गुरु देव जी के गीत केवल भक्ति ही नहीं, बल्कि प्रकृति और राष्ट्र के प्रति हमारी श्रद्धा को भी व्यक्त करते हैं। यह कल-कल छल-छल बहती, क्या कहती गंगा धारा गीत माँ गंगा की महिमा का गुणगान करता है, जो केवल एक नदी नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान है। यह गीत हमें माँ गंगा के निर्मल प्रवाह से प्रेरणा लेने और उनके संरक्षण का संकल्प लेने की प्रेरणा देता है।
Yah Kal Kal Chhal Chhal Bahati Kya Kahati Ganga Dhara
यह कल कल छल छल बहती,
क्या कहती गंगा धारा,
युग युग से बहता आता,
यह पुण्य प्रवाह हमारा,
यह पुण्य प्रवाह हमारा।।1।।
हम इसके लघुतम जल कण,
बनते मिटते है क्षण क्षण,
अपना अस्तित्व मिटा कर,
तन मन धन करते अर्पण,
बढते जाने का शुभ प्रण,
प्राणों से हमको प्यारा,
यह पुण्य प्रवाह हमारा,
यह पुण्य प्रवाह हमारा।।2।।
इस धारा में घुल मिलकर,
वीरों की राख बही है,
इस धारा मे कितने ही,
ऋषियों ने शरन गहि है,
इस धारा की गोदी में,
खेला इतिहास हमारा,
यह पुण्य प्रवाह हमारा,
यह पुण्य प्रवाह हमारा।।3।।
यह अविरल तप का फल है,
यह राष्ट्र प्रवाह का प्रबल है,
शुभ संस्कृति का परिचायक,
भारत माँ का आचल है,
यहा शास्वत है तिर जीवन,
मर्यादा धर्म हमारा,
यह पुण्य प्रवाह हमारा,
यह पुण्य प्रवाह हमारा।।4।।
क्या उसको रोक सकेंगे,
मिटने वाले मिट जाये,
कंकर पत्थर की हस्ती,
क्या बाधा बनकर आये,
ढह जायेगें गिरी पर्वत,
कांपे भूमण्डल सारा,
यह पुण्य प्रवाह हमारा,
यह पुण्य प्रवाह हमारा।।5।।
यह कल कल छल छल बहती,
क्या कहती गंगा धारा,
युग युग से बहता आता,
यह पुण्य प्रवाह हमारा,
यह पुण्य प्रवाह हमारा।।6।।
गुरु देव जी के गीत हमें हमारी संस्कृति, प्रकृति और राष्ट्र की गरिमा को समझने का संदेश देते हैं। यह कल-कल छल-छल बहती, क्या कहती गंगा धारा गीत माँ गंगा की महत्ता को दर्शाते हुए हमें उनके संरक्षण के लिए जागरूक करता है। यदि यह गीत आपके हृदय को गंगा माँ के प्रति श्रद्धा से भर देता है, तो जिनके ओजस्वी वचनों से गूंज उठा था विश्व गगन, तरुण वीर देश के मूर्त वीर देश के – देशभक्ति गीत, ऐ मेरे वतन के लोगों ज़रा आँख में भर लो पानी जैसे अन्य गीतों को भी पढ़ें और अपनी संस्कृति और प्रकृति के प्रति अपनी निष्ठा प्रकट करें। 🙏🌊✨