मन तड़पत हरि दरशन को आज

मन तड़पत हरि दरशन को आज भजन में भक्त का हृदय भगवान के दर्शन की तीव्र इच्छा से तड़पता हुआ दिखता है। इस भजन में भक्त अपने भीतर एक गहरी आत्मिक प्यास और भक्ति का अनुभव करता है, जिससे उसका मन केवल एक ही इच्छा करता है – भगवान के दर्शन। भगवान से मिलने की यह तीव्र आकांक्षा भक्त को अपने जीवन के सर्वोत्तम उद्देश्य की ओर अग्रसर करती है।

Man Tadpe Hari Darshan Ko Aaj

मन तड़पत हरि दरशन को आज ॥
मोरे तुम बिन बिगड़े सकल काज ।
आ विनती करत हूँ रखियो लाज ॥1॥

तुम्हरे द्वार का मैं हूँ जोगी
मेरी ओर नजर कब होगी
सुन मेरे व्याकुल मन की बात ॥2॥

बिन गुरू ग्यान कहाँ सेे पाऊं
दीजो दान हरि गुन गाऊं
सब गुनी जन पे तुम्हारा राज ॥3॥

मुरली मनोहर आस न तोड़ो
दु:ख भंजन मेरा साथ न छोड़ो
मोहे दरशन भिक्षा दे दो आज ॥4॥

मन तड़पत हरि दरशन को आज भजन हमें यह सिखाता है कि जब हमारे दिल में भगवान के प्रति सच्ची भक्ति होती है, तो वह हमें अपने दिव्य दर्शन देने के लिए हमारे जीवन में प्रकट होते हैं। भगवान के दर्शन से हमारी आत्मा को शांति, संतोष और आशीर्वाद मिलता है। इस भक्ति रस को और गहराई से अनुभव करने के लिए आप श्री हरि की महिमा अपार, गोविंद बोलो हरि गोपाल बोलो, नारायण, नारायण जय गोविंद हरे और संकट हरन श्री विष्णु जी जैसे अन्य भजनों का भी पाठ करें और भगवान श्री कृष्ण की कृपा का अनुभव करें। 🙏💛

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