नवग्रह मंत्र: जीवन में संतुलन और शांति का दिव्य मार्ग

जीवन में आने वाली कई परेशानियों का संबंध हमारे ग्रहों की स्थिति से होता है। नवग्रहों को संतुलित करने के लिए नवग्रह मंत्र एक प्रभावशाली और आध्यात्मिक उपाय माना जाता है। Navgrah Mantra का नियमित जाप मन को शांति और जीवन को सकारात्मक दिशा देने में मदद करता है।

Table of Contents

Navgrah Mantra

Navgrah Shanti Mantra में त्रिदेव- ब्रह्मा, विष्णु और महादेव- से निवेदन किया जाता है कि वे नवग्रहों की कृपा प्राप्त कराने में सहायक हों। जैसे नवग्रह यंत्र की स्थापना और पूजा ग्रहों की अशांति को शांत करने के लिए की जाती है, उसी तरह navgrah mantra का जाप भी जीवन में ग्रहों के संतुलन और शुभ प्रभाव के लिए किया जाता है। यह मंत्र ग्रहों की अनुकूलता बढ़ाने और जीवन को सकारात्मक दिशा देने में सहायक माना गया है।

नवग्रह शांति मंत्र

ॐ ब्रह्मामुरारि त्रिपुरान्तकारी भानु: शशि भूमिसुतो बुध च
गुरु च शुक्र: शनि राहु केतव: सर्वेग्रहा: शान्ति करा: भवन्तु।।

ज्योतिष में सूर्य को नवग्रहों का राजा माना गया है, जो यश, आत्मविश्वास और सफलता का प्रतीक है। इसके अशुभ प्रभावों से बचने के लिए वैदिक, तांत्रिक और बीज मंत्रों का

सूर्य का वैदिक मंत्र

ॐ आ कृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यं च
हिरण्ययेन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन्।।

सूर्य का तांत्रिक मंत्र

ॐ घृणि सूर्याय नमः

सूर्य का बीज मंत्र

ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः

ज्योतिष में चंद्र ग्रह मन, भावनाओं और सुंदरता का प्रतीक माना गया है। इसकी अशुभ स्थिति मानसिक तनाव और स्वास्थ संबंधी समस्याएं ला सकती है, जिसे चंद्र मंत्रों के जाप और सोमवार व्रत से संतुलित किया जा सकता है। विशेष रूप से कर्क राशि वालों को इसका लाभ जरूर उठाना चाहिए।

चंद्र का वैदिक मंत्र

ॐ इमं देवा असपत्नं सुवध्यं महते क्षत्राय महते
ज्यैष्ठ्याय महते जानराज्यायेन्द्रस्येन्द्रियाय
इमममुष्य पुत्रममुष्यै पुत्रमस्यै विश एष वोऽमी राजा
सोमोऽस्माकं ब्राह्मणानां राजा।।

चंद्र का तांत्रिक मंत्र

ॐ सों सोमाय नमः

चंद्रमा का बीज मंत्र

ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्रमसे नमः

ज्योतिष में मंगल को साहस, ऊर्जा और पराक्रम का प्रतीक माना गया है, लेकिन इसकी अशुभ स्थिति रक्त विकार और क्रोध बढ़ा सकती है। मंगल शांति के लिए मंगलवार का व्रत और हनुमान चालीसा का पाठ लाभकारी होता है। मेष और वृश्चिक राशि वालों सहित सभी जातक मंगल मंत्रों के माध्यम से इसे शुभ बना सकते हैं।

मंगल का वैदिक मंत्र

ॐ अग्निमूर्धा दिव: ककुत्पति: पृथिव्या अयम्
अपां रेतां सि जिन्वति।।

मंगल का तांत्रिक मंत्र

ॐ अं अंङ्गारकाय नम:

मंगल का बीज मंत्र

ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः

बुध ग्रह बुद्धि, वाणी और संचार का प्रतिनिधि होता है, जिसकी अशुभ स्थिति से एकाग्रता में कमी और त्वचा संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। बुध मंत्रों का जाप इन दोषों को शांत करने में सहायक होता है। विशेष रूप से मिथुन और कन्या राशि वालों को इसका नियमित अभ्यास करना चाहिए।

बुध का वैदिक मंत्र

ॐ उद्बुध्यस्वाग्ने प्रति जागृहि त्वमिष्टापूर्ते सं सृजेथामयं च
अस्मिन्त्सधस्‍थे अध्‍युत्तरस्मिन् विश्वेदेवा यजमानश्च सीदत।।

बुध का तांत्रिक मंत्र

ॐ बुं बुधाय नमः

बुध का बीज मंत्र

ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः

बृहस्पति को देवताओं का गुरु कहा जाता है, जो ज्ञान, धर्म और संतान सुख का प्रतीक है। कुंडली में गुरु की दुर्बल स्थिति पेट विकारों और संतान संबंधी समस्याओं का कारण बन सकती है, जिसे मंत्र जाप से शांत किया जा सकता है। विशेष रूप से धनु और मीन राशि के जातकों को गुरु मंत्रों का जाप करना लाभकारी होता है।

गुरु का वैदिक मंत्र

ॐ बृहस्पते अति यदर्यो अर्हाद् द्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु
यद्दीदयच्छवस ऋतप्रजात तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम्।।

गुरु का तांत्रिक मंत्र

ॐ बृं बृहस्पतये नमः

बृहस्पति का बीज मंत्र

ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः

शुक्र ग्रह भौतिक सुख, सौंदर्य और प्रेम का प्रतीक माना जाता है, जिसकी दुर्बलता से जीवन में ऐशो-आराम और आर्थिक संतुलन में कमी आ सकती है। इसकी अशुभ स्थिति डायबिटीज़ जैसी समस्याओं का कारण भी बन सकती है, जिसे शुक्र मंत्रों के जाप से शांत किया जा सकता है। विशेष रूप से वृषभ और तुला राशि के जातकों को इसका जाप करना चाहिए।

शुक्र का वैदिक मंत्र

ॐ अन्नात्परिस्त्रुतो रसं ब्रह्मणा व्यपिबत् क्षत्रं पय: सोमं प्रजापति:
ऋतेन सत्यमिन्द्रियं विपानं शुक्रमन्धस इन्द्रस्येन्द्रियमिदं पयोऽमृतं मधु।।

शुक्र का तांत्रिक मंत्र

ॐ शुं शुक्राय नमः

शुक्र का बीज मंत्र

ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः

ज्योतिष शास्त्र में शनि को न्यायकारी ग्रह माना जाता है, जो व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार फल देता है। इसकी अशुभ स्थिति करियर, व्यवसाय और मेहनत में बाधा ला सकती है, जिसे शनि मंत्रों के जाप से संतुलित किया जा सकता है। मकर और कुंभ राशि वाले जातकों को विशेष रूप से इसका विधिवत जाप करना चाहिए।

शनि का वैदिक मंत्र

ॐ शं नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये
शं योरभि स्त्रवन्तु न:।।

शनि का तांत्रिक मंत्र

ॐ शं शनैश्चराय नमः

शनि का बीज मंत्र

ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः

ज्योतिष में राहु को एक क्रूर ग्रह माना जाता है, जिसकी अशुभ स्थिति मानसिक तनाव, आर्थिक हानि और पारिवारिक क्लेश का कारण बन सकती है। अधिकतर मामलों में राहु जीवन में भ्रम और बाधाएं उत्पन्न करता है। इसकी शांति के लिए वैदिक या तांत्रिक राहु मंत्रों का जाप करना अत्यंत लाभकारी होता है।

राहु का वैदिक मंत्र

ॐ कया नश्चित्र आ भुवदूती सदावृध: सखा
कया शचिष्ठया वृता।।

राहु का तांत्रिक मंत्र

ॐ रां राहवे नमः

राहु का बीज मंत्र

ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः

ज्योतिष में केतु को तर्क, रहस्य और आध्यात्मिक चेतना का कारक माना जाता है, लेकिन इसकी अशुभ स्थिति त्वचा रोगों और मानसिक अस्थिरता का कारण बन सकती है। केतु की प्रतिकूलता जीवन में भ्रम और बाधाएं ला सकती है। इसकी शांति के लिए केतु मंत्रों का जाप एक प्रभावशाली उपाय माना जाता है।

केतु का वैदिक मंत्र

ॐ केतुं कृण्वन्नकेतवे पेशो मर्या अपेशसे
सुमुषद्भिरजायथा:।।

केतु का तांत्रिक मंत्र

ॐ कें केतवे नमः

केतु का बीज मंत्र

ॐ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः

Navgrah Mantra
नवग्रह शांति मंत्र

ॐ ब्रह्मामुरारि त्रिपुरान्तकारी भानु: शशि भूमिसुतो बुध च
गुरु च शुक्र: शनि राहु केतव: सर्वेग्रहा: शान्ति करा: भवन्तु।।

ज्योतिष में सूर्य को नवग्रहों का राजा माना गया है, जो यश, आत्मविश्वास और सफलता का प्रतीक है। इसके अशुभ प्रभावों से बचने के लिए वैदिक, तांत्रिक और बीज मंत्रों का

सूर्य का वैदिक मंत्र

ॐ आ कृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यं च
हिरण्ययेन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन्।।

सूर्य का तांत्रिक मंत्र

ॐ घृणि सूर्याय नमः

सूर्य का बीज मंत्र

ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः

ज्योतिष में चंद्र ग्रह मन, भावनाओं और सुंदरता का प्रतीक माना गया है। इसकी अशुभ स्थिति मानसिक तनाव और स्वास्थ संबंधी समस्याएं ला सकती है, जिसे चंद्र मंत्रों के जाप और सोमवार व्रत से संतुलित किया जा सकता है। विशेष रूप से कर्क राशि वालों को इसका लाभ जरूर उठाना चाहिए।

चंद्र का वैदिक मंत्र

ॐ इमं देवा असपत्नं सुवध्यं महते क्षत्राय महते
ज्यैष्ठ्याय महते जानराज्यायेन्द्रस्येन्द्रियाय
इमममुष्य पुत्रममुष्यै पुत्रमस्यै विश एष वोऽमी राजा
सोमोऽस्माकं ब्राह्मणानां राजा।।

चंद्र का तांत्रिक मंत्र

ॐ सों सोमाय नमः

चंद्रमा का बीज मंत्र

ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्रमसे नमः

ज्योतिष में मंगल को साहस, ऊर्जा और पराक्रम का प्रतीक माना गया है, लेकिन इसकी अशुभ स्थिति रक्त विकार और क्रोध बढ़ा सकती है। मंगल शांति के लिए मंगलवार का व्रत और हनुमान चालीसा का पाठ लाभकारी होता है। मेष और वृश्चिक राशि वालों सहित सभी जातक मंगल मंत्रों के माध्यम से इसे शुभ बना सकते हैं।

मंगल का वैदिक मंत्र

ॐ अग्निमूर्धा दिव: ककुत्पति: पृथिव्या अयम्
अपां रेतां सि जिन्वति।।

मंगल का तांत्रिक मंत्र

ॐ अं अंङ्गारकाय नम:

मंगल का बीज मंत्र

ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः

बुध ग्रह बुद्धि, वाणी और संचार का प्रतिनिधि होता है, जिसकी अशुभ स्थिति से एकाग्रता में कमी और त्वचा संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। बुध मंत्रों का जाप इन दोषों को शांत करने में सहायक होता है। विशेष रूप से मिथुन और कन्या राशि वालों को इसका नियमित अभ्यास करना चाहिए।

बुध का वैदिक मंत्र

ॐ उद्बुध्यस्वाग्ने प्रति जागृहि त्वमिष्टापूर्ते सं सृजेथामयं च
अस्मिन्त्सधस्‍थे अध्‍युत्तरस्मिन् विश्वेदेवा यजमानश्च सीदत।।

बुध का तांत्रिक मंत्र

ॐ बुं बुधाय नमः

बुध का बीज मंत्र

ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः

बृहस्पति को देवताओं का गुरु कहा जाता है, जो ज्ञान, धर्म और संतान सुख का प्रतीक है। कुंडली में गुरु की दुर्बल स्थिति पेट विकारों और संतान संबंधी समस्याओं का कारण बन सकती है, जिसे मंत्र जाप से शांत किया जा सकता है। विशेष रूप से धनु और मीन राशि के जातकों को गुरु मंत्रों का जाप करना लाभकारी होता है।

गुरु का वैदिक मंत्र

ॐ बृहस्पते अति यदर्यो अर्हाद् द्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु
यद्दीदयच्छवस ऋतप्रजात तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम्।।

गुरु का तांत्रिक मंत्र

ॐ बृं बृहस्पतये नमः

बृहस्पति का बीज मंत्र

ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः

शुक्र ग्रह भौतिक सुख, सौंदर्य और प्रेम का प्रतीक माना जाता है, जिसकी दुर्बलता से जीवन में ऐशो-आराम और आर्थिक संतुलन में कमी आ सकती है। इसकी अशुभ स्थिति डायबिटीज़ जैसी समस्याओं का कारण भी बन सकती है, जिसे शुक्र मंत्रों के जाप से शांत किया जा सकता है। विशेष रूप से वृषभ और तुला राशि के जातकों को इसका जाप करना चाहिए।

शुक्र का वैदिक मंत्र

ॐ अन्नात्परिस्त्रुतो रसं ब्रह्मणा व्यपिबत् क्षत्रं पय: सोमं प्रजापति:
ऋतेन सत्यमिन्द्रियं विपानं शुक्रमन्धस इन्द्रस्येन्द्रियमिदं पयोऽमृतं मधु।।

शुक्र का तांत्रिक मंत्र

ॐ शुं शुक्राय नमः

शुक्र का बीज मंत्र

ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः

ज्योतिष शास्त्र में शनि को न्यायकारी ग्रह माना जाता है, जो व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार फल देता है। इसकी अशुभ स्थिति करियर, व्यवसाय और मेहनत में बाधा ला सकती है, जिसे शनि मंत्रों के जाप से संतुलित किया जा सकता है। मकर और कुंभ राशि वाले जातकों को विशेष रूप से इसका विधिवत जाप करना चाहिए।

शनि का वैदिक मंत्र

ॐ शं नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये
शं योरभि स्त्रवन्तु न:।।

शनि का तांत्रिक मंत्र

ॐ शं शनैश्चराय नमः

शनि का बीज मंत्र

ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः

ज्योतिष में राहु को एक क्रूर ग्रह माना जाता है, जिसकी अशुभ स्थिति मानसिक तनाव, आर्थिक हानि और पारिवारिक क्लेश का कारण बन सकती है। अधिकतर मामलों में राहु जीवन में भ्रम और बाधाएं उत्पन्न करता है। इसकी शांति के लिए वैदिक या तांत्रिक राहु मंत्रों का जाप करना अत्यंत लाभकारी होता है।

राहु का वैदिक मंत्र

ॐ कया नश्चित्र आ भुवदूती सदावृध: सखा
कया शचिष्ठया वृता।।

राहु का तांत्रिक मंत्र

ॐ रां राहवे नमः

राहु का बीज मंत्र

ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः

ज्योतिष में केतु को तर्क, रहस्य और आध्यात्मिक चेतना का कारक माना जाता है, लेकिन इसकी अशुभ स्थिति त्वचा रोगों और मानसिक अस्थिरता का कारण बन सकती है। केतु की प्रतिकूलता जीवन में भ्रम और बाधाएं ला सकती है। इसकी शांति के लिए केतु मंत्रों का जाप एक प्रभावशाली उपाय माना जाता है।

केतु का वैदिक मंत्र

ॐ केतुं कृण्वन्नकेतवे पेशो मर्या अपेशसे
सुमुषद्भिरजायथा:।।

केतु का तांत्रिक मंत्र

ॐ कें केतवे नमः

केतु का बीज मंत्र

ॐ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः

Navgrah Mantra का जाप जीवन में सकारात्मकता लाने और ग्रहों के अशुभ प्रभावों को शांत करने का एक प्रभावशाली माध्यम है। अगर आप जानना चाहते हैं कि किस ग्रह के लिए कौन-सा मंत्र सबसे उपयुक्त है, तो हमारा सूर्य ग्रह के मंत्र, शनि ग्रह के उपाय और राशियों पर नवग्रहों का प्रभाव पर आधारित लेख ज़रूर पढ़ें। इन जानकारियों के ज़रिए आप अपनी कुंडली के अनुसार सही दिशा में आध्यात्मिक उपाय कर सकते हैं।

Navgrah Mantra जाप विधि

  1. शुभ दिन का चयन: किसी सोमवार, शनिवार या अमावस्या/पूर्णिमा के दिन से मंत्र जाप की शुरुआत करना शुभ माना जाता है।
  2. साफ- सफाई का ध्यान रखें: प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। हो सके तो पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
  3. नवग्रह यंत्र या फोटो स्थापन: तांबे या पीतल के दीये में घी का दीपक जलाएं और नवग्रह यंत्र या नवग्रह फोटो की स्थापना करें।
  4. संकल्प लें: दोनों हाथ जोड़कर, मन में अपनी मनोकामना के लिए संकल्प लें और जाप शुरू करें।
  5. माला से मंत्र जाप करें: रुद्राक्ष या तुलसी की माला से इस मंत्र का जाप करें। 108 बार जाप करना सर्वोत्तम होता है।
  6. आरती करें: नवग्रहों की सामूहिक आरती करें या संबंधित ग्रह की भी कर सकते हैं।
  7. नियम और श्रद्धा रखें: यह जाप कम से कम 21 दिन लगातार करें। नियम और श्रद्धा सबसे ज़रूरी हैं।

FAQ

इस मंत्र का जाप कब करना चाहिए?

मंत्र का जाप प्रातः काल स्नान के बाद, शांत वातावरण में पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके करना चाहिए। विशेषकर सोमवार, शनिवार या अमावस्या के दिन से शुरुआत शुभ मानी जाती है।

यह मंत्र किसके लिए फायदेमंद होता है?

नवग्रह के मंत्र का जाप कितनी बार करना चाहिए?

क्या बिना माला के इस मंत्र का जाप किया जा सकता है?

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