मन वांछित हो पूर्ण, शान्ति छा जाई
सब संकट जाये नशाई॥
जो वीतराग आराधन हैं
आत्म उन्नति का साधन हैं।
उससे प्राणी का भव बन्धन कट जाई
सब संकट जाये नशाई॥
कौशल’ सुभक्ति को पहिचानो
संसार-द्रष्टि बंधन जानो।
लौ भक्तामर से आत्म-ज्योति प्रगटाई
सब संकट जाये नशाई॥

Bhaktamar Stotra Mahima अनुभव करने के लिए बस एक सच्चे मन और नियमित भक्ति की ज़रूरत है। यह स्तोत्र न केवल जीवन की कठिनाइयों को दूर करता है बल्कि आत्मा को प्रभु से जोड़ने का सेतु भी बनता है। Bhaktamar Stotra in Sanskrit का उच्चारण करने से साधक की वाणी में तेज आता है और Bhaktamar Stotra 48 जैसे श्लोक आत्मबल को जाग्रत करते हैं।
इसका पाठ करने की विधि
स्नान करें: पाठ से पहले स्नान करना जरूरी है। इससे शरीर और मन दोनों की शुद्धि होती है। स्वच्छ वस्त्र पहनें, सफेद या सादे रंगों को प्राथमिकता दें।
- शांत स्थान: Bhaktamar Stotra Ki Mahima का पाठ करने के लिए एक ऐसा स्थान चुनें जहाँ शांति हो और कोई विघ्न न हो। अगर संभव हो तो एक स्थायी पाठ का स्थान निर्धारित करें।
- आसन लगाएं: धरती पर सीधे न बैठें। आसन बिछाकर पद्मासन या सुखासन में बैठें। पीठ सीधी रखें और आंखें हल्की बंद करें।
- नमस्कार करें: पाठ से पहले आदिनाथ भगवान को नमस्कार करें। मन में संकल्प लें कि पाठ श्रद्धा और एकाग्रता से करेंगे।
- पाठ आरंभ: अब इसका पाठ शुरू करें। यदि संभव हो तो संस्कृत में करें, वरना हिंदी अनुवाद से भी शुरू कर सकते हैं। पहले कुछ श्लोक ही लें और धीरे-धीरे बढ़ाएं।
- शुद्ध उच्चारण: श्लोकों का उच्चारण स्पष्ट और श्रद्धापूर्वक करें। जल्दी न करें — हर श्लोक को भाव से पढ़ें।
- नियमितता: नियमितता से पाठ करने से इसका प्रभाव बढ़ता है। धीरे-धीरे पूरे Bhaktamar Stotra 48 श्लोक तक पहुंचने का प्रयास करें।
- ध्यान करें: पाठ के बाद कुछ क्षण मौन रहें और भगवान का ध्यान करें। यह चरण साधना को पूर्ण करता है।
इस विधि से किया गया भक्तामर स्तोत्र महिमा का पाठ आत्मा को शांति, शक्ति और साहस से भर देता है।
FAQ
इस स्तोत्र की की सबसे बड़ी महिमा क्या है?
यह स्तोत्र कठिन परिस्थितियों में भी चमत्कारिक रूप से समाधान प्रदान करता है और भक्त के जीवन में शांति और सफलता लाता है।
कौन-कौन से श्लोक विशेष माने जाते हैं?
जैसे 3, 7, 10, 19, 27, 36, 48 आदि श्लोक विशेष मनोकामनाओं के लिए उपयोग किए जाते हैं। हर श्लोक की अपनी ऊर्जा होती है।
क्या इसके पाठ से चमत्कार होते हैं?
हाँ, अनगिनत लोगों ने Bhaktamar Stotra के नियमित पाठ से जीवन में अविश्वसनीय परिवर्तन देखे हैं।
क्या इसे कोई भी पढ़ सकता है?
हाँ, इसको कोई भी श्रद्धालु पढ़ सकता है। इसके लिए केवल सच्चे मन की ज़रूरत है।

मैं धर्म पाल जैन, जैन धर्म का एक निष्ठावान अनुयायी और भगवान महावीर की शिक्षाओं का प्रचारक हूँ। मेरा लक्ष्य है कि लोग भगवान महावीर के संदेशों को अपनाकर अपने जीवन में शांति, संयम और करुणा का संचार करें और अपने जीवन को सदाचार और आध्यात्मिक शांति से समृद्ध कर सके। मैं अपने लेखों के माध्यम से भगवान महावीर के उपदेश, भक्तामर स्तोत्र, जैन धर्म के सिद्धांत और धार्मिक अनुष्ठान को सरल और सहज भाषा में प्रस्तुत करता हूँ, ताकि हर जैन अनुयायी इनका लाभ उठा सके।View Profile ॐ ह्रीं अर्हं नमः