श्री बृहस्पति देव व्रत उपाख्यान: कैसे व्रत से जीवन सुधर सकता है

हिंदू धर्म में ग्रहों की पूजा का विशेष महत्व है, और बृहस्पति देव को सभी ग्रहों में सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। उन्हें ज्ञान, शिक्षा, और समृद्धि के देवता माना जाता है। श्री बृहस्पति देव व्रत उपाख्यान में श्री बृहस्पति देव व्रत की विधि, पूजा, कथा और आरती का संपूर्ण विवरण दिया गया है, जिससे इस व्रत को सही तरीके से करने की विधि और इसके लाभों को समझा जा सके।

Shri Brihaspati Dev Vrat Upakhyan

Shri Brihaspati Dev Vrat Upakhyan

श्री बृहस्पति देव व्रत की महत्वता

श्री बृहस्पति देव व्रत, विशेष रूप से गुरुवार के दिन किया जाता है। बृहस्पति देव को गुरु ग्रह माना जाता है, और वे बुद्धि, ज्ञान, उच्च शिक्षा, वैचारिक दृष्टि और परिवार की सुख-शांति के प्रतीक होते हैं। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में बृहस्पति देव की स्थिति अशुभ होती है, तो उसका जीवन संघर्षों से घिरा रहता है। इस व्रत को करने से बृहस्पति देव की कृपा प्राप्त होती है, जिससे व्यक्ति के जीवन में समृद्धि और खुशहाली आती है।

कैसे करें बृहस्पति देव व्रत ?

  1. उपवासी रहकर व्रत करना: गुरुवार के दिन इस व्रत को करना चाहिए। इस दिन उपवासी रहकर बृहस्पति देव की पूजा करनी होती है। उपवास का मतलब सिर्फ भोजन न करना नहीं है, बल्कि एकाग्रता और शुद्ध मन से पूजा में ध्यान लगाना है।
  2. स्नान और शुद्धता: व्रत की शुरुआत से पहले, व्यक्ति को स्नान करना चाहिए ताकि शरीर और मन दोनों ही शुद्ध हो जाएं। स्नान के बाद शुद्ध वस्त्र पहनने चाहिए और व्रत की पूजा शुरू करनी चाहिए।
  3. पूजा का समय: गुरुवार को सुबह जल्दी उठकर सूर्योदय से पहले पूजा करनी चाहिए। यह समय बृहस्पति देव के आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए सर्वोत्तम माना जाता है।
  4. पीली वस्तुएं अर्पित करना: बृहस्पति देव को पीले रंग बहुत प्रिय हैं। पूजा में पीले फूल, पीले चावल, हल्दी और पीले रंग के अन्य पदार्थ अर्पित करने चाहिए। बृहस्पति देव को पीले फल भी अर्पित करने से उनका आशीर्वाद मिलता है।
  5. मंत्र जाप: बृहस्पति देव की पूजा में “ॐ बृं बृहस्पतये नमः” मंत्र का जाप करना अत्यंत लाभकारी होता है। इस मंत्र का जाप 108 बार करना चाहिए। इसे करने से बृहस्पति देव प्रसन्न होते हैं और उनके आशीर्वाद से जीवन में शुभ फल मिलते हैं।

श्री बृहस्पति देव व्रत कथा

व्रत की पूजा के दौरान, बृहस्पति देव की कथा भी सुनी जाती है। यह कथा बताती है कि कैसे बृहस्पति देव ने अपने ज्ञान से संसार का कल्याण किया और अपने आशीर्वाद से कई लोगों के जीवन को संवार दिया। एक समय की बात है, एक राजा था, जो अपनी समृद्धि और अच्छे शासन के लिए बृहस्पति देव की पूजा करता था। राजा ने गुरु ग्रह की पूजा में पूरी श्रद्धा से व्रत किया, जिसके परिणामस्वरूप उसकी साम्राज्य में वृद्धि हुई और उसे न केवल भौतिक समृद्धि मिली, बल्कि उसकी बुद्धि और ज्ञान में भी वृद्धि हुई।

बृहस्पति देव ने राजा की पूजा से प्रसन्न होकर उसकी सभी इच्छाओं को पूरा किया और उसे अपने आशीर्वाद से सम्मानित किया। यह कथा यह संदेश देती है कि बृहस्पति देव की पूजा से न केवल सांसारिक सुख मिलता है, बल्कि आत्मिक और मानसिक शांति भी मिलती है।

श्री बृहस्पति देव की आरती

आरती के बिना कोई पूजा पूरी नहीं होती है। बृहस्पति देव की आरती का महत्व विशेष रूप से व्रत के दौरान बहुत होता है। आरती गाने से व्यक्ति का मन प्रसन्न रहता है और उसकी पूजा सफल होती है।

श्री बृहस्पति देव की आरती

व्रत का फल और लाभ

जो व्यक्ति गुरुवार के दिन बृहस्पति देव का व्रत श्रद्धा और विश्वास से करता है, उसकी कुंडली में बृहस्पति ग्रह का दोष समाप्त हो जाता है। इसके अलावा इस व्रत से कई फायदे होते हैं:

ज्ञान और शिक्षा में सफलता: बृहस्पति देव की पूजा से व्यक्ति को ज्ञान और शिक्षा में सफलता मिलती है। खासकर छात्रों को यह व्रत विशेष लाभ देता है, क्योंकि बृहस्पति देव बुद्धि और शिक्षा के देवता माने जाते हैं।

सुख-समृद्धि का वास: इस व्रत को करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है। आर्थिक तंगी दूर होती है और जीवन में धन-धान्य की बरसात होती है।

मानसिक शांति और संतुलन: बृहस्पति देव का आशीर्वाद प्राप्त करने से मानसिक शांति मिलती है और जीवन में संतुलन आता है। तनाव और परेशानियों का समाधान मिलता है।

Shri Brihaspati Dev Vrat Upakhyan से यह स्पष्ट होता है कि बृहस्पति देव की पूजा और व्रत करने से जीवन में सफलता, समृद्धि और मानसिक शांति का वास होता है। सही विधि से व्रत और पूजा करने से व्यक्ति को बृहस्पति देव का आशीर्वाद प्राप्त होता है, और उसके जीवन की सभी समस्याओं का समाधान होता है। इस उपाख्यान के साथ आप इनके मुख्य पाठों जैसे – बृहस्पति स्तोत्रम, गुरु ग्रह कवच, बृहस्पति चालीसा को भी कर सकते हैं।

FAQ

श्री बृहस्पति देव व्रत उपाख्यान क्या है?

यह उपाख्यान बृहस्पति देव के व्रत, उसकी विधि और महिमा से जुड़ी कथा है, जिसमें बताया गया है कि कैसे उनकी पूजा से व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है।

बृहस्पति देव का व्रत क्यों किया जाता है?

क्या यह व्रत सभी कर सकते हैं?

क्या बृहस्पति व्रत से कुंडली के दोष भी दूर होते हैं?

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