आई गए रघुनंदन सजवा दो द्वार द्वार

जब श्रीराम अपने भक्तों के हृदय में बसते हैं, तो हर द्वार पर खुशियों की बारात सज जाती है। आई गए रघुनंदन, सजवा दो द्वार-द्वार भजन उसी दिव्य क्षण का वर्णन करता है जब भक्तगण अपने प्रभु श्रीराम के स्वागत के लिए उत्साहित हो उठते हैं। यह भजन केवल अयोध्या में श्रीराम के आगमन का ही नहीं, बल्कि हर भक्त के मन-मंदिर में उनके प्रवेश का भी प्रतीक है। जब श्रीराम का नाम लिया जाता है, तब जीवन में आनंद, शांति और भक्ति का संचार होता है।

Aai Gaye Raghunandan Sajawa Do Dwar Dwar

आई गए रघुनंदन,
सजवा दो द्वार द्वार,
स्वर्ण कलश रखवा दो,
बंधवा दो बंधनवार।1।

सजी नगरिया है सारी,
नाचे गावे नर नारी,
खुशियाँ मनाओ,
गाओ री मंगलचार,
स्वर्ण कलश रखवा दो,
बंधवा दो बंधनवार।2।

कंचन कलश विचित्र संवारे,
सब ही धरे सजे निज निज द्वारे,
खुशियाँ मनाओ,
गाओ री मंगलचार,
स्वर्ण कलश रखवा दो,
बंधवा दो बंधनवार।3।

आई गए रघुनंदन,
सजवा दो द्वार द्वार,
स्वर्ण कलश रखवा दो,
बंधवा दो बंधनवार।4।

भगवान श्रीराम का स्वागत करने के लिए केवल अयोध्या ही नहीं, बल्कि हर भक्त का हृदय भी तैयार रहना चाहिए। जब श्रीराम का स्मरण होता है, तब सारे संकट दूर हो जाते हैं और भक्ति का प्रकाश हर ओर फैल जाता है। यदि आपको यह भजन प्रिय लगा, तो आप “अवधपुरी में दीप जले हैं सिया संग मेरे राम चले हैं, जली है ज्योत जगमग अवध नगर में, राम नाम की महिमा, और “हनुमान जी के श्रीराम प्रेम की कथा” भी पढ़ सकते हैं। इन भजनों और लेखों से आपकी भक्ति और अधिक प्रगाढ़ होगी। ???? जय श्रीराम! ????

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