गिरजा के लाडले दुलारे के सबई देव आरती उतारे लिरिक्स

भगवान गणेश जी की आरती करने से भक्तों के जीवन में सुख-समृद्धि आती है और सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। गिरजा के लाडले दुलारे के सबई देव आरती उतारे भजन में भगवान गणपति की महिमा का वर्णन किया गया है, जहाँ समस्त देवता उनकी आरती उतारकर उनका वंदन करते हैं। इस भजन के माध्यम से हम भी बप्पा की स्तुति करें और उनकी कृपा प्राप्त करें। इसे करें और भक्ति में लीन हो जाएं।

Giraja Ke Ladle Dulare Ke Sabai Dev Aarti Utare Lyrics

गिरजा के लाडले दुलारे,
के सबई देव आरती उतारे।।

पहलऊ पूजा होए तुम्हारी,
पहलउ काज सवारे,
के सबई देव आरती उतारे।।

माथे मुकुट कान है कुण्डल,
नैनन कोर कजरारे,
के सबई देव आरती उतारे।।

गले हार मोतिन के माला,
पीले वस्त्र तन धारे,
के सबई देव आरती उतारे।।

रिद्धि सिद्धि बुद्धि के दाता,
माता के नैनो के तारे,
के सबई देव आरती उतारे।।

पुष्प दीप मधुमेवा चढ़ाते,
लडुवन् के भोग लगें प्यारे,
के सबई देव आरती उतारे।।

सब गणपति को ध्यान करत है,
दइयो सबखें सहारे,
के सबई देव आरती उतारे।।

गिरजा के लाडले दुलारे,
के सबई देव आरती उतारे।।

भगवान गणेश जी की आराधना से हर कार्य सफल होता है और जीवन में शुभता बनी रहती है। यदि यह भजन आपको भक्तिभाव से भर गया है, तो “तुम्हे वंदना तुम्हें वंदना”, “गणपति के गुण गाते चलो”, “रिद्धि और सिद्धि के बीच विराजे”, “गजानंद गौरी जी के लाला मेरी महफिल में आ जाना” जैसे अन्य भजनों को भी करें और गणपति बप्पा की कृपा का अनुभव करें। 🚩🙏

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