शीतला माता कथा | Sheetla Mata Katha: देवी के चमत्कार और भक्तों की आस्था की कथा

शीतला माता कथा हिंदू धर्म में अत्यंत पूजनीय और लोक आस्था से जुड़ी हुई है। शीतला माता विशेष रूप से चेचक और अन्य संक्रामक बीमारियों से बचाव करने वाली देवी के रूप में पूजी जाती हैं। Sheetla Mata Katha में माता शीतला की उपासना और उनकी महिमा को विस्तार से बताया गया है, जिससे भक्तों में आस्था और श्रद्धा का संचार होता है।

ऐसी मान्यता है कि जो भक्त सच्चे मन से Sheetla Mata Ki Kahani का श्रवण और पाठ करते हैं, उन्हें माता की विशेष कृपा प्राप्त होती है और उनके परिवार पर कोई विपत्ति नहीं आती। इस कथा में न केवल धार्मिक आस्था बल्कि संयम और नियमों का पालन करने का संदेश भी निहित है। Sheetla Mata Ki Katha का श्रवण भक्तों को मानसिक शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि प्रदान करता है। Sheetla Mata Katha In Hindi को यहां विस्तार से दिया गया है-

Sheetla Mata Katha

शीतला माँ कथा जिसे शीतला माता व्रत कथा भी कहा जाता है, कुछ इस प्रकार से है-

इस कथा के अनुसार, एक गाँव में एक ब्राह्मण दंपति रहते थे। उनके दो बेटे और दो बहुएं थीं। लंबे समय बाद, दोनों बहुओं को संतान सुख प्राप्त हुआ। इसी बीच, शीतला अष्टमी का पर्व आया। धार्मिक परंपरा के अनुसार, इस दिन ठंडा भोजन ग्रहण किया जाता है। लेकिन दोनों बहुओं को चिंता हुई कि यदि उन्होंने ठंडा भोजन खाया, तो वे बीमार पड़ सकती हैं और उनके छोटे बच्चे भी प्रभावित हो सकते हैं।

इस विचार से, उन्होंने चुपचाप अपने लिए गर्म भोजन तैयार करने की योजना बनाई। उन्होंने पशुओं के चारा पात्र में दो बाटियां सेंक लीं। इसके बाद, वे अपनी सास के साथ शीतला माता की पूजा करने गईं और श्रद्धा से कथा सुनी। पूजा समाप्त होने के बाद, उनकी सास भजन गाने में मग्न हो गईं, जबकि बहुएं बच्चों के रोने का बहाना बनाकर घर लौट आईं।

घर पहुंचते ही, उन्होंने जल्दी से पशुओं के बर्तन से गरम-गरम बाटियां निकालीं और उनका सेवन कर लिया। कुछ देर बाद, जब सास घर लौटी, तो उसने बहुओं को आवाज लगाई और ठंडे भोजन का सेवन करने के लिए कहा। बहुओं ने अपनी सास के कहे अनुसार ठंडा भोजन ग्रहण किया और फिर अपने दैनिक कार्यों में व्यस्त हो गईं। कुछ समय बाद, सास ने उन्हें याद दिलाया कि बच्चों को बहुत देर से भूख लगी होगी, इसलिए उन्हें जगाकर भोजन कराकर सुला देना चाहिए।

जैसे ही बहुएं अपने बच्चों को उठाने गईं, उन्होंने देखा कि उनके बच्चे मृत पड़े हैं। यह शीतला माता के प्रकोप के कारण हुआ था। इस भयावह दृश्य को देखकर वे व्याकुल हो गईं। जब सास को इस घटना का पता चला, तो वह गुस्से से भर उठी और बहुओं को फटकार लगाते हुए बोली, “तुम दोनों ने शीतला माता की अवहेलना की है, और यही तुम्हारी सजा है। मेरे घर से निकल जाओ और जब तक अपने बेटों को जीवित और स्वस्थ नहीं कर लेतीं, तब तक वापस मत आना।”

अपने मृत बच्चों को गोद में लिए वे दोनों रोती-बिलखती घर से निकल पड़ीं। रास्ते में चलते-चलते वे एक पुराने और सूखे खेजड़ी के पेड़ के पास पहुंचीं। वहां उन्होंने देखा कि दो बहनें, ओरी और शीतला, पेड़ के नीचे बैठी थीं। उनके बालों में जुएं भरी हुई थीं, और वे असहज महसूस कर रही थीं।

बहुएं पहले से ही थककर चूर हो चुकी थीं, लेकिन उन्होंने ओरी और शीतला के सिर से जुएं निकालनी शुरू कर दीं। धीरे-धीरे, जब सभी जुएं समाप्त हो गईं, तो ओरी और शीतला को सिर में शीतलता और आराम महसूस हुआ। इससे प्रसन्न होकर उन्होंने बहुओं से कहा, “जैसे तुमने हमारे मस्तक को शीतलता प्रदान की है, वैसे ही तुम्हें भी मन की शांति और कष्टों से मुक्ति मिले।

इतने में दोनों बहुएँ बोलीं, हम तो पहले ही अपनी हरी गोद खो चुकी और यहां वहां मारी-मारी भटक रही हैं, लेकिन अभी तक शीतला माता के दर्शन नहीं हुए। इस पर शीतला बहन ने कहा, तुम दोनों ने पाप किया है। तुम दुष्ट और दुराचारिणी हो, तुम्हारा चेहरा देखने योग्य भी नहीं है। शीतला सप्तमी के दिन ठंडा भोजन करने के बजाय तुम दोनों ने गरम भोजन कर लिया था।

यह सुनते ही दोनों बहुओं ने शीतला माता को पहचान लिया। उन्होंने माता को प्रणाम किया और गिड़गिड़ाकर कहा, माता, हमने अनजाने में गरम भोजन कर लिया। आपके प्रभाव से हम अनजान थीं। कृपा करके हमें क्षमा करें, हम फिर कभी ऐसा नहीं करेंगे।

बहुओं की विनती सुनकर शीतला माता प्रसन्न हुईं और उन्होंने मृत बालकों को पुनः जीवित कर दिया। इसके बाद दोनों बहुएँ अपने जीवित बच्चों को लेकर गाँव लौट आईं। जब गाँव के लोगों को पता चला कि शीतला माता ने उन्हें दर्शन दिए हैं, तो उन्होंने हर्षोल्लास से उनका स्वागत किया। लोगों ने कहा, हम गाँव में शीतला माता का भव्य मंदिर बनवाएँगे।

शीतला माता ने जैसे उन बहुओं पर अपनी कृपा दृष्टि रखी, वैसी कृपा वे सभी भक्तों पर बनाए रखें। जय शीतला माता!

शीतला माता कथा हमें श्रद्धा, आस्था और नियमों के पालन का महत्व सिखाती है। यह कथा इस बात का प्रतीक है कि जो व्यक्ति माता शीतला की सच्चे मन से पूजा-अर्चना करता है, उसे देवी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उसके कष्ट दूर हो जाते हैं।

FAQ

शीतला माता कौन हैं?

शीतला माता को रोग नाशिनी देवी माना जाता है, जो विशेष रूप से चेचक, खसरा और अन्य संक्रामक बीमारियों से बचाव के लिए पूजी जाती हैं।

इनकी पूजा कब की जाती है?

क्या शीतला माता की कथा सुनने से लाभ मिलता है?

शीतला माता की पूजा में क्या सावधानियां रखनी चाहिए?

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