कावड़िया ले चल गंग की धार भजन लिरिक्स

कावड़िया ले चल गंग की धार — यह भजन उन श्रद्धालु भक्तों को समर्पित है जो हर साल भगवान शिव की भक्ति में डूबकर कांवड़ यात्रा करते हैं। कांवड़ यात्रा न केवल एक आध्यात्मिक यात्रा है, बल्कि यह शिव जी के प्रति श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक भी है। भक्त गंगाजल लाने के लिए कठिन यात्रा तय करते हैं, लेकिन उनके हृदय में केवल भोलेनाथ की भक्ति होती है। आइए, इस भजन के माध्यम से कांवड़ियों की इस पवित्र यात्रा को नमन करें और शिव महिमा का गुणगान करें।

Kavariya Le Chal Gang Ki Dhaar

दोहा –
भस्म रमाए बैठे है शंकर,
सज धज के दरबार,
कावड़िया ले आओ कावड़,
राह तके सरकार।

कावड़िया ले चल गंग की धार,
जहाँ बिराजे भोले दानी,
करके अनोखा श्रृंगार,
कावड़ियां ले चल गंग की धार।1।

अंग भभुति रमाए हुए है,
माथे चंद्र सजाए हुए है,
भंग तरंग में रहने वाले,
मस्त मलंग वो रहने वाले,
मेरे महांकल सरकार,
कावड़ियां ले चल गंग की धार।2।

शंभू तेरे दर आए है,
कावड़िया कावड़ लाए है,
जपते हर हर बम बम भोले,
झूम झूम मस्ती में डोले,
करते जय जय कार,
कावड़ियां ले चल गंग की धार।3।

कावड़ियां ले चल गंग की धार,
जहाँ बिराजे भोले दानी,
करके अनोखा श्रृंगार,
कावड़ियां ले चल गंग की धार।4।

शिव भक्तों के लिए कांवड़ यात्रा केवल एक रस्म नहीं, बल्कि आत्मा की शुद्धि का मार्ग है। गंगाजल अर्पित कर महादेव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन का कल्याण होता है। यदि यह भजन आपके हृदय को शिवमय कर गया, तो सवारी महाकाल की आई, भोले के हाथों में है भक्तों की डोर, आये हैं दिन सावन के, और भोले बाबा ने पकड़ा हाथ अकेला मत समझो जैसे अन्य शिव भजनों को भी अवश्य पढ़ें और भोलेनाथ की भक्ति में लीन हो जाएं। हर हर महादेव! 🚩🙏

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