बृहस्पति व्रत विधि हिंदी में: सुख, समृद्धि और सफलता के लिए आसान उपाय

बृहस्पति व्रत विधि एक महत्वपूर्ण धार्मिक उपाय है जो बृहस्पति ग्रह को मजबूत करता है। इस व्रत को करने से जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता की प्राप्ति होती है। सही विधि से इस व्रत को करने से आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं। यदि आप इस विधि की तलाश में है तो, आप सही जगह आये हैं। हमने आपके लिए मुख्य रूप से बृहस्पति व्रत विधि हिंदी में नीचे उपलब्ध कराया है।

Brihaspati Vrat Vidhi In Hindi

इस व्रत का पालन करने से जीवन में सुख, समृद्धि और ज्ञान की वृद्धि होती है। इस व्रत की विधि, पूजन सामग्री, कथा और लाभों को जानकर आप बृहस्पति देव की कृपा प्राप्त कर सकते हैं। सही तरीके से व्रत करने के लिए पूरी जानकारी यहाँ पढ़ें।

  1. व्रत का आरंभ: बृहस्पति व्रत का आरंभ गुरुवार के दिन सूर्योदय से पहले स्नान करके करना चाहिए। स्नान के बाद शुद्ध होकर सफेद या पीले रंग के वस्त्र पहनें और बृहस्पति देव की पूजा का संकल्प लें। व्रत का उद्देश्य बृहस्पति देव से आशीर्वाद प्राप्त करना है, इसलिए मन में निष्ठा और श्रद्धा होनी चाहिए।
  2. पूजा सामग्री की तैयारी: पूजा के लिए आपको कुछ विशेष सामग्री की आवश्यकता होगी। सबसे पहले बृहस्पति देव का फोटो या मूर्ति पूजा स्थल पर रखें। इसके साथ ही दीपक और अगरबत्ती भी जलाएं। इन्हें पीला रंग प्रिय होता है, इसलिए पीले फूल, केले, हल्दी, चने और पीला वस्त्र पूजा सामग्री में रखें। इनका उपयोग पूजा में करना शुभ माना जाता है।
  3. बृहस्पति मंत्र का जाप करें: इस व्रत में “ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः बृहस्पतये नमः” मंत्र का जाप बेहद महत्वपूर्ण है। इस मंत्र का जाप 108 बार करें। इसे माला से या बिना माला के भी किया जा सकता है। मंत्र जाप करते समय बृहस्पति देव के आशीर्वाद की प्रार्थना करें और अपने जीवन में समृद्धि, ज्ञान और सफलता की कामना करें। मंत्र का जाप करने से बृहस्पति देव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में खुशहाली आती है।
  4. व्रत के नियमों का पालन करें: व्रत के दौरान एक समय का भोजन करें और दूसरे समय में केवल पानी पिएं। खासतौर पर गुरुवार के दिन हल्का और सात्विक आहार ही ग्रहण करें। इस दिन तामसिक भोजन से बचें और अधिक से अधिक फलाहार करें। व्रत के दिन मन को शुद्ध रखना जरूरी होता है, इसलिए किसी प्रकार के गलत विचारों या गुस्से से बचने की कोशिश करें। यदि संभव हो तो इस दिन कोई विशेष कार्य जैसे नए काम की शुरुआत या यात्रा करने से भी बचें।
  5. दान का महत्व: इस व्रत में दान का विशेष महत्व है। व्रत समाप्त होने के बाद आप पीले वस्त्र, केला, चने और हल्दी का दान करें। दान से पुण्य की प्राप्ति होती है और व्रत का प्रभाव और अधिक बढ़ जाता है। इससे ग्रह दोषों से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा, जरूरतमंदों को मदद देने से भी पुण्य मिलता है।
  6. व्रत का समापन करें: पूजा के बाद बृहस्पति देव का आशीर्वाद प्राप्त करें और दान करें। पूजा स्थल को शुद्ध करें और दीपक को जलते हुए छोड़ दें। व्रत के समापन के समय बृहस्पति मंत्र का उच्चारण करें और आभार व्यक्त करें। इस दिन विशेष रूप से उपवास रखने से बृहस्पति देव की कृपा विशेष रूप से प्राप्त होती है।
  7. व्रत का पालन निरंतर करें: इस व्रत को निरंतर एक महीने तक करें। हर गुरुवार को इस व्रत का पालन करने से बृहस्पति देव की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही, व्रत के दौरान पूरी श्रद्धा और विश्वास से पूजा करने पर आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं और समृद्धि में वृद्धि होती है।

यदि आप बृहस्पति व्रत कथा विधि के लाभों को अपने जीवन में महसूस करना चाहते हैं, तो इस व्रत को सही तरीके से अपनाएं। इस व्रत से न केवल समृद्धि और सुख मिलता है, बल्कि यह आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव भी लाता है। अगर आपने अभी तक इसे नहीं किया है, तो इस व्रत को शुरू करें और बृहस्पति देव की कृपा प्राप्त करें। इसके साथ ही इनके अन्य पाठों जैसे – Brihaspati stotram, Brihaspati chalisa और Brihaspati dev ki aarti को भी करें। जो आपको विशेष फल प्रदान करेगा।

FAQ

इस व्रत को कितने दिन तक करना चाहिए?

इस व्रत को विशेष रूप से 1 माह तक निरंतर करना चाहिए। नियमित व्रत से जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।

बृहस्पति व्रत का क्या लाभ है?

यह व्रत कब करना चाहिए?

Leave a comment