ईस जग मे मानव तन | Is Jag Me Manav Tan

ईस जग में मानव तन भजन जीवन के महान उद्देश्य को समझने का एक अद्भुत तरीका है। इस भजन में यह बताया गया है कि मनुष्य रूप में प्राप्त हुआ जीवन परमात्मा की एक महान देन है। यह भजन हमें यह याद दिलाता है कि हमारे पास जो मानव तन है, वह परमात्मा का एक उपहार है और हमें इसका सदुपयोग करना चाहिए ताकि हम आत्मसाक्षात्कार और मोक्ष प्राप्त कर सकें।

Is Jag Me Manav Tan

इस जग मे मानव तन,मुश्किल से मिलता है।
हरी का तु भजन करले,ये समय निकलता है।

मानव तन हीरा है,गफ़लत मे मत खोना।
बिन भजन के ओ प्राणी,रह जाएगा रोना।
इस तन का भरोसा क्या,हर पल ये बदलता है.

छल कपट द्वेष निन्दा,चोरी जो करते है।
ये समझलो वो बन्दे,जीते ना मरते है।
अपने हाथो विष का,वो प्याला पीता है.

विरथा जीवन उनका,जो शुभ कर्म नही करते।
खाने पीने मे तो,पशु भी पेट भरते।
पापी प्राणी जग मे,बिन आग के जलता है.

सदानन्द कहता,जीवन को सफल करलो।
गुरू चरणो मे रहकर,हरि सुमिरन करलो।
हरि दर्शन करने को,दिल ये मचलता है.

ईस जग में मानव तन भजन हमें यह सिखाता है कि जीवन का उद्देश्य केवल भौतिक सुखों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आत्मिक उन्नति और भगवान की उपासना में है। मानव शरीर का सही उपयोग करने से हम अपनी आत्मा को शुद्ध कर सकते हैं और परमात्मा के साथ एकाकार हो सकते हैं। इस भक्ति रस को और गहराई से अनुभव करने के लिए आप श्री हरि की महिमा अपार, गोविंद बोलो हरि गोपाल बोलो, नारायण, नारायण जय गोविंद हरे और संकट हरन श्री विष्णु जी जैसे अन्य भजनों का भी पाठ करें और भगवान श्री कृष्ण की कृपा का अनुभव करें। 🙏💛

Leave a comment