गुरु ग्रह स्तोत्रम् – ज्ञान, समृद्धि और सफलता का स्रोत

गुरु ग्रह स्तोत्रम् बृहस्पति देव की स्तुति करने वाला एक प्रभावशाली स्तोत्र है, जो जीवन में बुद्धि, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है। गुरु ग्रह दोष से बचाव के लिए यह स्तोत्र एक अचूक उपाय है। यदि आप अपने जीवन में शुभता और सफलता चाहते हैं, तो Guru Grah Stotram का श्रद्धा पूर्वक पाठ आपके लिए लाभदायक होगा-

Guru Grah Stotram

पीताम्बर: पीतवपु: किरीटी। चतुर्भुजो देवगुरु: प्रशान्त: ॥
दधाति दण्डं च कमण्डलुं च। तथाक्षसूत्रं वरदोsस्तु मह्यम॥

नम: सुरेन्द्रवन्द्याय देवाचार्याय ते नम:,
नमस्त्वनन्तसामर्थ्यं देवासिद्धान्तपारग ॥

सदानन्द नमस्तेस्तु नम: पीडाहराय च ,
नमो वाचस्पते तुभ्यं नमस्ते पीतवाससे ॥

नमोsद्वितीयरूपाय लम्बकूर्चाय ते नम:,
नम: प्रह्रष्टनेत्राय विप्राणां पतये नम:॥

नमो भार्गवशिष्याय विपन्नहितकारक:,
नमस्ते सुरसैन्याय विपन्नत्राणहेतवे॥

विषमस्थस्तथा नृणां सर्वकष्टप्रणाशनम,
प्रत्यहं तु पठेद्यो वै तस्य कामफलप्रदम॥

इति मन्त्रमहार्णवे बृहस्पतिस्तोत्रम

Guru Grah Stotramपीताम्बर: पीतवपु: किरीटी। चतुर्भुजो देवगुरु: प्रशान्त: ॥
दधाति दण्डं च कमण्डलुं च। तथाक्षसूत्रं वरदोsस्तु मह्यम॥नम: सुरेन्द्रवन्द्याय देवाचार्याय ते नम:,
नमस्त्वनन्तसामर्थ्यं देवासिद्धान्तपारग ॥सदानन्द नमस्तेस्तु नम: पीडाहराय च ,
नमो वाचस्पते तुभ्यं नमस्ते पीतवाससे ॥नमोsद्वितीयरूपाय लम्बकूर्चाय ते नम:,
नम: प्रह्रष्टनेत्राय विप्राणां पतये नम:॥नमो भार्गवशिष्याय विपन्नहितकारक:,
नमस्ते सुरसैन्याय विपन्नत्राणहेतवे॥विषमस्थस्तथा नृणां सर्वकष्टप्रणाशनम,
प्रत्यहं तु पठेद्यो वै तस्य कामफलप्रदम॥इति मन्त्रमहार्णवे बृहस्पतिस्तोत्रम

बृहस्पति ग्रह को ज्ञान, धन, वैवाहिक सुख और धार्मिकता का कारक माना जाता है। इसलिए, जिनकी कुंडली में गुरु अशुभ स्थिति में हो या कमजोर हो, वे इस स्तोत्र के माध्यम से गुरु की कृपा प्राप्त कर सकते हैं। अगर आप गुरु बीज मंत्र, “गुरुवार व्रत कथा” या “गुरु ग्रह के उपाय” जानना चाहते हैं, तो इन विषयों पर भी अध्ययन करें और अपने जीवन में शुभता लाएं।

गुरु ग्रह स्तोत्रम् पाठ करने की विधि

  1. स्नान व शुद्धता – प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. पाठ का स्थान – घर के पूजा स्थल या किसी पवित्र स्थान पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
  3. आसनपीले वस्त्र पहनें और पीले रंग के आसन पर बैठें।
  4. दीप जलाएं – घी का दीपक जलाकर भगवान बृहस्पति (गुरु) का ध्यान करें।
  5. संकल्प लें – मन में गुरु कृपा प्राप्ति व बाधाओं के निवारण हेतु संकल्प लें।
  6. मंत्र जाप करें – पहले “ॐ बृं बृहस्पतये नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
  7. स्तोत्र पाठ करें – श्रद्धा व भक्ति से Guru Grah Stotram का पाठ करें।
  8. प्रसाद चढ़ाएं – भगवान को पीले फूल और बेसन के लड्डू या केले का भोग अर्पित करें।
  9. प्रार्थना करें – गुरु देव से ज्ञान, सुख-संपत्ति व बाधाओं से मुक्ति की प्रार्थना करें।
  10. नियमितता – अच्छे फल प्राप्त करने के लिए इस पाठ को नियमित या प्रत्येक गुरुवार करें।

FAQ

इसका का पाठ कब करना चाहिए?

इस स्तोत्रम् का क्या लाभ है?

इसका पाठ कितनी बार करना चाहिए?

क्या इसका पाठ करने के बाद कोई विशेष भोग अर्पित करना चाहिए?

यह स्तोत्रम् किन लोगों के लिए विशेष रूप से लाभदायक है?

विद्यार्थी, शिक्षक, वेद-पुराण पढ़ने वाले, विवाह में बाधा झेल रहे लोग और जिनकी कुंडली में गुरु पीड़ित है, उनके लिए यह विशेष लाभकारी है।

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