बृहस्पति अङ्गिरस ऋषि स्तोत्रम्: ज्ञान, बुद्धि और समृद्धि का दिव्य स्रोत

बृहस्पति अङ्गिरस ऋषि स्तोत्रम् एक अत्यंत शक्तिशाली बृहस्पति स्तोत्र है, जिसकी रचना अङ्गिरस ऋषि ने की थी है। हिंदू शास्त्रों में बृहस्पति ग्रह को ज्ञान, शिक्षा, विवेक और शुभता का कारक माना गया है। ऋषि अङ्गिरस ने गुरु बृहस्पति की स्तुति में Brihaspati Angiras Rishi Stotram रचा, जो आज भी भक्तों को ज्ञान, धैर्य और सफलता प्रदान करता है। इस स्तोत्र का लिरिक्स कुछ इस प्रकार से है-

Brihaspati Angiras Rishi Stotram

बृहस्पतिं वाग्रहणं च बुद्धिं
ज्ञानं च विद्यां च धृतिं श्रुतिं च।
विनीतभावं च दयां च शीलं
प्रदाय नः पातु गुरुर्गरीयान् ॥ १ ॥

देवानां च ऋषीणां च
गुरुं काञ्चनसन्निभम्।
बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं
तं नमामि बृहस्पतिम् ॥ २ ॥

सुराचार्यं शुद्धबुद्धिं
ज्ञानविज्ञानकारकम्।
सर्वदोषहरं देवं
तं नमामि बृहस्पतिम् ॥ ३ ॥

नमस्ते देवदेवेश
नमस्ते दैवतप्रिय।
नमस्ते लोकनाथाय
नमस्ते गुरवे नमः ॥ ४ ॥

शान्तं पद्मधरं वन्दे
सुराचार्यं कृपानिधिम्।
सर्वदोषहरं देवं
बृहस्पतिं नमाम्यहम् ॥ ५ ॥

॥ इति श्रीबृहस्पति अङ्गिरस ऋषि स्तोत्रम् संपूर्णम् ॥

Brihaspati Angiras Rishi Stotramबृहस्पतिं वाग्रहणं च बुद्धिं
ज्ञानं च विद्यां च धृतिं श्रुतिं च।
विनीतभावं च दयां च शीलं
प्रदाय नः पातु गुरुर्गरीयान् ॥ १ ॥देवानां च ऋषीणां च
गुरुं काञ्चनसन्निभम्।
बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं
तं नमामि बृहस्पतिम् ॥ २ ॥सुराचार्यं शुद्धबुद्धिं
ज्ञानविज्ञानकारकम्।
सर्वदोषहरं देवं
तं नमामि बृहस्पतिम् ॥ ३ ॥नमस्ते देवदेवेश
नमस्ते दैवतप्रिय।
नमस्ते लोकनाथाय
नमस्ते गुरवे नमः ॥ ४ ॥शान्तं पद्मधरं वन्दे
सुराचार्यं कृपानिधिम्।
सर्वदोषहरं देवं
बृहस्पतिं नमाम्यहम् ॥ ५ ॥॥ इति श्रीबृहस्पति अङ्गिरस ऋषि स्तोत्रम् संपूर्णम् ॥

बृहस्पति अङ्गिरस ऋषि स्तोत्रम् का पाठ भक्तों को आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करता है और उनके जीवन में उन्नति के द्वार खोलता है। यह केवल एक स्तोत्र नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक साधना है, जो ज्ञान, समृद्धि और शुभता को आमंत्रित करता है। अगर आप अन्य शक्तिशाली स्तोत्रों की तलाश में हैं, तो बृहस्पति अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम्, गुरु वंदना स्तोत्रम्, और बृहस्पति गायत्री मंत्र का भी पाठ कर सकते हैं। ये सभी स्तोत्र गुरु की कृपा प्राप्त करने और जीवन को सकारात्मक दिशा देने में सहायक हैं।

इस स्तोत्रम् का पाठ करने की विधि

  • सुबह स्नान करके साफ पीले वस्त्र धारण करें।
  • पूजा स्थान पर पीले फूल, हल्दी और चने की दाल अर्पित करें।
  • भगवान बृहस्पति की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाएं।
  • श्रद्धा और एकाग्रता के साथ Brihaspati Angiras Rishi Stotram का पाठ करें।
  • पीले रंग के प्रसाद (जैसे बेसन लड्डू) का भोग लगाएं।
  • गुरुवार के दिन इस स्तोत्र का नियमित पाठ करने से विशेष लाभ मिलता है।

FAQ

इसका पाठ करने से क्या लाभ होता है?

इस स्तोत्र के पाठ से ज्ञान, बुद्धि, शिक्षा, धन और शुभ फल प्राप्त होते हैं। यह बृहस्पति ग्रह के नकारात्मक प्रभाव को भी कम करता है।

इस स्तोत्रम् का पाठ किस दिन करना चाहिए?

इस स्तोत्र का पाठ कितनी बार करना चाहिए?

इसका पाठ कौन लोग कर सकते हैं?

क्या इस स्तोत्र का पाठ करने से विवाह संबंधित समस्याओं में लाभ मिलता है?

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