राम की शक्ति पूजा – संघर्ष, श्रद्धा और विजय की कथा

राम की शक्ति पूजा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के संघर्ष, भक्ति और आत्मबल की अद्वितीय गाथा है। जब रावण के विरुद्ध युद्ध में कठिनाइयाँ आईं, तब श्रीराम ने शक्ति की अधिष्ठात्री देवी मां दुर्गा की आराधना की। इस पूजा का उल्लेख अमर काव्य Ram Ki Shakti Puja पुस्तक में मिलता है, जिसमें राम को एक साधारण मानव के रूप में प्रस्तुत किया गया है।

Ram Ki Shakti Puja ke Rachnakar महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ जी है। यह कविता रामायण के युद्ध प्रसंग को एक नई दृष्टि से प्रस्तुत करती है, जिसमें श्रीराम की मानसिक द्वंद्व, संघर्ष और विजय की यात्रा चित्रित है। यहां इस रचना के बारे में विस्तार से बताया गया है-

Ram Ki Shakti Puja का ऐतिहासिक और साहित्यिक महत्व

महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ द्वारा रचित यह कविता हिंदी साहित्य की अमूल्य धरोहर मानी जाती है। यह कविता पहली बार 26 अक्टूबर 1936 को इलाहाबाद से प्रकाशित दैनिक समाचारपत्र ‘भारत’ में प्रकाशित हुई थी।

इस 312 पंक्तियों की लंबी कविता में राम को केवल एक अवतार नहीं, बल्कि एक संघर्षरत मानव के रूप में दिखाया गया है, जो जय-पराजय के मानसिक द्वंद्व से जूझते हैं। यह कविता छायावादी युग की एक महान कृति है, जिसमें शक्ति की उपासना और आत्मबल का संदेश छिपा हुआ है।

राम की इस पूजा की कथा

जब श्रीराम और उनकी सेना लंका विजय के लिए युद्ध कर रही थी, तब रावण की अपार शक्ति के सामने राम के विजय की संभावना क्षीण होती दिखी। बार-बार प्रयास करने के बावजूद, जब सफलता नहीं मिली, तब विभीषण ने उन्हें मां दुर्गा की उपासना करने का सुझाव दिया।

श्रीराम ने नवरात्रि के दौरान चंडी पाठ किया और मां दुर्गा को 108 कमल के पुष्प अर्पित करने का संकल्प लिया। जब अंतिम पुष्प चढ़ाने का समय आया, तब श्रीराम को ज्ञात हुआ कि एक पुष्प कम है। अपने प्रण को निभाने के लिए उन्होंने अपनी एक नेत्र को कमल पुष्प के रूप में अर्पित करने का निश्चय किया।

उनकी इस अटूट भक्ति और बलिदान से मां दुर्गा प्रसन्न हुईं और उन्होंने श्रीराम को विजयश्री का आशीर्वाद दिया। इसके बाद, श्रीराम ने रावण का वध कर अधर्म पर धर्म की जीत स्थापित की।

Ram Ki Shakti Puja ke Rachnakar का दृष्टिकोण

महाकवि निराला की इस काव्य रचना में शक्ति और भक्ति का एक अद्वितीय संगम देखने को मिलता है। उन्होंने राम को एक संघर्षरत मानव के रूप में चित्रित किया है, जो युद्ध में सिर्फ बाहुबल से नहीं, बल्कि आध्यात्मिक शक्ति के बल पर विजय प्राप्त करते हैं।

इस कविता में मुख्य रूप से निम्नलिखित बिंदुओं को प्रस्तुत किया गया है:

  • मानसिक द्वंद्व: राम को केवल एक ईश्वर के रूप में नहीं, बल्कि एक थकने, टूटने और संदेह करने वाले मानव के रूप में दिखाया गया है।
  • शक्ति की अनिवार्यता: इस कविता में यह संदेश दिया गया है कि सफलता के लिए केवल पुरुषार्थ ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक शक्ति भी आवश्यक होती है।
  • संघर्ष और विजय: यह काव्य हमें सिखाता है कि संघर्ष के दौरान अगर हम सही मार्ग पर चलते हैं और सच्चे मन से शक्ति की उपासना करते हैं, तो विजय निश्चित होती है।

Ram Ki Shakti Puja केवल एक धार्मिक कथा नहीं, बल्कि संघर्ष, विश्वास और आत्मसमर्पण का प्रतीक है। निराला की यह कविता हमें यह सिखाती है कि किसी भी कठिन परिस्थिति में आत्मबल, भक्ति और संकल्प शक्ति के माध्यम से सफलता प्राप्त की जा सकती है।

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FAQ

राम की शक्ति पूजा क्या है?

ये कविता किसने लिखी है?

कविता कब प्रकाशित हुई थी?

यह कविता 26 अक्टूबर 1936 को इलाहाबाद से प्रकाशित दैनिक समाचारपत्र ‘भारत’ में पहली बार प्रकाशित हुई थी।

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