कमलाकांत प्रभु कमलनयन स्वामी

कमलाकांत प्रभु कमलनयन स्वामी भजन भगवान विष्णु की दिव्यता और उनकी अनुपम सौम्यता का गुणगान करता है। कमलनयन विष्णु जी, जो माता लक्ष्मी के स्वामी हैं, अपनी करुणा और प्रेम से समस्त संसार का पालन करते हैं। जब हम उनके नाम का स्मरण करते हैं, तो हमारे हृदय में भक्ति की धारा प्रवाहित होने लगती है और मन शांति से भर जाता है। यह भजन हमें श्रीहरि की महिमा का ध्यान करने और उनकी कृपा का अनुभव करने की प्रेरणा देता है। आइए, इस मधुर भजन के माध्यम से विष्णु जी की स्तुति करें।

Kamlakant Prabhu Kamalnayan Swami

कमलाकांत प्रभु कमलनयन स्वामी,
घट घट वासी अंतर्यामी ।
नारायण दीनदयाल, जय जगदीश हरे ।
निज भक्तन के प्रतिपाल, जय जगदीश हरे ॥1॥

जय जय राम राजा राम, जय जय राम राजा राम

प्रभु अनुसरण जेहि जन कीना ।
नाथ परमपद तिन कर दीना ॥2॥

भक्ति भाव की ऐसी धारा ।
जो डूबे सो उतरे पारा ॥3॥

कलियुग केवल नाम अधारा ।
हरी सुमिरन हरी कीर्तन सारा ॥4॥

नारायण दीनदयाल, जय जगदीश हरे ।

वितरसि दिक्षुरनि दिक्पति कमनीयं
दशमुख मौली बलिम रमनीयं ॥5॥
केशव धृत राम शरीर जय जगदीश हरे ।
हरी हरते जन की पीड़ जय जगदीश हरे ॥6॥

जय जय नारायण नारायण नारायण
हरी हरी नारायण नारायण नारायण
नारायण दीनदयाल, जय जगदीश हरे ।
निज भक्तन के प्रतिपाल, जय जगदीश हरे॥7॥

शांताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं ।
विश्वाधारं गगनसदृश्यम मेघवरणं शुभांगम ॥8॥
लक्ष्मीकांतं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगमयं ।
वंदे विष्णु भवभय हरं सर्व लोकेक नाथं ॥9॥

भगवान विष्णु अपने भक्तों की सच्ची श्रद्धा को कभी व्यर्थ नहीं जाने देते। कमलाकांत प्रभु कमलनयन स्वामी भजन हमें यह सिखाता है कि श्रीहरि की शरण में आने से जीवन के सारे कष्ट मिट जाते हैं और परम शांति प्राप्त होती है। यदि यह भजन आपके हृदय को भक्ति से भर देता है, तो गोविंद बोलो हरि गोपाल बोलो, श्री हरि विष्णु वंदना, अच्युतं केशवं, और नारायण नाम सुमिरन कर ले जैसे अन्य विष्णु भजनों को भी पढ़ें और करें, जिससे आपकी भक्ति और अधिक प्रगाढ़ हो सके। 🙏✨

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