कहने मे कुछ भी कहे भजन जीवन के सत्य और भगवान की महिमा को व्यक्त करने का एक सहज और सरल तरीका है। इसमें बताया गया है कि भगवान की दिव्यता और उनके प्रति भक्ति को शब्दों के माध्यम से व्यक्त किया जा सकता है, लेकिन उनका असली रूप केवल उनके भक्तों के दिलों में ही बसता है। इस भजन में हम यह समझते हैं कि चाहे हम शब्दों में कुछ भी कहें, भगवान की भक्ति और उनके प्रति श्रद्धा का कोई सीमा नहीं होती।
Kehne Me Kuch Bhi Kahe
कहने में कुछ भी कहे,मगर मन मे जानते,
बाहर से अनजान है पर,दिल से पहचानते,
भटका हुआ राही हूँ में,मंजिल का पता नही,
मिले या ना मिले कोई,इससे मे खपा नही,
खता तो बस यही है,गेंरो को अपना मानते
देख रहा है सब कुछ,मगर बोलता नही,
जानता है राज सब,फिर भी खोलता नही,
रहता है दिल के पास,फिर भी नही जानते,
बङी अज़ीब लग रही है,दीन की ये दास्था,
कहीं कभी देखा नही,फिर भी केसी आस्था,
अचरज़ भरी है ये रचना,मुख से सभी बखानते
कष्ट अनेको सहे है,फिर भी कोई गिला नही,
जहां भी देखा गैर है,अपना कोई मिला नही
इस दर्द भरे सफ़र मे,”सदा आनन्द”मानते
कहने मे कुछ भी कहे भजन हमें यह याद दिलाता है कि भगवान की भक्ति के सच्चे रूप को शब्दों से नहीं, बल्कि हमारे हृदय से महसूस किया जा सकता है। जब हम भगवान के प्रति अपनी सच्ची श्रद्धा और समर्पण से भरे होते हैं, तब उनकी कृपा हम पर बरसती है। इस भक्ति रस को और गहराई से अनुभव करने के लिए आप श्री हरि की महिमा अपार, गोविंद बोलो हरि गोपाल बोलो, नारायण, नारायण जय गोविंद हरे और संकट हरन श्री विष्णु जी जैसे अन्य भजनों का भी पाठ करें और भगवान श्री कृष्ण की कृपा का अनुभव करें। 🙏💛

मैं आचार्य सिद्ध लक्ष्मी, सनातन धर्म की साधिका और देवी भक्त हूँ। मेरा उद्देश्य भक्तों को धनवंतरी, माँ चंद्रघंटा और शीतला माता जैसी दिव्य शक्तियों की कृपा से परिचित कराना है।मैं अपने लेखों के माध्यम से मंत्र, स्तोत्र, आरती, पूजन विधि और धार्मिक रहस्यों को सरल भाषा में प्रस्तुत करती हूँ, ताकि हर श्रद्धालु अपने जीवन में देवी-देवताओं की कृपा को अनुभव कर सके। यदि आप भक्ति, आस्था और आत्मशुद्धि के पथ पर आगे बढ़ना चाहते हैं, तो मेरे लेख आपके लिए एक दिव्य प्रकाश बन सकते हैं। जय माँ View Profile