नवग्रह शांति पूजा एक प्राचीन वैदिक विधि है, जिसका उद्देश्य जीवन में मौजूद ग्रह दोषों को शांत कर मानसिक, शारीरिक और आर्थिक संतुलन स्थापित करना होता है। Navgrah Shanti Puja नौ ग्रहों – सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु – को समर्पित होती है। जब जीवन में बार-बार बाधाएं आने लगें या कुंडली में ग्रहों का प्रभाव नकारात्मक हो, तब यह पूजा अत्यंत फलदायी मानी जाती है।
नवग्रह पूजा क्या है?
Navagraha Pooja एक विशेष वैदिक अनुष्ठान है जो व्यक्ति की कुंडली में मौजूद ग्रह दोषों, अशुभ योगों या नकारात्मक ग्रह प्रभावों को शांत करने के लिए किया जाता है। यह पूजा नवग्रहों – सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु – को समर्पित होती है, जो हमारे जीवन के अलग-अलग क्षेत्रों को प्रभावित करते हैं।
जब किसी की कुंडली में कोई ग्रह नीच का हो, शत्रु राशि में हो, या अशुभ गोचर से जीवन में बार-बार रुकावटें, मानसिक तनाव, आर्थिक परेशानी या स्वास्थ्य समस्याएँ आ रही हों – तब यह पूजा करवाना शुभ माना जाता है। यह पूजा न केवल ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव को कम करती है, बल्कि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और स्थिरता भी लाती है।
Navgrah Shanti Puja क्यों करनी चाहिए?
नव ग्रह शांति पूजा का उद्देश्य हमारे जीवन में मौजूद ग्रहों की नकारात्मक ऊर्जा को शांत करना और शुभ प्रभावों को बढ़ाना होता है। जब जन्म कुंडली में कोई ग्रह अशुभ स्थिति में होता है या ग्रहों की दशा- महादशा जीवन में समस्याएं ला रही होती है, तो यह पूजा अत्यंत फलदायक मानी जाती है।
इस पूजा से जीवन की कई परेशानियों जैसे- बार-बार बीमार पड़ना, विवाह में रुकावट, आर्थिक संकट, पारिवारिक कलह, करियर में अड़चन या मानसिक तनाव- से राहत मिल सकती है। यह पूजा मानसिक शांति, स्थिरता और आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी सहायक होती है।
किन व्यक्तियों को नवग्रह पूजा करवानी चाहिए?
यह पूजा विशेष रूप से उन लोगों के लिए अत्यंत लाभकारी मानी जाती है, जिनकी कुंडली में ग्रहों की स्थिति प्रतिकूल हो या बार-बार जीवन में समस्याएं आ रही हों। यदि आप निम्नलिखित परिस्थितियों से गुजर रहे हैं, तो यह पूजा आपके लिए आवश्यक हो सकती है:
- यदि आपकी जन्म कुंडली में कालसर्प दोष है और आप वैवाहिक या व्यवसायिक जीवन में बार-बार रुकावटों का सामना कर रहे हैं।
- यदि कुंडली में राहु और केतु का प्रभाव अत्यधिक हो, जो मानसिक तनाव, भ्रम या अचानक हानि जैसी स्थितियाँ उत्पन्न कर रहा हो।
- जब किसी भी ग्रह की स्थिति कुंडली में दुर्बल, नीच या प्रतिकूल हो, जिससे जीवन में संघर्ष, बीमारी या धन की समस्या बनी रहती हो।
- यदि शनि की साढ़ेसाती, ढैया या अन्य अशुभ गोचर चल रहा हो।
पूजा करते समय संबंधित देवी-देवताओं का हवन एवं आहुतियाँ देना आवश्यक होता है, जिससे पूजा पूर्ण और प्रभावी मानी जाती है।
Navgrah Shanti Puja के लिए आवश्यक सामग्री
इस पूजा को विधिपूर्वक और प्रभावी रूप से सम्पन्न करने के लिए कुछ खास पूजन सामग्री की आवश्यकता होती है। नीचे दी गई चीज़ें पूजा में आमतौर पर उपयोग की जाती हैं:
- 250 ग्राम हल्दी पाउडर
- एक पैकेट चंदन पेस्ट
- एक पैकेट कुमकुम
- ताजे फूल
- अगरबत्ती
- कपूर
- पान के पत्ते और सूखे मेवे
- केले और अन्य मौसमी फल
- एक नारियल
- अक्षत (चावल)
- शुद्ध घी
- दो गज पूजा के लिए कपड़ा
- शहद
- चांदी के सिक्के
- नैवेद्यम (भोग)
- नवधान्य (गेहूं, चावल, तुअर दाल, मूंग दाल, चना दाल)
- राजमा (सफेद)
- तिल
- दीपक
- तेल
- माचिस
- रुई की बत्तियाँ
- दो बड़ी ट्रे
- पाँच छोटे कप।
यह सारी सामग्री पूजा को पूर्ण, सात्त्विक और ग्रहों के अनुरूप बनाने के लिए ज़रूरी होती है। सही सामग्री और विधि से की गई Nav Grah Shanti Pooja का प्रभाव निश्चित रूप से शुभ होता है।
नव ग्रह शांति पूजा विधि
- पूजा की तैयारी: पूजा शुरू करने से पहले, स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें और पूजा स्थल को शुद्ध करें। फिर वहां एक लकड़ी की चौकी पर लाल या पीले कपड़े बिछाकर नवग्रहों की मूर्तियां या यंत्र स्थापित करें।
- नवग्रहों की स्थापना: नवग्रहों के चित्र या मूर्तियों को उत्तर या पूर्व दिशा में रखें। इसमें सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु और केतु शामिल होते हैं।
- सामग्री का अर्पण: पूजा के दौरान हल्दी पाउडर, चंदन पेस्ट, कुमकुम, चावल, फल, मेवे, और फूल नवग्रहों को अर्पित करें। सामग्री पवित्र और शुद्ध होनी चाहिए।
- आवाहन और पूजन मंत्र: प्रत्येक ग्रह के मंत्र का उच्चारण करें। उदाहरण स्वरूप, सूर्य के लिए ॐ सूर्याय नम: और चंद्र के लिए ॐ चंद्राय नम:।
- हवन और आहुति: हवन के दौरान घी, तिल और चावल डालकर प्रत्येक ग्रह के नाम से आहुति दें।
- आरती और प्रसाद वितरण: पूजा के अंत में ग्रहों की आरती करें और प्रसाद का वितरण करें।
शांति पूजा के मंत्र
- सूर्य – ॐ घ्राणि सूर्याय नमः
- चंद्रमा – ॐ ऐं क्लीं सोमाय नमः
- मंगल – ॐ अंग अंगारकाय नमः
- बुध – ॐ बुं बुधाय नमः
- बृहस्पति – ॐ बृं बृहस्पतये नमः
- शुक्र – ॐ शुं शुक्राय नमः
- शनि – ॐ शं शनैश्चराय नमः
- राहु – ॐ रंग राहवे नमः
- केतु – ॐ केम केतवे नमः
ऐसे करें नवग्रहों की शांति पूजा
नवग्रहों की शांति पूजा नवरात्रि के दिनों में विशेष रूप से प्रभावी मानी जाती है। प्रत्येक दिन एक अलग ग्रह की शांति पूजा की जाती है। निम्नलिखित में शांति पूजा की विधि दी गई है, जिसे आप नवरात्रि में पालन कर सकते हैं:
पहले दिन मंगल ग्रह की शांति पूजा
नवरात्रि के पहले दिन मंगल ग्रह की शांति पूजा करनी चाहिए। इस दिन माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है। मंगल ग्रह की शांति के लिए इस दिन ॐ अंग अंगारकाय नमः मंत्र का जाप करें।
दूसरे दिन राहु ग्रह की शांति पूजा
नवरात्रि के दूसरे दिन राहु ग्रह की शांति पूजा की जाती है। इस दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। राहु ग्रह की शांति के लिए ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नमः का जाप करें।
तीसरे दिन चंद्र ग्रह की शांति पूजा
इस दिन माता चंद्रघंटा की पूजा की जाती है, जो चंद्र ग्रह की शांति के लिए विशेष रूप से लाभकारी है। चंद्र ग्रह की शांति के लिए ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नमः मंत्र का जप करें।
चौथे दिन केतु ग्रह की शांति पूजा
केतु ग्रह की शांति के लिए इस दिन माँ कुष्मांडा की पूजा करनी चाहिए। ॐ कें केतवे नमः का जाप करके केतु ग्रह के दोषों से मुक्ति प्राप्त की जा सकती है।
पांचवें दिन सूर्य ग्रह की शांति पूजा
इस दिन माँ दुर्गा के पांचवे रूप स्कंदमाता की पूजा की जाती है। सूर्य ग्रह की शांति के लिए ॐ घ्राणि सूर्याय नमः का जाप करें।
छठे दिन बुध ग्रह की शांति पूजा
नवरात्रि के छठे दिन दुर्गा माँ के कात्यायनी स्वरूप की पूजा की जाती है। बुध ग्रह की शांति के लिए ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नमः का जाप करें।
सातवें दिन शनि ग्रह की शांति पूजा
इस दिन दुर्गा माँ के कालरात्रि रूप की पूजा की जाती है। शनि ग्रह की शांति के लिए ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नमः का जाप करें।
आठवें दिन गुरु ग्रह की शांति पूजा
माता महागौरी के इस पावन दिवस पर गुरु ग्रह की शांति पूजा करनी चाहिए। ॐ ग्रां ग्रीं ग्रों स: गुरूवे नमः मंत्र का जाप करें।
नौवें दिन शुक्र ग्रह की शांति पूजा
नवरात्रि की नौवें दिन माँ दुर्गा के स्वरूप माँ सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। इस दिन शुक्र ग्रह की शांति के लिए ॐ शुं शुक्राय नमः का जाप करें।
यह विधि आपको प्रत्येक ग्रह की शांति और उनके दोषों को समाप्त करने में मदद करेगी, जिससे आपके जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का संचार होगा।
पूजा के लाभ
इस पूजा के माध्यम से विभिन्न ग्रहों के दुष्प्रभावों को समाप्त किया जा सकता है। यह पूजा जीवन में शांति, समृद्धि और खुशहाली लाने के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। निम्नलिखित कुछ प्रमुख लाभ हैं, जो इस पूजा के माध्यम से प्राप्त किए जा सकते हैं:
- ग्रहों के दोषों से मुक्ति: इस पूजा से कुंडली में मौजूद ग्रहों के दोष, जैसे कालसर्प दोष, राहु-केतु दोष, शनि की दशा और अन्य ग्रहों की विपरीत स्थिति को शांत किया जा सकता है। यह पूजा ग्रहों के दुष्प्रभावों को समाप्त करने में मदद करती है।
- व्यावसायिक सफलता: जो लोग अपने व्यवसाय या करियर में समस्याओं का सामना कर रहे हैं, वे शांति पूजा करके अपने व्यवसाय में समृद्धि और सफलता प्राप्त कर सकते हैं। यह पूजा कार्यों में सकारात्मकता और मनोबल को बढ़ावा देती है।
- वैवाहिक जीवन में सुख: शांति पूजा के माध्यम से अगर किसी व्यक्ति के वैवाहिक जीवन में परेशानी हो रही हो, तो इस पूजा से वैवाहिक संबंधों में सामंजस्य और सुख की प्राप्ति होती है।
- स्वास्थ्य लाभ: ग्रहों के सही संरेखण से व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार देखने को मिलता है। यह पूजा मानसिक शांति और शारीरिक बल को बढ़ाती है।
- आध्यात्मिक उन्नति: इस पूजा से व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति होती है। यह पूजा न केवल ग्रहों के दोषों को समाप्त करती है, बल्कि व्यक्ति को अध्यात्मिक रूप से भी मजबूत बनाती है।
- सुख-शांति और समृद्धि: यह पूजा व्यक्ति को जीवन में सुख, समृद्धि और शांति प्रदान करती है। यह पूजा घर और परिवार में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है, जिससे घर में शांति बनी रहती है।
- प्रेरणा और आत्मविश्वास: पूजा के बाद व्यक्ति को आत्मविश्वास में वृद्धि और जीवन में सकारात्मकता का अनुभव होता है, जो उसे कठिनाइयों का सामना करने में मदद करता है।
शांति पूजा से प्राप्त ये लाभ जीवन को संतुलित और खुशहाल बनाने में मदद करते हैं, जिससे व्यक्ति को मानसिक शांति, समृद्धि और सफलता की ओर मार्गदर्शन मिलता है।
FAQ
क्या इस शांति पूजा के लिए किसी विशेष दिन की आवश्यकता है?
शांति पूजा को नवरात्रि के दौरान विशेष रूप से किया जाता है, लेकिन इसे किसी भी समय शुरू किया जा सकता है जब व्यक्ति ग्रह दोषों से छुटकारा पाना चाहता हो।
यह पूजा कितनी बार की जाती है?
यह पूजा आमतौर पर नवरात्रि के समय की जाती है, जिसमें नौ दिनों तक एक ग्रह की पूजा की जाती है। हालांकि, यदि कोई विशेष समस्या हो तो पूजा को विशिष्ट समय पर भी किया जा सकता है।
इस पूजा के लिए कौन-कौन सी सामग्री आवश्यक होती है?
पूजा के लिए हल्दी, चंदन, कपूर, नारियल, फल, शहद, चांदी के सिक्के, घी, लोहा, तथा ग्रहों के बीज मंत्र का जाप करने के लिए एक विशेष पूजा सामग्री की आवश्यकता होती है।
मैं पंडित सत्य प्रकाश, सनातन धर्म का एक समर्पित साधक और श्री राम, लक्ष्मण जी, माता सीता और माँ सरस्वती की भक्ति में लीन एक सेवक हूँ। मेरा उद्देश्य इन दिव्य शक्तियों की महिमा को जन-जन तक पहुँचाना और भक्तों को उनके आशीर्वाद से जोड़ना है। मैं अपने लेखों के माध्यम से इन महान विभूतियों की कथाएँ, आरती, मंत्र, स्तोत्र और पूजन विधि को सरल भाषा में प्रस्तुत करता हूँ, ताकि हर भक्त अपने जीवन में इनकी कृपा का अनुभव कर सके। View Profile 🚩 जय श्री राम 🚩