गुरु ग्रह की आरती : ज्ञान, समृद्धि और शुभता का स्रोत

गुरु ग्रह की आरती गुरु ग्रह यानी बृहस्पति देव को समर्पित एक दिव्य स्तुति है, जिसे करने से जीवन में शुभता और समृद्धि का संचार होता है। माना जाता है कि जो लोग शिक्षा, करियर, विवाह और आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे हैं, उनके लिए Guru Grah Ki Aarti बहुत लाभदायक होता है। बृहस्पति देव को समर्पित इस आरती के लिरिक्स कुछ इस प्रकार से है-

Guru Grah Ki Aarti

ओम जय बृहस्पति देवा,
जय जय बृहस्पति देवा,
छिन-छिन भोग लगाऊं ,
कदली फल मेवा॥

ओम जय बृहस्पति देवा,
प्रभु जय बृहस्पति देवा॥

तुम पूर्ण परमात्मा
तुम अंतर्यामी,
जगतपिता जगदीश्वर
तुम सबके स्वामी॥

ओम जय बृहस्पति देवा,
प्रभु जय बृहस्पति देवा॥

चरणामृत निज निर्मल
सब पातक हर्ता,
सकल मनोरथ दायक
कृपा करो भर्ता॥

ओम जय बृहस्पति देवा,
प्रभु जय बृहस्पति देवा॥

तन, मन, धन अर्पण कर
जो जन शरण धरे,
प्रभु प्रकट तब होकर
आकर द्वार खड़े॥

ओम जय बृहस्पति देवा,
प्रभु जय बृहस्पति देवा॥
.
दीनदयाल दयानिधि
भक्तन हितकारी,
पाप दोष सब हर्ता
भव बंधन हारी॥

ओम जय बृहस्पति देवा,
प्रभु जय बृहस्पति देवा॥
.
सकल मनोरथ दायक
सब संशय टारो,
विषय विकार मिटाओ
संतन सुखकारी॥

ओम जय बृहस्पति देवा,
प्रभु जय बृहस्पति देवा॥

जो कोई आरती तेरी प्रेम सहित गावे,
हे गुरु मन को लगाके गावे,
कष्ट हरो तुम उनके,
मन इच्छित फल पावे॥

ओम जय बृहस्पति देवा,
प्रभु जय बृहस्पति देवा॥

Guru Grah Ki Aarti

ओम जय बृहस्पति देवा,
जय जय बृहस्पति देवा,
छिन-छिन भोग लगाऊं ,
कदली फल मेवा॥

ओम जय बृहस्पति देवा,
प्रभु जय बृहस्पति देवा॥

तुम पूर्ण परमात्मा
तुम अंतर्यामी,
जगतपिता जगदीश्वर
तुम सबके स्वामी॥

ओम जय बृहस्पति देवा, 
प्रभु जय बृहस्पति देवा॥

चरणामृत निज निर्मल 
सब पातक हर्ता,
सकल मनोरथ दायक
कृपा करो भर्ता॥

ओम जय बृहस्पति देवा,
प्रभु जय बृहस्पति देवा॥

तन, मन, धन अर्पण कर
जो जन शरण धरे,
प्रभु प्रकट तब होकर
आकर द्वार खड़े॥

ओम जय बृहस्पति देवा,
प्रभु जय बृहस्पति देवा॥
.
दीनदयाल दयानिधि
भक्तन हितकारी,
पाप दोष सब हर्ता
भव बंधन हारी॥

ओम जय बृहस्पति देवा,
प्रभु जय बृहस्पति देवा॥
.
सकल मनोरथ दायक
सब संशय टारो,
विषय विकार मिटाओ 
संतन सुखकारी॥

ओम जय बृहस्पति देवा,
प्रभु जय बृहस्पति देवा॥

जो कोई आरती तेरी प्रेम सहित गावे,
हे गुरु मन को लगाके गावे,
कष्ट हरो तुम उनके,
मन इच्छित फल पावे॥

ओम जय बृहस्पति देवा,
प्रभु जय बृहस्पति देवा॥

गुरु ग्रह की आरती के साथ-साथ यदि आप बृहस्पति अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम्, बृहस्पति अङ्गिरस ऋषि स्तोत्रम्, या गुरु वंदना स्तोत्रम् का पाठ भी करते हैं, तो गुरु ग्रह की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है। इन सभी स्तोत्रों और आरती का संगठित रूप से पाठ करने से जीवन की अनेक बाधाएँ समाप्त होती हैं और आध्यात्मिक उन्नति होती है।

श्री बृहस्पति देव आरती पाठ विधि

  1. स्नान व शुद्धि: प्रातः स्नान कर स्वच्छ पीले वस्त्र पहनें और पूजा स्थल को साफ करें।
  2. संकल्प लें: यदि संभव हो तो गुरुवार का व्रत रखें और गुरु बृहस्पति का ध्यान करें।
  3. पूजा सामग्री: सामग्री में पीले फूल, चने की दाल, गुड़, केला, हल्दी, चंदन, घी का दीपक आदि को रख लें।
  4. स्थापना: मूर्ति को पूजा सिहं पर स्थापित करने के बाद बृहस्पति देव की मूर्ति/फोटो पर पीले फूल चढ़ाएं और घी का दीपक प्रज्वलित कर, धूप दिखाएं।
  5. मंत्र जाप:ॐ बृं बृहस्पतये नमः” का 108 बार जाप करें।
  6. आरती करें: अब श्रद्धा से Guru Grah Ki Aarti गाएं।
  7. प्रसाद वितरण: केला, गुड़ व चने की दाल का प्रसाद बांटें।
  8. समापन: बृहस्पति देव को प्रणाम कर कृपा की प्रार्थना करें।

FAQ

यह आरती क्यों की जाती है?

बृहस्पति देव की आरती करने से ज्ञान, बुद्धि, समृद्धि और वैवाहिक सुख की प्राप्ति होती है।

आरती करने का सही समय क्या है?

आरती बिना उपवास के भी की जा सकती है?

क्या बृहस्पति देव की आरती करने से कुंडली के दोष समाप्त हो सकते हैं?

Share

Leave a comment